महाराष्ट्र के नासिक में चांदवड तालुका के वराणी गांव के हालात देखकर आंखों से बेशक पानी आ जाए. मगर यहां दूर-दूर तक पानी नसीब होना मुमकिन नहीं लगता है. यहां अब भी लोगों के लिए पानी का जरिया कुआं ही है, मगर हालात ये हैं कि यहां कुएं तो हैं, उनमें पानी नहीं है.
किसान शिवाजी पवार ने बताया कि जब बारिश से कुआं भर जाता है तब उसका पानी खेती के लिए बनाए गए पक्के तालाब में डाल देते हैं. उसे पूरा स्टोर करके रखते हैं. ताकि संकट के समय वह पानी काम आए. सूखे से जूझ रहे इस गांव की आबादी करीब 11 सौ की है.
किसान नंदू पवार ने पानी के संकट और खेती को लेकर बताया कि पानी की कमी की वजह से ही इस पूरे क्षेत्र के
किसान सिर्फ एक फसल ले पाते हैं. यही इन किसानों की जिंदगी की सबसे बड़ी समस्या है. अधिकांश किसानों ने कुओं का
निर्माण करवाया हुआ है मगर अप्रैल महीने से ही ये कुएं सूख चुके हैं. नंदू ने बताया कि उनके पास 4 कुएं हैं,
लेकिन अप्रैल में ही उनमें पानी नहीं है.
गाँव की महिला किसान सरला कहती हैं कि गांव की 70 फीसदी महिलाओं को पानी के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है.
मई तक अधिकांश कुओं का पानी सूख जाता है. पानी की कमी का सबसे ज्यादा संकट महिलाओं के सामने आता है.
किसान नादू पवार ने बताया कि उनके पास पहले 12 गाय थीं. वो खेती के साथ दूध का भी कारोबार करते थे. लेकिन पानी की कमी की वजह से यह काम भी प्रभावित होने लगा. इसलिए गायों को बेचना पड़ा. क्योंकि हर गाय पर रोजाना करीब 150 लीटर पानी की खपत होती थी.अब उनके पास सिर्फ एक गाय हैं.
महिला किसान इंदुमंती और सरला कहती हैं कि पानी की कमी का सबसे ज्यादा संकट महिलाओं के सामने आता है. पानी कमी होने की वजह से घर के कामकाज प्रभावित होते हैं. हम पानी को सोने-चांदी की तरह संभाल कर रखते हैं.
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