Raksha Bandhan 2023: इस बार बाजार में आई 'किसान राखी', इस लड़की ने तैयार किया है खास डिजाइन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Raksha Bandhan 2023: इस बार बाजार में आई 'किसान राखी', इस लड़की ने तैयार किया है खास डिजाइन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है और बाजार में हर तरफ रंग-बिरंगी राखियों की रौनक है. इस बीच छत्तीसगढ़ से एक बेहद खास खबर आई है एक खास राखी को लेकर जिसका नाम है - किसान राखी.

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Raksha Bandhan 2023: इस बार बाजार में आई 'किसान राखी', इस लड़की ने तैयार किया है खास डिजाइन, पढ़ें पूरी रिपोर्टइस राखी भाइयों की कलाई पर बंधेगी धान से बनी राखियां

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के जांजगीर जिले में सबसे ज्यादा धान की खेती की जाती है. यहां पर इस साल राखी के आने वाले त्योहार के लिए एक नई सोच देखने को मिल रही है. यहां धान की बालियों से राखी बनाई जा रही हैं. दरअसल जिले की एक बेटी जिसका नाम नंदनी बघेल है उसने एक कलात्मक नवाचार को लेकर धान से राखी बनाई है. इसकी लोग खूब सराहना कर रहे हैं. इस राखी भाई की कलाई में धान से बनी राखियां देखने को मिलेंगी. इसको लेकर नंदनी ने कहा कि उसने धान से राखी बनाने के लिए बाजार से केवल रिबन और रंग खरीदे हैं.

नंदनी ने बताया कि एक राखी के निर्माण में मेहनत और बहुत समय लगता है, जिसके कारण से उन्होंने बाजार में एक राखी की कीमत 50 रुपये रखी है. धान से पहली बार 500 राखी ही बनाई गई हैं. नंदनी ने कहा कि इसमें धान के अलावा चावल, मोती, कौड़ी, स्टोन से खूबसूरत रंग-बिरंगे धागों से सजी राखियों का निर्माण किया गया है. नंदनी ने कहा कि इस वर्ष अच्छी बिक्री होने पर अगले वर्ष अधिक मात्रा में राखियां बनाई जाएंगी, इसे बेचने के लिए कचहरी चौक में दुकान लगाई जाएंगी.

शिक्षक से मिली राखी बनाने की प्रेरणा

नंदनी ने बताया कि धान से राखी बनाने की प्रेरणा उनके शिक्षक चूड़ामणि से मिली हैं. नंदनी ने कहा कि स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. नंदनी ने बताया कि अगर ये राखी लोगों को पसंद आई तो आगे आने वाले समय में भी उनका काम जारी रहेगा. नंदनी PGDCA से पढ़ाई कर रही हैं. उनके पिता अनंदराम बघेल और उनकी माता और भाई बहन उनको इस कार्य के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

धान से बनी राखियों का नाम किसान राखी

नंदनी बघेल ने बताया कि धान से राखी बनाने में बहुत मेहनत लगती है. एक राखी बनाने में तकरीबन आधा घंटे से अधिक का समय लगता है जबकि इतने समय में दूसरी राखियां पांच से अधिक बनाई जा सकती हैं. धान से बनी राखियों को किसान राखी का नाम दिया गया है, जिसे लुभाने वाली पैकिंग के साथ बाजार में बेचने के लिए लाया जाएगा.

(दुर्गेश यादव, जांजगीर-चांपा की रिपोर्ट)

 

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