भारत से ईरान को होने वाला बासमती चावल का निर्यात पहले से बहुत अधिक घट सकता है. भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जो ईरान को सबसे बड़ी मात्रा में बासमती चावल का निर्यात करता है. लेकिन अभी इसमें तेजी से कमी आ रही है. इसकी वजह है ईरान के पास घटता रुपये का रिजर्व. भारत और ईरान के बीच रुपये में ही बासमती चावल का व्यापार होता है. लेकिन हाल के महीनों में ईरान के पास रुपये का स्टॉक बड़ी मात्रा में घटा है जिससे दोनों देशों के बीच बासमती चावल के बिजनेस पर असर देखा जा सकता है.
रुपये के गिरते स्टॉक से ईरान को होने वाले चाय और दवा के व्यापार पर भी बुरा असर देखा जा सकता है. अभी तक ईरान तेल निर्यात से मिले भारत के रुपयों का इस्तेमाल चाय, बासमती चावल और दवा खरीदने में कर रहा था. लेकिन 2019 के मध्य में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लग गया. इस प्रतिबंध की वजह से भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया. इससे ईरान को मिलने वाले रुपये की आमद भी बंद हो गई. जब तक उसके पास रुपये का स्टॉक था, तब तक वह बासमती, चाय और चावल के लिए रुपया दे रहा था. अब यह स्टॉक खत्म हो रहा है जिससे ईरान को होने वाले निर्यात में कमी देखी जा सकती है.
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इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि ईरान के कई व्यापारी अन्य विकल्पों की तलाश में हैं ताकि भारत से बासमती चावल का आयात न रुके. ईरान में भारत के चावल की बहुत अधिक मांग है और वहां के लोग इसे बहुत पसंद भी करते हैं, इसलिए ईरान के व्यापारी अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. ईरान में बासमती चावल की अचानक कमी न हो जाए, इससे बचने के लिए वहां के आयातक फिलहाल पाकिस्तान, तुर्किये और थाइलैंड से चावल मंगा रहे हैं.
ईरान ने 2022-23 में भारत से लगभग दस लाख टन सुगंधित चावल का आयात किया, जो देश से 4.5 मिलियन टन के कुल बासमती निर्यात का 20.35 प्रतिशत है. नाम न छापने की शर्त पर दो लोगों ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से कहा कि मई 2019 में नई दिल्ली द्वारा ईरानी क्रूड खरीदना बंद करने के बाद 2019-20 से भारत-ईरान व्यापार में तेजी से गिरावट आई है. उस वक्त तक ईरान, भारत के टॉप तीन तेल सप्लायरों में से एक था. इस लिस्ट में सऊदी अरब और इराक के भी नाम दर्ज हैं.
एक एक्सपर्ट ने बताया कि ऐसा लगता है कि ईरान के पास रुपये का स्टॉक खत्म हो गया है. इसलिए लोकल करंसी में व्यापार करना अब संभव नहीं है. अभी जो स्थिति बनती दिख रही है, उसके मुताबिक भारत और ईरान में अब लोकल करंसी में व्यापार नहीं हो सकेगा. ईरान इस समस्या को समय रहते सुधारने के लिए बहुत पहले से संकेत देता रहा है.
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ईरानी अधिकारी भारत को समय-समय पर बताते रहे हैं कि तेल की खरीदारी शुरू की जाए वर्ना ईरान के पास रुपये का स्टॉक खत्म हो जाएगा. ईरान कहता रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत को किसी और विकल्प के बारे में सोचना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच तेल का व्यापार चलता रहे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और अब ईरान के पास रुपये का स्टॉक नहीं बचा जिससे बासमती चावल के व्यापार पर असर होता दिख रहा है.
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