विश्व झींगा उत्पादन में भारत का 10 लाख टन के साथ दूसरा नंबर है. पहले नंबर पर इक्वाडोर है. बावजूद इसके झींगा उत्पादक किसानों के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं. इंटरनेशनल मार्केट में उलटफेर के चलते झींगा किसान ही नहीं एक्सपोर्टर भी भारी दबाव में है. इसी दबाव के चलते झींगा के रेट कम हो गए हैं और उत्पादन घट गया है. वजह है उत्पादन का 70 से 75 फीसद झींगा एक्सपोर्ट होता है. लेकिन अब झींगा उत्पादकों के जल्द ही अच्छे दिन आ सकते हैं. केन्द्र सरकार झींगा को लेकर कुछ बड़ा प्लान कर रही है. इसी कड़ी में वर्ल्ड फिशरीज डे 21 नवंबर के मौके पर सरकार कोई बड़ी घोषणा कर सकती है.
झींगा को पोल्ट्री के अंडे और डेयरी की तरह से बढ़ावा दे सकती है. घरेलू बाजार की रूपरेखा तय हो सकती है. इस बात के संकेत केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किसान तक से हुई बातचीत में दिए हैं. किसान तक लगातार झींगा उत्पादक की आवाज बनकर झींगा को संजीवनी देने के लिए समय-समय पर खबरें पब्लिश करता रहा है. गौरतलब रहे केन्द्रीय मत्स्य विभाग वर्ल्ड फिशरीज डे के मौके पर अहमदाबाद, गुजरात में ग्लोबल फिशरीज कॉक्लेव इंडिया-2023 का आयोजन कर रहा है. इस कॉक्लेव में 50 से ज्यादा देशों के फिशरीज एक्सपर्ट हिस्सा ले रहे हैं.
ये भी पढ़ें: Shrimp: मंदी में चल रहे झींगा को अमेरिका ने दिया झटका, 50 हजार करोड़ के कारोबार पर संकट
झींगा एक्सपर्ट और उत्पादक किसान डॉ. मनोज शर्मा बीते कई साल से झींगा के लिए घरेलू बाजार तैयार करने की मांग करते आ रहे हैं. इंटरनेशनल मार्केट में आने वाली परेशानियों से भी आगाह कर रहे थे. किसान तक से बातचीत में डॉ. मनोज ने बताया कि भारत से झींगा खरीदने वाले दो बड़े खरीदार अमेरिका और चीन हैं. हालांकि जापान, बेल्जिययम, वियतनाम, रूस और यूएई भी भारत से झींगा खरीदते हैं.
लेकिन इस साल के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों की मानें तो चीन, अमेरिका, वियतनाम, जापान और बेल्जियम समेत सभी खरीदारों ने झींगा को बड़ा झटका दिया है. इस साल जनवरी से जुलाई तक एक्सपोर्ट की जारी की गई रिपोर्ट खासी चौंकाने वाली है. इस वक्त में अमेरिका ने 1.59 लाख टन झींगा खरीदा है. जबकि बीते साल इसी वक्त के मुकाबले ये 17 फीसद कम है. चीन ने 77 हजार टन खरीदा है जो बीते साल के मुकाबले 28 फीसद कम है. जबकि वियतनाम ने 27 हजार टन खरीदा है जो 11 फीसद कम है.
यूएई ने 10 हजार टन खरीदा जो 16 फीसद कम है. परेशानी वाली बात ये है कि हर तिमाही में झींगा एक्सपोर्ट घट रहा है. पिछली रिपोर्ट में भी खासी कमी देखी गई थी. अमेरिका द्वारा भारतीय झींगा के लिए बनाई जा रही नियमावली और चीन द्वारा अपना घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाए जाने की खबरें आने वाले वक्त में अगर सच साबित होती हैं तो ये वक्त झींगा के लिए और भी खराब है.
ये भी पढ़ें: Aqua Expo 2023: तालाब में जाल डालकर नहीं मशीनों से पकड़ा जाएगा झींगा, जानें डिटेल
डॉ. मनोज ने बताया कि हमारे देश में करीब 160 लाख टन मछली खाई जाती है. दो हजार रुपये किलों तक की मछली भी खूब बिकती है. लेकिन झींगा को हमारे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में ग्राहक नहीं मिल पाते हैं. जबकि झींगा तो सिर्फ 350 रुपये किलो है. दो सौ से ढाई सौ रुपये किलो का रेड मीट खाया जा रहा है. जिसमे करीब 15 फीसद प्रोटीन है, जबकि झींगा में 24 फीसद प्रोटीन होता है. जरूरत बस इतनी भर है कि अगर देश के दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, चंडीगढ़, बेंग्लोर आदि शहरों में भी झींगा का प्रचार किया जाए तो इसकी खपत बढ़ सकती है. यूपी और राजस्थान तो विदेशी पर्यटको के मामले में बहुत अमीर हैं. वहां तो और भी ज्यादा संभावनाएं हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today