बीते कुछ वक्त से झींगा ने किसानों की परेशानी को बढ़ाया हुआ है. इंटरनेशनल मार्केट से झींगा के बारे में लगातार बुरी खबर आ रही है. झींगा के बड़े खरीदार देश भी झींगा उत्पादकों को आंखे दिखा रहे हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि बाजार में झींगा के रेट घट रहे हैं तो तालाब में झींगा का उत्पादन. झींगा उत्पादक किसान मंझधार में हैं कि करें तो क्या करें. शायद यही वजह है कि भारत में झींगा के लिए घरेलू बाजार की चर्चाएं हो रही हैं. इतना ही नहीं इसी बीच ब्लैक टाइगर भी चर्चा में आ गया है.
पहले झींगा के लिए घरेलू बाजार की चर्चा हुई. फिर अचानक से ब्लैक टाइगर झींगा की बात होने लगी. हालांकि घरेलू बाजार की चर्चा नई नहीं है, बस रफ्तार अब पकड़ी है. ऐसा झींगा बाजार में क्या हुआ. क्यों ऐसे हालात बने कि झींगा के लिए घरेलू बाजार की चर्चा होने लगी. अमेरिकन वेनामी झींगा को छोड़ ब्लैक टाइगर झींगा की बात हो रही है. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए किसान तक ने बात की झींगा एक्सपर्ट और उत्पादक डॉ. मनोज शर्मा से.
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डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि देश में झींगा उत्पादन 10 लाख टन पर पहुंच गया है. पंजाब-हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान के चुरू तक में झींगा उत्पा दन हो रहा है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि झींगा फार्मर के पास एक्सपोर्ट के अलावा घरेलू बाजार नहीं है. हमारे देश में करीब 160 लाख टन मछली खाई जाती है. दो हजार रुपये किलों तक की मछली भी देश में खाई जा रही है. जबकि झींगा तो सिर्फ 350 रुपये किलो है. दो सौ से ढाई सौ रुपये किलो का रेड मीट खाया जा रहा है. जिसमे करीब 15 फीसद प्रोटीन है, जबकि झींगा में 24 फीसद प्रोटीन होता है.
ऐसे में अगर हमारे देश में तीन से चार लाख टन झींगा की भी खपत हो जाए तो भारत झींगा के मामले में विश्व में नंबर वन होगा. जरूरत बस इतनी भर है कि अगर देश के दिल्ली, मुम्बई, चैन्नई, चंडीगढ़, बेग्लोर आदि शहरों में भी झींगा का प्रचार किया जाए तो इसकी खपत बढ़ सकती है. यूपी और राजस्थान तो विदेशी पर्यटको के मामले में बहुत अमीर हैं. वहां तो और भी ज्यादा संभावनाएं हैं.
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एशियाई ब्लैटक टाइगर ही झींगा के बड़े उत्पादक इक्वाडोर को इंटरनेशनल बाजार में टक्कर दे सकता है. ये कहना है मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला का. केन्द्र सरकार भी ब्लैक टाइगर को वापस लाने की बात कह रही है. उनका कहना है कि सी फूड में सबसे ज्यादा इनकम झींगा एक्सपोर्ट से होती है. 35 हजार करोड़ रुपये वाले सी फूड एक्सपोर्ट में 70 फीसद हिस्सेदारी झींगा की है. लेकिन बीते कुछ वक्त से झींगा एक्सपोर्ट में गिरावट दर्ज की जा रही है. इसी के चलते रेट भी कम हुए हैं. इक्वाडोर के झींगा से भारत के झींगा एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है. अभी देश में जो झींगा पाला जा रहा है वो विदेशी (अमेरिकन) वैराइटी का है.
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