भारत ने जब से चावल का निर्यात बंद किया है, तब से कई देशों में खाद्य संकट गहरा गया है. भारत चूंकि चावल का बड़ा निर्यातक है, इसलिए दुनिया के कई देशों पर इसका व्यापक असर देखा जा रहा है. इसी में एक है अफ्रीका.
अफ्रीका के कई देशों में भारत के चावल से काम चलता है. यहां तक कि भारत के बिना इन देशों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती. इसी में पश्चिमी अफ्रीकी देश भी हैं जहां चावल के लिए कोहराम मचा हुआ है. कई देशों ने चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने की मांग की है.
पश्चिम अफ्रीका में एक छोटा सा देश है आइवरी कोस्ट. यहां की अधिसंख्य आबादी चावल पर निर्भर है, लेकिन उसका उत्पादन बहुत ही कम है. यहां कोकोआ और कॉफी का उत्पादन होता है. अब इस देश ने भारत से चावल उत्पादन में मदद मांगी है.
देश में चावल की मांग को देखते हुए आइवरी कोस्ट ने धान का उत्पादन बढ़ाने का विचार किया है. भारत से निर्यात बंद होने के बाद इसमें और भी तेजी देखी जा रही है. यह देश चावल उत्पादन में सरप्लस होना चाहता है ताकि आगे उसे अनाज की कमी न हो.
आइवरी कोस्ट ने भारत से कहा है कि वह धान की खेती में उसकी मदद करे और जितना हो सके, उतना निवेश करे. इस देश ने अभी हाल में चावल की खेती के लिए नई रणनीति पेश की है जिसमें उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके लिए हर तरह के निवेश की प्लानिंग की जा रही है.
आइवरी कोस्ट के नेताओं का कहना है कि वे भारत से उम्मीद करते हैं कि वहां से धान की खेती के लिए अच्छा निवेश मिलेगा और नई-नई तकनीक का भी सहारा मिलेगा. इस देश का मानना है कि भारत की मदद मिल जाए तो वह बाहर से चावल मंगाने की बजाय आत्मनिर्भर बन जाएगा.
धान की खेती पर जोर देने के अलावा यह देश धान की मिलिंग पर भी फोकस कर रहा है. इस मामले में आइवरी कोस्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी है जिसे भारत की मदद से बढ़ाने का विचार है. आइवरी कोस्ट आने वाले समय में 50 नई मिलें लगाने का सोच रहा है जिनमें हर मिल में 25000 टन धान की मिलिंग होगी.
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