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eNAM का नाम ही काफी है...अब किसान ऑनलाइन बेचते हैं उपज, खेत से माल उठाते हैं व्यापारी  

eNAM का नाम ही काफी है...अब किसान ऑनलाइन बेचते हैं उपज, खेत से माल उठाते हैं व्यापारी  

ई नाम के व्यापार से एक संकेत साफ मिलता है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये कृषि उत्पादों की बिक्री में बहुत बड़ा उछाल भले न हो, लेकिन किसान-व्यापारी इसे अच्छे विकल्प के तौर पर जरूर देख रहे हैं. किसान अपने जिसों के अच्छे भाव के लिए डिजिटल बाजार की दुनिया में रुख कर रहे हैं. अप्रैल-जनवरी के बीच ई नाम पर हुए कुल व्यापार में फार्म गेट (खेत से माल की बिक्री) की हिस्सेदारी 79 करोड़ रुपये है.

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अब किसान ऑनलाइन बेच रहे अपनी उपज अब किसान ऑनलाइन बेच रहे अपनी उपज

इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (eNAM) पर पहले की तुलना में खरीद-बिक्री में दिनों दिन तेजी देखी जा रही है. इस प्लेटफॉर्म पर जिंसों (खासकर कृषि उत्पादों) के व्यापार में न केवल राज्यों के भीतर वृद्धि देखी जा रही है बल्कि राज्यों के बीच भी व्यापार में तेजी है. ई नाम ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां व्यापारी या किसान अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और घर बैठे या खेत से अपना माल ऑनलाइन बेच सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर किसान अपने सामान की जानकारी देते हैं और दूर बैठा कोई ग्राहक या व्यापारी उसे खरीदता है. इन दोनों के बीच में कोई एजेंट नहीं होता बल्कि माल का पैसा सीधा किसानों के खाते में जाता है. 

इन राज्यों में ऑनलाइन बेची जा रही उपज

'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' ने कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि देश के कई राज्यों- आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कई किसानों ने ई नाम के जरिये ऑनलाइन अपनी उपज बेची है. इन उपजों में धान, मक्का, कपास, सूरजमुखी, प्याज और टमाटर तक शामिल हैं. इसमें सबसे अच्छी बात ये है कि किसानों को अपना माल लेकर मंडियों में नहीं जाना पड़ा बल्कि खरीदार खुद उनके खेत पर आए और उपज खरीद कर ले गए. ऐसा संभव हुआ है ई नाम प्लेटफॉर्म से.

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2023-24 में हुआ इतने करोड़ रुपये का व्यापार

हालांकि ई नाम के पूरे बिजनेस को देखें तो अभी यह कम है, लेकिन पहले से इसमें बढ़ोतरी जरूर है. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जनवरी 2023-24 के बीच राज्यों में और राज्यों के बीच 63,530 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है जो कि एक साल में 04 फीसदी का उछाल है. इसमें खेत से होने वाली बिक्री (फार्म गेट) का हिस्सा बहुत कम है, लेकिन इसमें तेजी के संकेत दिख रहे हैं.

डिजिटल बाजार का बढ़ा दायरा

ई नाम के व्यापार से एक संकेत साफ मिलता है कि ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये कृषि उत्पादों की बिक्री में बहुत बड़ा उछाल भले न हो, लेकिन किसान-व्यापारी इसे अच्छे विकल्प के तौर पर जरूर देख रहे हैं. किसान अपने जिसों के अच्छे भाव के लिए डिजिटल बाजार की दुनिया में रुख कर रहे हैं. अप्रैल-जनवरी के बीच ई नाम पर हुए कुल व्यापार में फार्म गेट (खेत से माल की बिक्री) की हिस्सेदारी 79 करोड़ रुपये है. पिछले साल यह हिस्सा बहुत छोटा था, लेकिन इस साल बड़ी तेजी दर्ज की जा रही है.

ई नाम पर मंडियों के बीच आई तेजी

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का सुझाव है कि राज्यों को ई नाम पर अधिक से अधिक व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए. इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचेगा. किसान को पैसा खर्च कर गाड़ियों में माल लेकर मंडी तक नहीं जाना होगा बल्कि व्यापारी खुद ही खेत पर आकर कृषि उत्पादों को खरीद सकेंगे. रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल-जनवरी के दौरान ई नाम पर मंडियों के बीच 151 फीसदी की तेजी है और यह 1299 करोड़ का कारोबार है. ई नाम पर पहले राज्यों के बीच व्यापार नहीं होता था, लेकिन साल भर पहले जब से यह शुरू हुआ है तब से इसमें तेजी दर्ज की जा रही है.

कई राज्यों के किसानों को फायदा

अप्रैल 2016 में लॉन्च होने के बाद से ई नाम प्लेटफॉर्म पर मंडियों की संख्या देखें तो यह तमिलनाडु  में 157), राजस्थान में 145, गुजरात में 144, महाराष्ट्र  में 133, उत्तर प्रदेश में 125 और हरियाणा सहित 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 108 है. इसके अलावा, 3405 एफपीओ, लगभग ढाई लाख व्यापारी और लगभग एक लाख कमीशन एजेंट ई-एनएएम के साथ रजिस्टर्ड हैं. 

मौजूदा समय में ई नाम प्लेटफॉर्म संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित 209 कृषि, बागवानी और अन्य वस्तुओं में ऑनलाइन व्यापार की अनुमति देता है. सूत्रों की मानें तो देश में लगभग 7000 मंडियां होने का अनुमान है और संबंधित राज्यों के मंडी बोर्डों की सिफारिश के बाद कृषि उपज का बाजार ई नाम के बोर्ड पर आता है.