भारत में चावल की रोपाई में तेजी देखी जा रही है. मॉनसून की बारिश बढ़ते ही किसानों ने खरीफ चावल की रोपनी तेज कर दी है. ताजा आंकड़े के मुताबिक किसानों ने 283 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई की है. यह रकबा पिछले साल इसी अवधि की रोपाई से 3.28 परसेंट अधिक है. बारिश बढ़ने से धान की रोपाई में वृद्धि देखी जा रही है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है. एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में धान की अधिक रोपाई और अधिक उत्पादन पूरी दुनिया के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि इससे खाद्य महंगाई को काबू में रखने में मदद मिलेगी. इससे भारत में भी चावल के दाम कम करने में आसानी होगी.
भारत ने पिछले महीने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत से सबसे अधिक गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात होता है जिसे भारत ने जुलाई में प्रतिबंधित कर दिया. भारत चूंकि दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, इसलिए पूरी दुनिया में अफरा-तफरी का माहौल देखा जा रहा है. भारत सरकार से अपील की जा रही है कि निर्यात बैन के फैसले पर विचार हो क्योंकि इससे कई छोटे देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
भारत में किसान एक जून से खरीफ फसलों की बुआई शुरू करते हैं जिनमें धान, मक्का, कपास, सोयाबीन, गन्ना और मूंगफली शामिल हैं. जून के पहले हफ्ते में ही मॉनसून की बारिश शुरू होती है जिसके बाद किसान फसलों की बुआई तेज करते हैं. मॉनसून की बारिश देश के आधे हिस्से के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन इलाकों में सिंचाई की कोई सही व्यवस्था नहीं है.
ये भी पढ़ें: तेजी से बढ़ सकता है बासमती चावल का निर्यात, व्यापारियों ने अभी से शुरू की तैयारी
जून और जुलाई को जोड़ दें तो इन दोनों महीनों में सामान्य से पांच फीसद अधिक बारिश दर्ज की गई है. हालांकि जून में इसमें 10 फीसद की कमी थी, लेकिन जुलाई में इसमें 13 परसेंट का उछाल देखा गया. मौसम विभाग के मुताबिक 96 परसेंट से लेकर 104 परसेंट की बारिश को सामान्य माना जाता है. इस साल जून में देश के कई हिस्सों में कम बारिश हुई, खासकर दक्षिण, पूर्वी और मध्य भारत में जिससे खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई. लेकिन जैसे ही बारिश ने तेजी पकड़ी, किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई भी तेज कर दी.
दूसरी ओर, देश के कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां अनाजों की खेती बड़े पैमाने पर होती है, जैसे पंजाब और हरियाणा. इन दोनों राज्यों में इस बार इतनी अधिक बारिश हुई कि बाढ़ के हालात बन गए. इससे कई फसलें चौपट हो गईं जबकि दूसरी ओर देश के कई हिस्सों में सूखा देखा गया. अभी भी सूखे के हालात बने हुए हैं.
ये भी पढ़ें: चावल की भूसी और दूध की महंगाई में है सीधा कनेक्शन! तभी सरकार ने लिया इतना बड़ा एक्शन
किसानों ने 17.9 मिलियन हेक्टेयर (44.2 मिलियन एकड़) में सोयाबीन सहित तिलहन की बुआई की, जो एक साल पहले की तुलना में 2.2 परसेंट अधिक है. मकई 7.6 मिलियन हेक्टेयर (18.8 मिलियन एकड़) में लगाया गया था, जो एक साल पहले 7.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक था. कपास का रकबा थोड़ा कम यानी 11.9 मिलियन हेक्टेयर था.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today