पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) की जायज मांगों को केंद्र के समक्ष उठाएगी. आढ़तियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार उनकी जायज चिंताओं को पूरी गंभीरता से दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. उनके हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इनमें से ज़्यादातर मांगें केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह इन मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. इसके बावजूद, भगवंत मान ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार आढ़तियों की आवाज बनेगी और केंद्र के समक्ष उनके मुद्दों को मजबूती से उठाएगी.
इस बैठक के दौरान, सीएम भगवंत मान ने कहा कि आढ़तियों का कमीशन बढ़ाने का मामला केंद्र सरकार के समक्ष पहले ही उठाया जा चुका है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी सरकार आढ़तियों के लाइसेंस की वैधता, जो अभी पांच साल है, उससे बढ़ाकर दस साल करेगी. इतना ही नहीं आढ़तियों के नए परमिट बनने में होने वाली देरी को खत्म करके इसे 48 घंटों के भीतर जारी किया जाएगा.
इसके अलावा, सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही आढ़तियों के लिए एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना शुरू करेगी, ताकि मंडियों की स्थापना के समय आढ़तियों को आवंटित दुकानों के निर्माण न होने की वजह से लंबित बकाया, जुर्माना और ब्याज का भुगतान आसानी से किया जा सके.
आढ़तियों के साथ हुई शुक्रवार को इस बैठक के दौरान सीएम मान ने हाल ही में आई बाढ़ से हुए व्यापक विनाश के बारे में भी बात की, जिसमें 57 लोगों की जान चली गई. उन्होंने कहा कि 2,300 से ज़्यादा गांव जलमग्न हो गए हैं, जिससे 20 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और पांच लाख एकड़ में फैली फसलें तबाह हो गई हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 7 लाख लोग बेघर हो गए और बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान पहुंचा है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह भी बताया कि 3,200 सरकारी स्कूल, 19 कॉलेज, 1,400 क्लीनिक और अस्पताल, 8,500 किलोमीटर सड़कें और 2,500 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआती अनुमानों के अनुसार, नुकसान लगभग 13,800 करोड़ रुपये का है, हालांकि वास्तविक आंकड़ा इससे भी ज़्यादा हो सकता है. मान ने इस दौरान कहा कि राज्य संकट में है और "दुर्भाग्य से, उसे केंद्र से किसी वित्तीय सहायता की उम्मीद नहीं है. (सोर्स- PTI)
ये भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today