उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के जल संकटग्रस्त जिलों में से एक महोबा में जल संचयन को लेकर चलाया जा रहा अभियान अब एक व्यापक जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है. जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने मंगलवार को कबरई विकासखंड के चांदो गांव में विलुप्त हो चुकी चंद्रावल नदी के पुनरुद्धार का काम विधिवत रूप से शुरू किया. वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजन कर उन्होंने नदी की खुदाई और सिल्ट सफाई काम का फीता काटकर उद्घाटन किया और स्वयं फावड़ा चलाकर श्रमदान भी किया.
जिलाधिकारी ने बताया कि चांदो गांव चंद्रावल नदी का उद्गम स्थल है और यह काम ‘कैच द रेन’ योजना के अंतर्गत जल संचयन अभियान का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि जिले की आठ लुप्त हो चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना के तहत यह पहला बड़ा कदम है. चंद्रावल नदी के पुनरुद्धार से न केवल पेयजल संकट में राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए भी भरपूर जल उपलब्ध होगा.
जिलाधिकारी ने कहा कि आज जिले के छह गांवों में इस नदी की खुदाई, सिल्ट सफाई और वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोदने का कार्य शुरू हुआ है, जिसकी निगरानी संबंधित उपजिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी और अन्य विभागीय अधिकारी कर रहे हैं. जल स्रोतों की पुनर्स्थापना के तहत तालाबों, कुओं, बावड़ियों और अन्य ऐतिहासिक जलस्रोतों की सफाई, खुदाई एवं सौंदर्यीकरण का काम भी तेजी से जारी है.
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि इन कामों की पहले और बाद की तस्वीरें लेकर दस्तावेज तैयार किए जाएं. साथ ही खेतों, तालाबों और चकरोड़ों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाकर वहां वृक्षारोपण सुनिश्चित करने के लिए ग्राम स्तरीय निगरानी समितियां भी बनाई गई हैं. प्रशासनिक टीमें इन कामों की सतत निगरानी और सत्यापन करेंगी.
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जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने कहा कि यह पहल न केवल जल संकट से निपटने की दिशा में अहम है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी महोबा को एक नई दिशा देगी. जिले में जल संरक्षण की इस मुहिम को लेकर आमजन में भी जागरूकता बढ़ रही है और यह अभियान आने वाले समय में एक मॉडल के रूप में उभर सकता है.
चांदो गांव के प्रधान और ग्रामीणों में इस बात को लेकर खुशी है कि प्रशासन ने विलुप्त हो चुकी नदी को अस्तित्व में लाने की कवायद को तेज कर दिया है, जिससे चंदों गांव से होकर अन्य गांवों से निकलने वाली नदी के फिर से अस्तित्व में आने से पेयजल समस्या सहित सिंचाई के लिए भी पानी मिल पाएगा. इससे ग्रामीणों में डीएम की इस पहल को लेकर बड़ा उत्साह है.
बहरहाल, कभी पानीदार रहे महोबा के लिए जिलाधिकारी गजल भारद्वाज की यह पहल लुप्त नदियों को फिर से अस्तित्व में लाने की सूखे जनपद में हरियाली लौटाने की एक बड़ी और सार्थक कोशिश के रूप में देखी जा रही है. यह सिर्फ जल संचयन नहीं, बल्कि आने वाले भविष्य के लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ाया गया मजबूत कदम है, जो महोबा के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा.
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