भारत में होने वाला कटहल अमेरिका के लोगो को पसंद आ रहा है. सीधे से कहें तो अमेरिकन्स मांसाहार के विकल्प के तौर पर कटहल का प्रयोग कर रहे हैं. मसलन, भारतीय कटहल अमेरिका के लोगों के लिए शाकाहारी मीट साबित हो रहा है. इसकी तस्दीक भारत ये अमेरिका को एक्सपोर्ट हुए कटहल के आंकड़ें करते हैं. असल में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने एक स्टार्टअप वाकाओ फूड्स के साथ मिलकर बीते दिनों लगभग 13 टन कटहल-आधारित उत्पाद कोच्चि बंदरगाह से अमेरिका भेजे हैं. वाकाओ फूड्स एक गोवा-आधारित स्टार्टअप है, जो मुख्य रूप से कटहल से बने प्रोडक्ट तैयार करते हैं. वहीं एपीडा की तरफ से जानकारी मिली है कि भारत से कटहल की दूसरी खेप अगले 10 दिनों में भेजी जाएगी.
वाकाओ फूड्स कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों से कटहल मंगवाती है और कोच्चि में अपने कारखाने में उनका प्रसंस्करण करती है. उसके बाद वाकाओ दुबई, नीदरलैंड, नॉर्वे और सिंगापुर में कटहल का निर्यात करती है, जिसे मांस के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता है.
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एपीडा के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत में प्रोटीन आपूर्ति में विविधता लाने और प्रोटीन संबंधी कुपोषण से निपटने के लिए स्वदेशी इनपुट ल्यूक कटहल के वैश्वीकरण के महत्व पर जोर दिया. एपीडा ने एक बयान में कहा कि कटहल की इस वैश्विक मांग से उत्पादकों को उनकी आय में बढ़ोतरी होगी और उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा.
एपीडा सक्रिय रूप से प्लांट बेस्ड मीट उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है. वहीं इस श्रेणी में अधिक विकल्पों के साथ अपने निर्यात का विस्तार करने का इरादा रखता है. असल में शाकाहारी खाद्य उत्पादों में उच्च पोषक तत्व, समृद्ध फाइबर सामग्री और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं होती है.अपने इन गुणों की वजह से ये विश्व स्तर पर मांसाहार का विकल्प बन कर उभरे हैं.
वाकाओ फूड्स ने अमेरिकी बाजार के स्वाद और लोगों की पसंद को समझने और रेडी-टू-कुक और रेडी-टू-ईट विकल्पों सहित विशेष रूप से उपयुक्त उत्पाद विकसित करने के लिए पिछले आठ महीनों से काम कर रहा है. उनका प्रमुख उत्पाद कटहल का मांस है, जो बढ़ते शाकाहारी चलन को पूरा करता है. वहीं 2020 में लॉन्च हुए वाकाओ फूड ने 25 प्रतिशत मासिक वृद्धि हासिल की है.
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