देश की प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत में शनिवार को एक चौंकाने वाली घटना हुई. इस घटना का वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि वंदे भारत ट्रेन के स्टाफ और एक यात्री के बीच बहस चल रही है. यह बहस हलाल चाय (Halal Tea) को लेकर हुई. यात्री की शिकायत थी कि उसे हलाल सर्टिफाइड चाय क्यों दी गई. दरअसल, यात्री को हलाल सर्टिफाइड चाय का प्री-मिक्स दिया गया था जिस पर यात्री नाराज हो गया. वीडियो में यात्री ट्रेन के स्टाफ से पूछ रहा है कि हलाल सर्टिफाइड चाय क्या होती है और इसे सावन जैसे पवित्र महीने में क्यों दिया जा रहा है. इस पर स्टाफ जवाब देता है कि चाय हमेशा वेज होती है और यह प्री-मिक्स भी वेज है.
इस मामले के सामने आते ही सोशल मीडिया पर हलाल चाय को लेकर बहस छिड़ गई. लोग अपने-अपने तरीके से राय जाहिर कर रहे हैं. लोगों की एक मांग ये भी है कि ट्रेन या फ्लाइट में हलाल सर्टिफाइड खानपान के सामान को बंद किया जाना चाहिए और इसका विरोध होना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर हलाल चाय होती क्या है?
हलाल चाय भी एक तरह से खानपान का प्रोडक्ट है जिसे हलाल का सर्टिफिकेशन मिलता है. देश में इस सर्टिफिकेशन की शुरुआत 1974 में की गई. यह सर्टिफिकेशन मीट काटने के तरीके को देखते हुए दिया जाता है. हलाल भी मीट काटने का ही एक तरीका है. यह एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है जायज. इस्लामिक मान्यता कहती है कि उसी तरह के मीट को खाया जाना चाहिए जिसमें जानवर को जायज तरीके से काटा गया हो. 1993 तक यह हलाल सर्टिफिकेशन केवल मीट के प्रोडक्ट के लिए ही लागू था. बाद में इस सर्टिफिकेशन को बढ़ाकर कई प्रोडक्ट पर लागू कर दिया गया. इसमें कॉस्मेटिक्स और दवाएं भी शामिल हो गईं. यही से हलाल चाय का कॉन्सेप्ट भी आया.
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यहां हलाल सर्टिफिकेशन का अरबी भाषा में अर्थ होता है कि किसी फूड प्रोडक्ट को इस्लामिक कानून के तहत बनाया गया है. इसी में हलाल चाय भी आती है. इस सर्टिफिकेशन को लेकर देश में कई बार बहस हो चुकी है. यहां तक कि 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था. तब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी और हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह से बैन की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि 15 फीसद आबादी के चलते 85 फीसद आबादी के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.
वंदे भारत ट्रेन में हलाल चाय के विवाद पर आईआरसीटीसी का भी बयान आया है. आईआरसीटीसी ने कहा है कि विवाद की जड़ में जो प्री-मिक्स चाय है उसे FSSAI का सर्टिफिकेशन मिला हुआ है. यह प्री-मिक्स चाय 100 परसेंट वेज प्रोडक्ट है जिस पर ग्राहकों की सुविधा के लिए हरे डॉट्स बनाए गए हैं. यह प्रोडक्ट उन देशों में भी निर्यात होता है जो इस तरह के खान-पान वाले सामान के लिए हलाल सर्टिफिकेशन अनिवार्य तौर पर मांगते हैं. यही वजह है कि चाय के प्री-मिक्स पर भी हलाल सर्टिफिकेशन का टैग लगा हुआ है. IRCTC ने अपने बयान का एक वीडियो जारी किया है.
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विवाद में आई चाय को बनाने वाली कंपनी चायजुप ने भी अपनी सफाई दी है. कंपनी ने कहा है कि चाय पर हलाल सर्टिफिकेशन इसलिए दिया गया है क्योंकि उसका कई देशों में निर्यात होता है. कंपनी ने कहा है कि उसका हर प्रोडक्ट पूरी तरह से वेज है और इसमें डाले गए सभी प्रोडक्ट पूरी तरह से नेचुरल हैं.
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