मछली पालन के लिए तालाब का होना अति आवश्यक है. इसके अलावा अन्य जरूरतें मत्स्य बीज, पानी, थोड़ी सी पूंजी, मेहनत, जानकारी और बाजार की सुविधा की होती हैं. मछली पालन के लिए तालाब निर्माण स्थल का चुनाव एवं तालाब बनाने के तौर-तरीको पर ध्यान देने की बहुत जरूरत होती है. मत्स्य पालन में तालाब की गहराई कम से कम 6 फुट होनी चाहिए. तालाब का वातावरण, तालाब की गहराई पर निर्भर करता है. गहराई इतनी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी तल तक पहुंच सके. अधिक गहरा तालाब, ऑक्सीजन के अभाव में विषैली गैस उत्पन्न करता है. जहां आसपास से पानी आने की व्यवस्था हो वहां तालाब की गहराई 3-4 फीट रखनी चाहिए. लेकिन जहां बरसात के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है वहां तालाब की गहराई को 10-11 फीट किया जा सकता है.
अब सवाल यह आता है कि तालाब के बांध की ऊंचाई कितनी हो? विशेषज्ञों के अनुसार बांध की ऊंचाई मूल भूमि से एक मीटर रखे. तालाब के बांध की ऊंचाई तालाब के पानी से जितनी कम होगी, पानी का हवा से सम्पर्क उतना ही अच्छा होगा और हवा से पानी में ऑक्सीजन का मिश्रण अच्छा होगा. जिससे पानी में ऑक्सीजन की उपलब्धता अच्छी रहेगी. बांध की ऊपरी सतह की चौड़ाई कम से कम 2 मीटर हो. बांध का उलान तालाब की तरफ कम हो ताकि चढ़ने उतरने में सुविधा हो और मिट्टी कट कर तालाब में भी न जाए. बांध का ढलान तालाब के बाहर की तरफ ज्यादा रख सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः किसानों को कपास के भाव में तेजी की उम्मीद, रोक कर रखा माल, जानें आज का भाव
तालाब घर के आसपास हो तो अच्छा है.
तालाब के लिए उबड़-खाबड़ या पथरीली जमीन न चुनें.
तालाब के लिए समतल जमीन चुनें. ऊंची जमीन पर तालाब का पानी जल्दी सूखेगा.
बहुत नीची जगह भी न चुनें. इसमें बरसात का पानी भर जाएगा.
खुली जगह का चयन करें ताकि भरपूर धूप मिले.
आसपास यदि पानी का साधन हो तो अच्छा है.
चिकनी मिट्टी वाली जमीन को तालाब निर्माण के लिए उपयुक्त माना जाता है.
तालाब निर्माण के दौरान पानी के निकास एवं प्रवेश मार्ग की व्यवस्था का ध्यान रखना चाहिए.
तालाब बनाने में लगभग 25-35 प्रतिशत जमीन बाध में खर्च हो जाता है.
यदि आप 0.5 एकड़ का तालाब बनवाना चाहते हैं तो लगभग 0.75 एकड़ जमीन होनी चाहिए.
पानी के प्रवेश पाइप में छिद्रयुक्त ढक्कन लगाएं.
तालाब में आस-पास से पानी आने के लिए एक प्रवेश नाली (मिट्टी, बांस या सीमेंट) की व्यवस्था होनी चाहिए.
प्रवेश द्वार तालाब के छिछले भाग में बनाना चाहिए.
नाली की गोलाई का व्यास 15 से 30 सेंटीमीटर हो.
नाली के मुंह पर जाली लगी होनी चाहिए ताकि पानी के साथ कूड़ा-कचरा प्रवेश न करे.
नाली को एक निश्चित ऊंचाई पर लगाना चाहिए.
जरूरत पड़ने पर तालाब से पानी को बाहर निकालने के लिए भी तालाब के तल में नाली लगा होना चाहिए. इस नाली में जाली के अलावा इसे पूर्ण रूप से बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि जरूरत के अनुसार प्रयोग किया जा सके एवं पानी की अनावश्यक निकासी को रोका जा सके.
ये भी पढ़ें: Onion Price: किसान ने 443 किलो प्याज बेचा, 565 रुपये घर से लगाने पड़े, निर्यात बंदी ने किया बेहाल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today