Shrimp: इंटरनेशनल मार्केट की तरह फ्रोजन झींगा को चाहिए घरेलू बाजार, जानें डिटेल 

Shrimp: इंटरनेशनल मार्केट की तरह फ्रोजन झींगा को चाहिए घरेलू बाजार, जानें डिटेल 

बीते कुछ माह पहले मत्य् और पशुपालन मंत्रालय की ओर से सी फूड कारोबार से जुड़े लोगों के साथ एक बेविनार का आयोजन किया गया था. झींगा के साथ ही फ्रोजन फिश का घरेलू बाजार तैयार करने पर चर्चा हुई थी. इसी दौरान विभाग के सचिव जतीन्द्र नाथ स्वैन का कहना था कि फ्रोजन झींगा-मछली की तरफ लोगों का विश्वास जीतना है तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में भी लाने होंगे.

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Shrimp: इंटरनेशनल मार्केट की तरह फ्रोजन झींगा को चाहिए घरेलू बाजार, जानें डिटेल वेनामी झींगा. फोटो क्रेडिट-किसान तक

एक्सपोर्ट में लम्बी छलांग लगाने के बाद अब झींगा के लिए घरेलू बाजार तैयार करने की कोशिशें चल रही हैं. कोशिश है कि झींगा के कुल उत्पादन के 30 फीसद हिस्से को देश में ही बाजार मिल जाए. अगर ऐसा होता है तो ये तय है कि झींगा किसानों के घर पैसे की बारिश होने लगेगी. झींगा एक्सपर्ट की मानें तो अभी झींगा का ये 30 फीसद हिस्सा  70 फीसद की कामयाबी पर पानी फेर देता है. क्योंकि अभी झींगा उत्पादन पूरी तरह से एक्सपोर्ट पर निर्भर है. मत्य्र-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की मानें तो 35 हजार करोड़ रुपये वाले सी फूड एक्सपोर्ट में 70 फीसद हिस्सेदारी झींगा की है. 

हाल ही में मंत्रालय की ओर से जारी एक आंकड़े के मुताबिक फ्रोजन झींगा का एक्सपोर्ट 233 फीसद तक बढ़ा है. केन्द्र सरकार ने मत्य् और पशुपालन मंत्रालय का बजट भी बढ़ाया है. मछली पालन करने और मछली पकड़ने वालों को तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. सीफूड एक्सपोर्ट को और बढ़ावा देने के लिए ही मंत्रालय सागर परिक्रमा फेज थ्री का आयोजन कर रहा है. 

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तीन लाख टन झींगा बेचना हो जाता है मुश्किल 

झींगा एक्सपर्ट और झींगालाला फूड चेन के संचालक डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि तीन लाख टन झींगा को हमारे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में ग्राहक नहीं मिल पाते हैं. हमारे देश में करीब 160 लाख टन मछली खाई जाती है. दो हजार रुपये किलों तक की मछली भी खूब बिकती है. जबकि झींगा तो सिर्फ 350 रुपये किलो है. दो सौ से ढाई सौ रुपये किलो का रेड मीट खाया जा रहा है. जिसमे करीब 15 फीसद प्रोटीन है,

जबकि झींगा में 24 फीसद प्रोटीन होता है. ऐसे में अगर हमारे देश में तीन से चार लाख टन झींगा की भी खपत हो जाए तो भारत झींगा के मामले में विश्व में नंबर वन होगा. जरूरत बस इतनी भर है कि अगर देश के दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, चंडीगढ़, बेंग्लोर आदि शहरों में भी झींगा का प्रचार किया जाए तो इसकी खपत बढ़ सकती है. यूपी और राजस्थान तो विदेशी पर्यटको के मामले में बहुत अमीर हैं. वहां तो और भी ज्यादा संभावनाएं हैं. लेकिन बड़ी ही हैरत की बात है कि तीन लाख टन झींगा ग्राहक तलाशता रहता है. 

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72 हजार से 2.39 लाख करोड़ का हुआ झींगा एक्सपोर्ट

हमारे देश में करीब 10 लाख टन झींगा का उत्पादन होता है. इसमे से सात लाख टन झींगा एक्सपोर्ट हो जाता है. मत्य् .3 और पशुपालन मंत्रालय के आंकड़ों पर जाएं तो साल 2003-04 से लेकर 2013-14 तक फ्रोजन झींगा का एक्सपोर्ट 72 हजार करोड़ रुपये का हुआ था. जबकि साल 2014-15 से लेकर 2021-22 तक फ्रोजन झींगा का 2.39 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हो चुका है. यह एक बड़ी कामयाबी है. इंटरनेशनल बाजार में झींगा की डिमांड बनी रहती है. 

 

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