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Micro irrigation: माइक्रो इरिगेशन से मिलेगी कम पानी में बंपर पैदावार, इस फार्मूले से किसानों की बढ़ जायेंगी कमाई

Micro irrigation: माइक्रो इरिगेशन से मिलेगी कम पानी में बंपर पैदावार, इस फार्मूले से किसानों की बढ़ जायेंगी कमाई

उत्तर प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) ही एकमात्र विकल्प है जिसके द्वारा कम पानी में अधिक सिंचाई के साथ-साथ अधिक उत्पादकता के द्वारा किसानों की आय को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. "पर ड्रॉप मोर क्रॉप"  के अलावा नहरो के कमांड क्षेत्र का माइक्रो इरीगेशन के माध्यम से विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

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विश्व बैंक और ग्रेटर शारदा सहायक परियोजना ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश में माइक्रो इरीगेशन( सूक्ष्म सिंचाई) के क्षेत्र में हाथ मिलाकर साथ काम करने की दिशा में प्रयास शुरू करेंगे. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होटल ताज में इस संबंध में तकनीकी कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया गया. जिसमें 2030 जल संसाधन समूह विश्व बैंक के अधिकारी, भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से जुड़े हुए अधिकारी ने हिस्सा लिया. कृषि से संबद्ध विभागों के अधिकारी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. होटल ताज में आयोजित इस कार्यक्रम में जल संरक्षण से जुड़े हुए स्वयं सहायता समूह, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पद्मश्री से सम्मानित विभूतियां भी शामिल रही.

उत्तर प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) ही एकमात्र विकल्प है जिसके द्वारा कम पानी में अधिक सिंचाई के साथ-साथ अधिक उत्पादकता के द्वारा किसानों की आय को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. "पर ड्रॉप मोर क्रॉप"  के अलावा नहरो के कमांड क्षेत्र का माइक्रो इरीगेशन के माध्यम से विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. 

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माइक्रो इरिगेशन से सिंचाई क्षेत्र का होगा विस्तार

उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई के द्वारा अब सिंचाई क्षेत्र का विस्तार करने के लिए सिंचाई विभाग प्रयासरत है. माइक्रो इरिगेशन से जल का सही उपयोग होगा. इसके साथ ही पानी की बचत होगी और कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि होगी. कम पानी में अधिक सिंचाई के साथ-साथ अधिक फसल उत्पादन से किसानों की अधिक कमाई भी होगी. जल संरक्षण के माध्यम से न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने में भी मदद मिलेगी. 

पानी की बचत से बुंदेलखंड हुआ हरा-भरा

उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव आईएएस अधिकारी हीरालाल ने किसान तक को बताया की माइक्रो इरिगेशन वर्तमान समय की जरूरत है. बुंदेलखंड को लेकर उन्होंने काफी काम किए हैं. उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है जो डायनेमिक डीएम नाम से चर्चित है. इस पुस्तक में बुंदेलखंड में किए गए उनके कार्यों के चलते हुए परिवर्तन का भी जिक्र है. कभी बुंदेलखंड सूखे, भूख और गरीबी के कारण जाना जाता था लेकिन आज चित्रकूट, झांसी, जालौन, हमीरपुर जैसे जिले कृषि उत्पादकता में उपजाऊ जिलों को पीछे छोड़ रहे हैं. लखनऊ में आयोजित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई के संसाधन विकसित करना जिससे जल के संरक्षण के साथ ही किसानों की आमदनी को भी बढ़ाना है. 

जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेष काम करने वाले पद्मश्री से सम्मानित उमाशंकर पांडे ने किसान तक को बताया कि आज बुंदेलखंड पिछड़ा नहीं बल्कि विकास की राह पर है. कभी बुंदेलखंड में पीने के पानी के लिए रेल के टैंकर मंगाए जाते थे लेकिन आज यह हालत नहीं है. हर जिले में अब हरियाली फैल चुकी है. नदी, तालाब और कुओं भी लोगों के प्रयास अब से भर रहे हैं.