तीखेपन में भूत झोलकिया मिर्च का है वर्ल्ड रिकॉर्ड, बाकी मिर्चों से 20-25 गुना है महंगी 

तीखेपन में भूत झोलकिया मिर्च का है वर्ल्ड रिकॉर्ड, बाकी मिर्चों से 20-25 गुना है महंगी 

वर्ल्ड रिकॉर्ड वाली भूत झोलकिया मिर्च यानी घोस्ट चिली स्वाद और सुरक्षा के कई काम में उपयोगी होने के कारण, सामान्य मिर्च की तुलना में 20 से 25 गुना महंगी है. इसकी खेती देश के पूर्वोत्तर से लेकर उत्तर-पश्चिमी इलाक़े में भी होती है. होटल-रेस्टोरेंट में इसकी बेहद मांग है.

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तीखेपन में भूत झोलकिया मिर्च का है वर्ल्ड रिकॉर्ड, बाकी मिर्चों से 20-25 गुना है महंगी वर्ल्ड रिकॉर्ड वाली तीखी मिर्च भूत झोलकिया -16:9

प्रकृति का करिश्मा ही है कि इसमें ऐसी विविध चीज़ें पाई जाती हैं जो हैरान कर दें. अब एक मिर्च की वेरायटी को लीजिए. ये वेरायटी इतनी तीखी होती है कि इसके मेडिसिनल यूज के अलावा सिक्योरिटी में, महिलाओं की रक्षा से लेकर, उपद्रवियों को शांत करने तक में इस्तेमाल होती है. यही कारण है कि इस मिर्च को घोस्ट चिली कहा जाता है. इतने उपयोगी होने के कारण,  भूत झोलकिया सामान्य मिर्च की तुलना में 20 से 25 गुना महंगी है. इसकी खेती देश के पूर्वोत्तर से लेकर उत्तर- पश्चिमी इलाक़े में भी होती है. कैसे करें इस ख़ास मिर्च 'घोस्ट चिली' की खेती, जानिए इस रिपोर्ट में.

देश की राजनीति में भले पूर्वोत्तर की चर्चा बस स्थानीय चुनावों के वक्त ही ज्यादा होती हो. लेकिन यहां की अनुपम प्राकृतिक छटा की चर्चा सदाबहार है. खेती-किसानी में भी कई अलग तरह की फ़सल के लिए इस इलाक़े को जाना जाता है. ऐसी ही एक फ़सल है घोस्ट चिली, जिसे भारत में भूत झोलकिया के नाम से जाना जाता है. इस फ़सल के नाम से ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है.

दुनिया की सबसे तीखी मिर्च

घोस्ट चिली मिर्च को पूरी दुनिया में सबसे तीखी  मिर्च के रूप में साल 2007 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि सामान्य मिर्च की तुलना में, भूत झोलकिया मिर्च में 400 गुना ज्यादा तीखापन होता है. भारत में भूत झोलकिया मिर्च की खेती असम, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर में होती है. ये मिर्च इतनी तीखी होती है कि जीभ पर इसका स्वाद लगते ही, व्यक्ति का दम घुटने लगता है और आंखों में तेज़ जलन होती है.

सुरक्षा की ढाल भूत झोलकिया

भूत झोलकिया मिर्च का इस्तेमाल सिर्फ़ खान-पान के लिए ही नहीं होता, बल्कि देश के सुरक्षा बल उपद्रवियों के खिलाफ भी इसे इस्तेमाल करते हैं. सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की कुछ टियर स्मोक यूनिट इस मिर्च के इस्तेमाल से आंसू गैस के गोले बनाती है. ये आंसू गैस के गोले उपद्रवियों को अलग-थलग करने के काम आते हैं.

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सिर्फ इतना ही नहीं, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते शारीरिक हमलों की घटनाओं पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भूत झोलकिया का इस्तेमाल किया. इस संगठन ने भूत झोलिकया मिर्च से मिर्च स्प्रे विकसित किया. DRDO की तेजपुर यूनिट ने इस मिर्च स्प्रे को तैयार किया, जिसे महिलाएं आत्मरक्षा के लिए उपयोग कर सकती हैं. हालांकि ये मिर्च स्प्रे घातक नहीं है.

घोस्ट चिली के मेडिसिनल फायदे

भूत झोलकिया मिर्च के मेडिसिनल फायदे भी हैं. इसमें मौजूद एक प्रमुख घटक कैप्साइसिन को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद पाया गया है. इससे कैंसर का इलाज भी ढूंढा जा रहा है. कुछ रिसर्च में ये प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओ और फेफड़ों के कैंसर की कोशिकाओ को मारने में सक्षम पाया गया है. साथ ही यह ल्यूकेमिया सेल्स के विकास को भी रोकती है. ये अस्थमा के इलाज में भी कारगर पाई गई है. यहां तक कि देश के कई हिस्सों में इस मिर्च से बने पाउडर से पेट की कई बीमारियो का इलाज भी किया जाता है. इसके अलावा कैप्साइसिन गठिया में होने वाले दर्द, ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों के दर्द और तनाव, मोच में भी फायदेमंद पाया गया है.

दुनिया में ज़बर्दस्त डिमांड

कृषि विज्ञान केंद्र लोअर सुबनसिरी अरुणाचल प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक डॉ एस. के. चतुर्वेदी ने बताया कि भूत झोलकिया मिर्च के पौधे की ऊंचाई 45 से 120 सेंटीमीटर तक होती है. इस पौधे में लगने वाले मिर्च की चौड़ाई एक से 1.2 इंच होती है और लंबाई तीन इंच से भी ज्यादा हो सकती है. यह रोपाई के बाद मात्र 75 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. मसाले के रूप में इस मिर्च की पूरी दुनिया में ज़बर्दस्त डिमांड है.

भूत झोलकिया मिर्च की खेती

कृषि वैज्ञानिक एस. के. चतुर्वेदी ने कहा कि भूत झोलकिया मिर्च, हर तरह की मिट्टी और जलवायु में उगाई जा सकती है. हालांकि, अच्छी क्वालिटी के लिए, सूखी-रेतीली मिट्टी या लेटेरा मिट्टी की ज़रूरत होती है. भूत झोलकिया मिर्च हल्के लाल, गहरे लाल और नारंगी तीन अलग-अलग रंगों में मिलती है. पूरी तरह से परिपक्व फल और सूखे फल से ही बीज निकाला जाना चाहिए. हाथों से बीज निकालने के दौरान दस्ताने ज़रूर पहनें. सुखाने के बाद, बीज तुरंत अंकुरित किया जा सकता है. हालांकि, बीज का अंकुरण लगभग 15 से 20 दिन तक का लंबा समय लेता है . इसलिए अंकुरण अवधि के दौरान फंगल या कीट के हमले के कारण, बीज को नुक़सान से बचाने के लिए फंजीसाइड और कीटनाशकों के साथ ही बीजोपचार की सलाह दी जाती है. इसकी नर्सरी लगभग 45 से 50 दिन में तैयार हो जाती है. देश के कुछ केवीके सेंटर्स पर भूत झोलकिया की नर्सरी तैयार की जा रही है.

साल में दो बार हो सकती खेती

डॉ एस. के. चतुर्वेदी ने कहा कि घोस्ट चिली की खेती धूप वाले इलाक़ों में करें. इसके लिए खेत तैयारी के साथ ही रोपाई के लिए बेड बनाएं. पूर्वोत्तर में रोपाई के लिए दो सीजन उपयुक्त हैं, खरीफ और रबी. खरीफ की खेती फरवरी-मार्च में शुरू होती है और मई-जून के बाद फसल की कटाई होती है.

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मैदानों में ये सितंबर-अक्टूबर के दौरान रबी फ़सलों के रूप में उगाई जाती है. रबी की पैदावार, खरीफ फ़सल की तुलना में ज्यादा है. रोपाई के बाद जब-जब मिट्टी ऊपर से दो इंच सूखी रहे तो पौधों को पानी दें. केवल सुबह के दौरान ही पौधों को पानी डालें. सामान्य मिर्च में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों का प्रयोग करें. खाद-फर्टिलाइज़र की घुलनशील मात्रा का प्रयोग बेहतर होता है. 

सामान्य मिर्च से 20-25 गुना महंगी 

डॉ चतुर्वेदी ने कहा, एक सीजन में एक पौधे से लगभग 15-20 पूर्ण आकार के फल और 10-14 छोटे फल की उपज मिलती है. इस मिर्च के ताजा फल की औसत उपज 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास है. जबकि इसे सुखाने पर, औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है. पूर्वोत्तर के ज्यादातर इलाक़े में इसका कारोबार ताजी मिर्च के रूप में होता है. कुछ सीमित इलाक़ों में ही सूखी उपज का कारोबार होता है. अच्छी क्वालिटी की सूखी झोलकिया मिर्च काफी ऊंची क़ीमत पर बिकती है जिसकी औसत क़ीमत 2000 रुपये प्रति किलो तक है. ऐसे में आप भी इस बहुउपयोगी मिर्च की खेती कर इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.

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