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जलवायु परिवर्तन से निपटने को जरूरी है खेत से कचरा कम निकले और रिसाइकिल हो- एक्सपर्ट

जलवायु परिवर्तन से निपटने को जरूरी है खेत से कचरा कम निकले और रिसाइकिल हो- एक्सपर्ट

वाइस चांसलर सम्मेलन के दौरान भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के नए अध्यक्ष के रूप में डॉ. परविंदर कौशल को नया अध्यक्ष चुना गया. वहीं 11 शिक्षकों और वैज्ञानिकों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक, सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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वाइस चांसलर सम्मेलन के दौरान मौजूद अतिथ‍ि. वाइस चांसलर सम्मेलन के दौरान मौजूद अतिथ‍ि.

खेती और पशुपालन के लिए जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती बन रहा है. खेती और पशुपालन दोनों ही ऐसे सेक्टर हैं जिनसे देश की आबादी सीधे तौर पर जुड़ी हुई है. इसलिए खेती और पशुपालन में होने वाला छोटा सा बदलाव भी देश को प्रभावित करता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि जलवायु परिवर्तन से निपटा नहीं जा सकता है. अगर खेत में फसलों से जुड़ा कचरा कम निकले और निकलने वाले थोड़े से कचरे को भी रिसाइकिल किया जाए तो जलवायु परिवर्तन के असर को कम किया जा सकता है. ये कहना है डॉ. सोहन सिंह वालिया, निदेशक स्कूल ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग, पंजाब एग्रीकल्चोर यूनिवर्सिटी (पीएयू) का. उनका कहना है कि ऐसा होने से खेतों में रसायनों का इस्तेमाल घटेगा और किसानों की इनकम भी स्थायी होगी. 

गौरतलब रहे भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के बैनर तले गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में 47वे वाइस चांसलर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस सम्मेलन में भारतीय कृषि, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन से जुड़े छह खास विषयों पर फूड सिक्योरिटी, जलवायु परिवर्तन और किसान कल्याण के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर चर्चा की जा रही है.

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बड़ी चुनौती है वैश्विक स्तर पर घटता जलस्तर

सम्मेलन के दौरान कनाडा से आए डॉ. बलजीत सिंह, उपाध्यक्ष (अनुसंधान), सास्काचेवान विश्वविद्यालय, सास्काटून, ने "एक ग्रह, एक स्वास्थ्य और एक भविष्य" पर चर्चा की. डॉ. सिंह ने खाद्य सुरक्षा, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और वैश्विक स्तर पर घटते जलस्तर की चुनौतियों के बारे में भी बताया. वहीं पर्यावरण प्रणाली की जटिलता को दूर करने के लिए एक विजन की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने अच्छे स्वास्थ्य, कल्याण, स्वच्छ पानी, स्वच्छता, जलवायु, पानी के नीचे जीवन और भूमि पर जीवन जैसे विषयों पर रिसर्च की जरूरत महसूस की. उनका कहना था कि इस मामले में कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय बड़ा योगदान दे सकते हैं.

बढ़ेगा बागवानी फसलों का आयात-निर्यात

पीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. एएस धट्ट ने बागवानी की मौजूदा चुनौतियों और दृष्टिकोण पर चर्चा की. उन्होंने भारत में जनसंख्या और कृषि-कार्यबल, बागवानी फसलों की हिस्सेदारी और हालात के बारे में खास जानकारी दी. उनका कहना है कि अभी बागवानी के जो हालात हैं वो उत्पादकता में बढ़ोतरी और बागवानी फसलों का आयात-निर्यात बढ़ने का इशारा दे रहे हैं. 

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भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर सिंह ने अपने भाषण में कहा कि इस सम्मेवलन के दौरान पांच तकनीकी सत्रों में हुई बातचीत से निकली सिफारिशें किसानों को फायदा पहुंचाएंगी, वहीं नीति-निर्माताओं के लिए नीतियां विकसित करने में मददगार साबित होंगी. वाइस चांसलर गडवासु, डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन ने कुलपतियों और नीति निर्माताओं को कृषि और पशुधन क्षेत्रों के किसानों और पशुपालकों के साथ बातचीत करने का मौका दिया है. साथ ही वर्तमान चुनौतियों और आने वाली चुनौतियों को हल करने के उपायों पर भी चर्चा हुई.