केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रहीं तमाम कृषि योजनाओं के बावजूद भी देश में किसानों की आत्महत्या करने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में किसानों की खुदकुशी करने के मामले में 3.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2022 में देश भर में लगभग 11,290 किसानों ने खुदकुशी की, जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 10281 था.
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 4248 किसानों और कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की. इसके बाद कर्नाटक का स्थान आता है. यहां पर करीब 2392 किसान और कृषि मजदूरों ने खुदकुशी की. इसी तरह आंध्र प्रदेश में 917, तमिलनाडु में 728 और मध्य प्रदेश में 641 किसान और कृषि श्रमिकों ने खुद से अपनी जिन्दगी समाप्त कर ली. हालांकि, उत्तर प्रदेश में आत्महत्या के मामले में अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है. यहां खुदकुशी के मामले में साल 2021 के मुकाबले 2022 मे 42.13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि छत्तीसगढ़ में 31.65 प्रतिशत दर्ज की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के किसान आत्महत्या के मामले में तीसरे स्थान पर हैं. इसके बावजूद भी यहां पर साल 2021 में किसानों की आत्महत्या के मामले में 16 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. इसी तरह, केरल में किसानों की आत्महत्या करने के मामले में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है. पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी जैसे कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों और खेतिहर मजदूरों की शून्य आत्महत्या की सूचना मिली है.
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खास बात यह है कि सिटी और शहरी स्थानों में भी 2019 से 2022 तक आत्महत्याओं में लगातार वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा डेटा से पता चलता है कि आत्महत्या करने वाले कम से कम 23.9 प्रतिशत पीड़ित मैट्रिक स्तर तक शिक्षित थे, इसके बाद 18 प्रतिशत मिडिल स्तर तक, 14.5 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक और 11.5 प्रतिशत निरक्षर थे. आत्महत्या करने वाले केवल 5-6 प्रतिशत लोग ही स्नातक थे.
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