इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल किसान तक का मंगलवार को नई दिल्ली में उद्घाटन हुआ. इसके लिए किसान तक समिट का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार ने खेती किसानी को तकनीक से लैस करने की तमाम योजनाएं चलाई हैं और इन योजनाओं से किसानों को जोड़ने के लिए भी कारगर उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि अगर इन योजनाओं से जुड़कर किसान समय के साथ अपनी खेती के तौर तरीकाें को बदलेंगे, तो किसानों की समृद्धि एवं आत्मनिर्भरता दूर की कौड़ी नहीं है.
'किसान तक' का आगाज करने के पहले रूपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में पशुपालन से जुड़े मुद्दों पर तफ्सील से सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि ''मैं एक किसान के नाते डिजिटल प्लेटफॉर्म 'किसान तक' के आगाज के लिए बधाई देता हूं.''
रूपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में ''पशुधन - गांव का कामधेनु'' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन करना, खेती किसानी का मूल आधार है, यही किसानों का मुख्य व्यवसाय है. उन्होंने देश के किसानों से आह्वान किया कि उन्हें सिर्फ फसल उपजाने पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, किसानों को खेती किसानी से जुड़े पशुपालन सहित सभी काम अपने फार्म में करने होंगे. तभी किसान सही मायने में आत्मनिर्भर हो सकेगा.
मछली पालन के क्षेत्र में छोटे किसानों के लिए संभावनाओं के सवाल पर केन्द्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि छोटे किसान केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन कर सकते हैं. किसानों को इस तरह की तमाम योजनाओं के बारे में सरकार द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है. मीडिया भी इसमें सरकार की मदद कर सकता है.
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उन्होंने महज एक कमरे में मछली पालन कराने से जुड़ी सरकार की एक पुरानी योजना की वर्तमान स्थिति के सवाल पर कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा शुरू की गई यह योजना उनके संज्ञान में नहीं है, लेकिन मछली पालन ही नहीं बल्कि खेती से जुड़ी तमाम योजनाओं को छोटे किसानों के लिए शुरु किया गया है.
किसानों को तकनीक के साथ जोड़कर इन योजनाओं को लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह तकनीक का ही कमाल है कि ट्राउट फिश के लिए अब हैदराबाद में भी उपयुक्त माहौल बनाकर इसका उत्पादन शुरू कर दिया. जबकि यह मछली ठंडी जलवायु में होती थी. रूपाला ने कहा कि अकेले झींगा पालन ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है. आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों के किसान इसका शानदार उत्पादन कर रहे हैं. रूपाला ने कहा कि यह सब सरकार की नीतियों की वजह से संभव हुआ है. उन्होंने कहा कि फिशरीज क्षेत्र में अभी भी अनेक संभावनाओं का दोहन किया जाना शेष है.
पशुधन के स्वास्थ्य को लेकर सरकार की संजीदा नीतियों का जिक्र करते हुए रूपाला ने कहा कि पशुपालन सहित समग्र कृषि क्षेत्र को तकनीक से जोड़ने पर पीएम मोदी का पूरा जोर है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पशु धन के इलाज के लिए राज्यों को 4000 से ज्यादा एंबुलेंस दे दी हैं, जिससे पशु धन का समय से उचित इलाज हो सके. उन्होंने कहा कि इंसानों की एंबुलेंस सेवा की तर्ज पर पशु धन की एंबुलेंस सेवा के लिए एक खास नंबर 1962 जारी किया गया है. इस नंबर पर कॉल करके पशुपालक बीमार पशु के इलाज के लिए एंबुलेंस बुला सकते हैं. इतना ही पशु चिकित्सक को भी इसी नंबर के जरिए बुलाकर घर पर पशु का इलाज करा सकते हैं.
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केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि पशुधन के कृत्रिम गर्भाधान यानी 'आर्टिफीशियल इनसेमिनेशन' के मामले में भी मोबाइल एंबुलेंस की योजना काे जोड़ने की पहल की गई है. रूपाला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में तो दूरदराज के इलाकों में मोटर साइकिल काे एंबुलेंस में तब्दील कर पशुओं के इलाज की सहूलियत शुरू की.
पशुधन में फैलने वाले संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में बेहद गंभीर है. उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना के कुशल प्रबंधन की दुनिया भर में तारीफ हुई थी. इससे भी पहले कोरोना प्रबंधन की ही तर्ज पर मोदी सरकार ने देश में पशु धन के वैक्सीनेशन का मिशन शुरू कर दिया था. यह मिशन देश भर में राज्य सरकारों की मदद से चल रहा है. रूपाला ने कहा कि लंंपी वायरस के प्रकोप के समय सरकार ने 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम शुरू किया था. उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने लंपी वायरस की भी वैक्सीन तैयार कर ली है. इसके अंतिम दौर की प्रक्रिया चल रही है.
पशुपालन संबंधी सरकार की अन्य योजनाओं की जानकारी देते हुए रूपाला ने कहा कि किसी भी प्रकार के पशुपालन के लिए भारत सरकार की सब्सिडी आधारित योजनाएं चल रही हैं. इसके लिए अलग से पोर्टल भी बनाया गया है. इसके माध्यम से किसान खुद इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं और आवेदन की मौजूदा स्थिति से अवगत भी हाे सकते हैं. मुर्गी पालन पर खास जोर देते हुए रूपाला ने कहा कि मुर्गी पालन को वातानुकूलित वातावरण में संभव करने पर भी काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि मुर्गी पालकों की मांग पर उन्होंने खुद दखल देकर सोया फीड के प्रयोग की अनुमति दिलाई.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में पोल्ट्री व्यवसाय को कुछ कंपनियों के साथ मिल कर किसानों ने ही खड़ा किया है. यदि किसी छोटे किसान को मुर्गी पालन करना है तो सरकार की ऐसी योजना है जिसकी मदद से वह किसान एक दिन के भीतर ही मुर्गी पालन शुरू कर सकता है. मगर, बाजार में उत्पाद को बेचने की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने समूह में यानि एफपीओ के माध्यम से ये व्यवसाय करने को प्रोत्साहित करना शुरू किया है. इससे किसान मजदूर के बजाय मालिक बन सकेगा.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि सहकारिता पर टिके 'अमूल मॉडल' को देश के किसानों को समझने की जरूरत है. छोटे पशुपालकों को जिस तरह से अमूल से जुड़ने का लाभ हो रहा है, उसी तरह अन्य किसानों को भी इस मॉडल को समझने की जरूरत है. पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के गुजरात आगमन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय शास्त्री जी ने अमूल डेयरी के माध्यम से ही डेयरी क्षेत्र की खास बातें गुजरात में समझी थीं और वहीं से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड यानिएनडीडीबी की स्थापना के विचार ने जन्म लिया था.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने चारे की समस्या के बारे में कहा कि देश में चारे की किल्लत एक समस्या है और सरकार इससे अवगत भी है. उन्होंने कहा कि समय के साथ गौचर जमीनों की कमी होना और मनुष्यों की तरह पशुधन की आबादी भी बढ़ना, इस समस्या की प्रमुख वजह है. रूपाला ने चारे की समस्या के लिए क्रॉप पैटर्न में बदलाव काे भी एक वजह बताते हुए कहा कि बाजार के लिए फसल उत्पादन होना भी इसकी एक वजह है. मगर अब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ेगा इससे इस समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सकता है.
रूपाला ने कहा कि एक तरफ हम पराली जला रहे हैं, जबकि यह एक चारा ही है, इसका कच्छ भेजने का सफल प्रयोग हुआ. इसे आगे बढ़ाया जा रहा है. हम इस विषय को राजनीति के नजरिए से नहीं देखते हैं. रूपाला ने कहा कि पराली को चारे में तब्दील करने की बात किसान भी जानते हैं लेकिन छोटे किसानों की इस मामले में मदद करने के लिए सहकारी समितियों और निजी कंपनियों को भी मदद की पहल करनी होगी.
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