IHBT: तीन खास प्रोजेक्ट से डबल होगी मिजोरम के किसानों की इनकम, जानें डिटेल 

IHBT: तीन खास प्रोजेक्ट से डबल होगी मिजोरम के किसानों की इनकम, जानें डिटेल 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलोजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के डायरेक्टर डॉ. प्रोबोध कुमार त्रिवेदी का कहना है कि केन्द्र सरकार ने आईएचबीटी को मिजोरम में लो चिलिंग एरिया का सेब, महंगी सुगंधित फसलें और शिटाके मशरुम की खेती संबंधी प्रोजेक्ट चलाने के लिए मंजूरी दी थी. 

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IHBT: तीन खास प्रोजेक्ट से डबल होगी मिजोरम के किसानों की इनकम, जानें डिटेल मिजोरम में लो चिलिंग वैराइटी के सेब भी उगाय जा रहे हैं. फोटो क्रेडिट-किसान तक

किसानों की इनकम डबल हो, खेती मुनाफे का सौदा बने, गांवों से लोगों का पलायन रोका जाए, इन्हीं सब को देखते हुए केन्द्र और राज्यस्तर पर कई तरह की कोशिश की जा रही हैं. इन्हीं में से एक है किसानों की इनकम को डबल करना. नॉर्थ-ईस्ट के राज्य मिजोरम में भी किसानों की हालत में सुधार आए इसके लिए किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. ऐसे ही तीन खास प्रोजेक्ट पर बीत कुछ वक्त से लगातार काम चल रहा है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलोजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश मिजोरम के किसानों के साथ मिलकर इसमे सहयोग कर रहा है. 

आईएचबीटी के साइंटिस्ट का कहना है कि अगर यह तीनों कोशिश कामयाब रहीं तो देखते ही देखते किसानों की इनकम बढ़ जाएगी. आईएचबीटी के साइंटिस्ट लगातार मिजोरम का दौरा कर किसानों संग बात कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि तीनों ही प्रोजेक्ट पर जोर शोर से काम चल रहा है. आईएचबीटी के साथ इस प्रोजेक्ट में बागवानी कॉलेज, थेनजोल (केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल), मिजोरम विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं. 

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मिजोरम में लगाए गए हैं सेब के छह हजार से ज्यादा पौधे 

आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार ने किसान तक को बताया कि प्रोजेक्ट के तहत आईएचबीटी द्वारा मिजोरम के किसानों को सेब की लो चिलिंग एरिया वाली वैराइटी के 6400 पौधे दिए गए हैं. यह पौधे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आइजोल, थेनजोल और मामित जिला में किसानों के बाग में लगाए गए हैं. साइंटिस्टे का कहना है कि लगातार की जा रही निगरानी से सामने आया है कि तीनों ही जिलों में पौधों की जीवित रहने की दर अच्छी है और पौधे अच्छी तरह से बढ़ रहे हैं.

इस दौरान मिसटिक, मिजोरम के मुख्य वैज्ञानिक ई. एच. लालसावमलियाना, वैज्ञानिक डॉ. डेवी लालरूआतलियाना और वैज्ञानिक डॉ. लालचंदमी तोछावंग भी लगातार कार्यक्रम कर किसानों को पौधों के विकास की निगरानी की और किसानों को सेब की खेती की तकनीकों के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं. शिटाके मशरुम की खेती के बारे में भी जागरुक किया जा रहा है. 

महंगे तेल के लिए मिजोरम में उगाय जा रहे हैं फूल 

डॉ. राकेश कुमार और इंजीनियर मोहित शर्मा ने बताया कि सुगंधित पौधों और फूलों से निकलने वाले आवश्यक तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इत्र, फ्लेवरिंग, फार्मास्यूटिकल और कीटनाशक उद्योगों में उपयोग के लिए कारोबार किया जाता है. ये एक बड़ा बाजार है. देश में तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए चीन, इंडोनेशिया, तुर्की, फ्रांस, केन्या, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से तेल का आयात किया जाता है.

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डिमांड को ध्यान में रखते हुए मिजोरम में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बागवानी कॉलेज, थेनजोल में सुगंधित पौधों जैसे लेमनग्रास, सिट्रोनेला और डैमस्क गुलाब के पौधे लगाए गए हैं. इस दौरान कालेज के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, किसानों और छात्रों को इसके बारे में ट्रेनिंग भी दी गई. लेमनग्रास से तेल निकालने का प्रदर्शन भी किया गया. 

 

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