Chicken: जनवरी तक सस्ता मुर्गा खाने को मिलेगा बाजार में, जानें कैसे आधे रेट पर आया चिकन

Chicken: जनवरी तक सस्ता मुर्गा खाने को मिलेगा बाजार में, जानें कैसे आधे रेट पर आया चिकन

चिकन के तौर पर खाया जाने वाला मुर्गा 32 से 35 दिन में खाने के लिए तैयार हो जाता है. बाजार में 11 सौ ग्राम से लेकर ढाई किलो वजन तक के मुर्गे की डिमांड रहती है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो लगातार चिकन के रेट में फेरबदल होता रहता है. रेट के हिसाब से ही पोल्ट्री फार्मर चूजे पालकर मुर्गे बेचते हैं. 

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Chicken: जनवरी तक सस्ता मुर्गा खाने को मिलेगा बाजार में, जानें कैसे आधे रेट पर आया चिकनब्रॉयलर चिकन का प्रतीकात्मक फोटो.

रिपोर्ट बताती हैं कि नॉनवेज में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला आइटम चिकन है. नॉनवेज में सबसे सस्ता होने के चलते भी बाजार में चिकन की डिमांड बनी रहती है. पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि बीते साल के मुकाबले 2022-23 में 25 करोड़ मुर्गें ज्यादा खाए गए. लेकिन पोल्ट्री फार्मर की एक गलती की वजह से बाजार में मुर्गे के रेट धड़ाम हो गए हैं. फार्मर लागत से भी कम रेट पर मुर्गा बेचने को मजबूर हैं. दो महीने में ही मुर्गे के रेट आधे रह गए हैं. 

पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अभी दो महीने तक चिकन के रेट सामान्य् होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसका असर चिक्स (चूजे) बेचने वालों पर भी पड़ रहा है. लेकिन इस दौरान नॉनवेज के शौकीनों की बल्ले-बल्ले हो गई है. रिटेल में उन्हें 140 रुपये किलो तक चिकन खाने को मिल रहा है. 

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160 से 75 रुपये पर आ गए चिकन के रेट 

पोल्ट्री एक्सपर्ट नदीम ने बताया कि आंकड़ों पर जाएं तो सितम्बर में होलसेल बाजार में जिंदा मुर्गे के रेट 160 रुपये किलो तक पहुंच गए थे. ये वो वक्त था जब बाजार में माल कम था और डिमांड लगातार बनी हुई थी. हालांकि ये त्यौ़हारी सीजन था, बावजूद इसके खाने वालों की कोई कमी नहीं थी. इस दौरान लगातार चिकन के रेट 140 से लेकर 160 के बीच बने रहे. लेकिन आज हालात ये हैं कि दो किलो और उससे ऊपर के वजन का चिकन 70 से 75 रुपये किलो तक होलसेल बाजार में बिक रहा है. बीच-बीच में कभी 80 रुपये किलो पर आ जाता है. जबकि चिकन की लागत 85 से 90 रुपये किलो तक आ रही है. फीड महंगा होने के चलते लागत बढ़ गई है. जबकि रिटेल की बात करें तो फ्रेश चिकन 140 से 200 रुपये किलो तक बिक रहा है.   

इसलिए बाजार में आधे हो गए चिकन के रेट 

पोल्ट्री एक्सपर्ट बताते हैं कि पोल्ट्री फार्मर की एक गलती की वजह से ही बाजार में मुर्गों के रेट कम हो रहे हैं. असल में हुआ ये कि सितम्बर में चिकन के होलसेल दाम 160 रुपये किलो तक पहुंच गए थे. जबकि ये वो वक्त नहीं होता जब चिकन के दाम बढ़ें. लेकिन यहीं पोल्ट्री फार्मर का अनुमान गलत हो गया. फार्मर ने सोचा जब सितम्बर में दाम 160 तक पहुंच गए हैं तो सीजन के दौरान यानि नवंबर से लेकर जनवरी-फरवरी तक तो दाम और भी तेज हो जाएंगे.

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यही सोचकर फार्मर ने अपने फार्म में चूजे पालने की संख्या में 20 से 25 फीसद की बढ़ोतरी कर दी. ज्यादातर छोटे-बड़े किसानों ने ऐसा ही किया. लेकिन नवंबर में इसका उल्टा ही असर हुआ. बाजार में डिमांड से भी ज्यादा माल आने लगा. जब माल ज्यादा हो गया तो रेट भी कम हो गए. वहीं पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्याक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि क्रिसमस और न्यू ईयर पर चिकन की डिमांड बढ़ेगी. इस दौरान डिमांड के साथ ही रेट बढ़ने की भी उम्मीद है. 

 

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