कर्नाटक की तरह अब तमिलनाडु में भी सहकारी दूध की लड़ाई शुरू हो गई है. जिस तरह कर्नाटक में अमूल के दूध बेचे जाने पर विपक्ष ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया. ठीक उसी तरह तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने आविन दूध कॉपरेटिव को लेकर मुद्दा बनाया है. दरअसल, तमिलनाडु में अमूल की एक यूनिट ने अपने प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना बनाई है जिस पर मुख्यमंत्री स्टालिन नाराज बताए जा रहे हैं. उन्होंने इसी नाराजगी में सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और कहा है कि वे अमूल के निर्देश दें कि वह आविन के इलाके में दूध की खरीद न करे. ऐसा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा गरमा सकता है. अब देखने वाली बात होगी कि केंद्र से इस पर क्या फैसला होता है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं पूरा मामला आखिर क्या है और क्यों छिड़ा है ये Milk War-
स्टालिन ने शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, “हाल ही में, यह हमारे संज्ञान में आया है कि कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (अमूल की एक इकाई) ने कृष्णागिरी जिले में चिलिंग सेंटर और एक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के लिए अपने बहु-राज्य सहकारी लाइसेंस का उपयोग किया है और हमारे राज्य में कृष्णागिरि, धर्मपुरी, वेल्लोर, रानीपेट, तिरुपथुर, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जिलों में और उसके आसपास एफपीओ और एसएचजी दूध की खरीद की योजना बना रहा है.
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तमिलनाडु में संचालित करने के लिए AMUL का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है, आविन के हित के लिए हानिकारक है और सहकारी समितियों के बीच अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा. क्षेत्रीय सहकारी समितियां राज्यों में डेयरी विकास की आधारशिला रही हैं और उत्पादकों को शामिल करने और उनका पोषण करने और उपभोक्ताओं को मनमाने मूल्य वृद्धि से बचाने के लिए बेहतर स्थिति में हैं. इसलिए, मैं अमूल को तत्काल प्रभाव से तमिलनाडु में आविन के मिल्क शेड क्षेत्र से दूध की खरीद से रोकने के लिए निर्देशित करने के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं.
The decision of AMUL to operate in Tamil Nadu is unfortunate, detrimental to the interest of Aavin and will create unhealthy competition between the cooperatives.
— M.K.Stalin (@mkstalin) May 25, 2023
Regional cooperatives have been the bedrock of dairy development in the states and are better placed to engage and… pic.twitter.com/yn2pKINofO
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीएमएमएफ के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह मुद्दा शायद 2024 के चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया है, संभवत: कांग्रेस द्वारा कर्नाटक की नंदिनी के पक्ष में अमूल के खिलाफ इसी तरह का मुद्दा उठाकर सफलता मिलने के बाद. “अमूल 15 राज्यों में दूध की खरीद और प्रोसेसिंग कर रहा है. इसे कोई नहीं रोक सकता.”
भारतीय जनता पार्टी ने आश्चर्य जताया है, और कहा है कि मुख्यमंत्री को गुमराह किया जा रहा है. तमिलनाडु के भीतर, जब निजी कंपनियां किसानों से दूध खरीद रही हैं तो अमूल खरीद क्यों नहीं कर सकता? अमूल प्रति लीटर दो रुपये अधिक दे रहा है.
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लेकिन स्टालिन ने तर्क दिया है कि सहकारी समितियों को एक-दूसरे के दुग्धशाला क्षेत्र में हस्तक्षेप किए बिना फलने-फूलने देना भारत में एक आदर्श रहा है. इस तरह की क्रॉस-प्रोक्योरमेंट 'ऑपरेशन व्हाइट फ्लड' की भावना के खिलाफ है और देश में मौजूदा दूध की कमी के परिदृश्य को देखते हुए उपभोक्ताओं के लिए समस्याएं बढ़ा देगा. अमूल का यह कृत्य आविन (टीएन को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन) के मिल्क शेड क्षेत्र का उल्लंघन करता है, जिसे दशकों से सच्ची सहकारी भावना से पोषित किया गया है.
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