महाराष्ट्र के लातूर जिले पर इस वक्त सूखे का खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है. मॉनसून के लगभग तीन महीने पूरा होने के बावजूद लातूर जिले में अभी तक मनचाही बारिश नहीं हुई है. मौजूदा स्थिति में पिछले एक महीने से जिले में बारिश ने मुंह फेर लिया है.
अब एक तरफ जिले में बहने वाली सभी नदियों में पानी नहीं है तो सिंचाई के लिए पानी का वितरण करने वाले मुख्य जलाशयों में अब सिर्फ़ 25 फीसदी ही पानी बचा हुआ है. ऐसे हालात में बारिश के धोखा देने के साथ ही अब सिंचाई के लिए पानी की कमी हो गई है. खेत में बुवाई की गई फसल आंखों के सामने ही बर्बाद होते देखने के अलावा किसानों के पास और कोई रास्ता नहीं बचा है.
लातूर शहर को पानी की सप्लाई करने वाले मांजरा डैम में बचे 25 परसेंट पानी को रिजर्व किया गया है. जिले में स्थित पानी के मुख्य आठ जलाशयों में इस साल बारिश नहीं होने से पानी का स्तर घटता हुआ नजर आ रहा है. फिलहाल इन डैमों में पानी की कमी देखी जा रही है. इसे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
तावरजा डैम में - 2 परसेंट, रेणापूर डैम में -24 परसेंट, व्हटी -0 परसेंट, तिरु -0 परसेंट, देवर्जन -39 परसेंट ,घरणी -28 परसेंट, मसलगा -30 परसेंट, साकोल -50 परसेंट पानी मौजूद है. इसके साथ ही लातूर शहर में पानी की सप्लाई करने वाले माजरा डैम में भी सिर्फ 25 परसेंट ही पानी बाकी है.
प्रशासन की ओर से बचे हुए पानी को पीने के लिए आरक्षित किया गया है. इससे अब किसान इस डैम का पानी खेती की सिंचाई के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. बढ़ रही पानी की समस्या के कारण जिला प्रशासन की ओर से लातूर एमआईडीसी को माजरा डैम से की जाने वाली पानी सप्लाई भी बंद कर दी गई है.
डैम में पानी काम होने के कारण लातूर शहर को पांच दिन में एक बार होने वाले पानी के वितरण को बदलकर अब 10 दिन में एक बार पानी देने का निर्णय भी प्रशासन की और से लिया गया है.
लातूर जिले में पिछले एक महीने से बारिश न होने का असर अब खेतों में खड़ी फसलों पर देखने को मिल रहा है. पानी की कमी से खरीफ फसलों के साथ सब्जियां भी सूख रही हैं. किसानों का कहना हैं कि बारिश नहीं होने से टमाटर और भिंडी समेत कई सारी फसलें सूख रही हैं.
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