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Fisheries: अब मछली पकड़ने वाली बोट और जाल का भी होगा बीमा, जानें डिटेल 

Fisheries: अब मछली पकड़ने वाली बोट और जाल का भी होगा बीमा, जानें डिटेल 

मछली पालन से आजीविका के अनेक अवसर मिलते हैं. लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और उतार-चढ़ाव वाले बाजारों से उत्पन्न जोखिमों के कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. मछली पालन में मजबूत सामाजिक सुरक्षा और नुकसान से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत केंद्र सरकार जोखिम को कम करने के लिए बीमा योजना का विस्तार किया जा रहा है. 

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The incident took place when workers were removing fish from the boat Anjani Putra around 11 am. (Photo: ANI) The incident took place when workers were removing fish from the boat Anjani Putra around 11 am. (Photo: ANI)

सरकार का कहना है कि मछली पालन भारतीय समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मछली पालन से जहां जीविका, रोजगार और इनकम होती है वहीं इससे विदेशी मुद्रा भी मिलती है. आंकड़ों के मुताबिक सीधे तौर पर करीब तीन करोड़ लोग मछली पालन से जुड़े हुए हैं. मछली पकड़ने, मछली पालन, प्रोसेसिंग, ट्रांसपोर्ट और मार्केटिंग आदि में करोड़ों लोग कई तरीके से जुड़े हुए हैं. लेकिन फिश एक्सपर्ट की मानें तो मछली पकड़ने में जोखिम बहुत है. प्राकृतिक आपदाओं के चलते मछुआरों को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ता है. 

इसी को देखते हुए सरकार मछली पकड़ने वालीं बोट, जाल, पतवार और मशीनरी आदि का बीमा कराने की योजना तैयार कर रही है. जल्द ही इसे लागू किया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो 17 जनवरी को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से एक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. सम्मेलन मत्स्य पालन और जलीय कृषि बीमा पर आयोजित किया जा रहा है. इसी सम्मेलन में जाल और बोट का बीमा करने वाली योजना का भी शुभारंभ किया जा सकता है. 

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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उत्पाद का भी होगा बीमा 

मछली हो या झींगा जलीय फसल को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. कई बार जलवायु परिस्थितियों के चलते भी मछली और झींगा में बीमारियां आ जाती हैं. मछुआरों के इसी जोखिम को कम करने के लिए केन्द्र सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पीएमएमएसवाई के तहत कई बीमा योजनाएं तैयार की गई हैं. जानकारों की मानें तो इसे एक्वा फसल बीमा (एसीआई) नाम दिया गया है. बीमा कवरेज को बढ़ावा देने के लिए, 2200 हेक्टेयर की सीमा तक पायलट योजना लागू की जा रही है. एसीआई झींगा फसल (एल वन्नामेई) और मछली फसल (कार्प्स) दोनों को बीमा कवरेज देता है. एसीआई को लागू करने का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि  इससे उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता और मानकों के अनुपालन में सुधार आएगा. 

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जानें योजना का किसे कितना मिलेगा फायदा 

एसीआई के तहत नेशनल फिश डवलपमेंट बोर्ड (एनएफडीबी) किसानों को बीमा प्रीमियम (जीएसटी छोड़कर) जनरल कैटेगिरी के लिए 20 फीसद और एससी-एसटी और महिला वर्ग के लिए 30 फीसद की सहायता प्रदान करता है. एसीआई के आने वाले दावों का निपटारा यूनीलाइट इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा. ऐसे दावों का निपटारा कराने के लिए OICL को नोडल एजेंसी बनाया गया है. एनएफडीबी ने अभी तक ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को 615 हेक्टेयर मछली की फसल और 414 हेक्टेयर झींगा फसल का बीमा करने के लिए 55.59 लाख रुपये की सहायता दी है.