International Year of Cooperatives-2025: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 की शुरुआत की. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2025 में नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित इंटरनेशनल कॉपरेटिव अलायंस (आईसीए) की ओर से आयोजित कांफ्रेंस में इसकी घोषणा की थी. अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान सहकारिता के विस्तार, इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाने, सहकारी संस्थाओं को समृद्ध बनाने और नए क्षेत्रों में सहकारिता की पहुंच बढ़ाने जैसे काम किए जाएंगे. मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने भारत में सहकारिता वर्ष मनाने के लिए 12 माह का एक कार्यक्रम तय किया है, जिसका शुक्रवार को उद्घाटन हो रहा है. भारत में सहकारिता वर्ष इस तरह से मनाया जाएगा कि उससे देश भर में सहकारिता आगे बढ़े.
शाह ने कहा कि 31 दिसंबर 2025 को जब सहकारिता वर्ष समाप्त होगा, तब तक हम सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को काफी हद तक प्राप्त कर चुके होंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को दुनिया की तीसरे नंबर की आर्थिक शक्ति और 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति में सहकारिता क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान होगा. सहकारिता क्षेत्र, सामाजिक समरसता, समानता और समावेशिता के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगा.
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केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में कुल 1465 शहरी सहकारी बैंक हैं, जिनमें से लगभग आधे गुजरात और महाराष्ट्र में हैं. देश में 49 शेड्यूल्ड बैंक हैं और 8 लाख 25 हज़ार से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं. डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, ऑनलाइन लेन-देन और विदेश के साथ व्यापार जैसी गतिविधियों को अर्बन कोआपरेटिव बैंक के साथ जोड़ने का का काम किया जाएगा. कोऑपरेटिव संस्थाओं का सारा लेनदेन कोऑपरेटिव बैंकों के माध्यम से ही होगा.
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के कई सारे मुद्दे भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सुलझाए हैं. आने वाले दिनों में अंब्रेला संगठन को मज़बूत कर हम विश्वास और व्यापार को बढ़ाएंगे और सभी अड़चनों को दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि नए बायलॉज़ से बनी 10 हज़ार बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (MPACS) का ट्रेनिंग प्रोग्राम आज शुक्रवार को शुरू हो रहा है. देश की हर पंचायत में एक पैक्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है और पैक्स की वायबिलिटी के लिए मॉडल बायलॉज़ बनाए गए हैं, जिन्हें सभी राज्यों ने स्वीकार किया है.
उन्होंने कहा कि मॉडल बायलॉज़ के तहत अब पैक्स कई प्रकार की अलग-अलग नई गतिविधियां शुरू कर सकते हैं. मोदी सरकार ने 2500 करोड़ रुपये खर्च कर हर पैक्स को कंप्यूटर और सॉप्टवेयर दिए हैं और कई प्रकार की नई गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का प्रयास किया है. कंप्यूइसे सफल बनाने के लिए हमें तकनीक को अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि पैक्स में प्रोफेशनलिज्म लाकर इसके माध्यम से पूरे सहकारिता क्षेत्र को मज़बूत करना होगा. बैंक हो या पैक्स, हमें विश्वास के साथ नई तकनीक को जानने वाले युवाओं को साथ लाना होगा, तभी हम सहकारिता को आत्मनिर्भर बना सकेंगे.
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