बच्चा हो या बड़ा, महिला या फिर पुरुष, सभी को प्रोटीन की हर रोज जरूरत होती है. और ये जरूरत तय होती है इंसान के वजन से. अगर किसी का वजन 70 किलो है तो उसे दिनभर में 70 ग्राम प्रोटीन चाहिए. लेकिन ये प्रोटीन सिर्फ दाल-रोटी खाने से नहीं मिलेगा, इसके लिए जरूरत होगी अंडे-चिकन की. ये कहना है डायटीशियन प्रतिभा दीक्षित का. प्रोटीन के संबंध में चलाए जा रहे एक जागरुकता कार्यक्रम के तहत बोलते हुए उन्होंने ये बात कही. कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) और यूएसए पोल्ट्री एंड ऐग एक्सपोर्ट काउंसिल (USAPEEC) की ओर से किया गया था.
कार्यक्रम का मकसद देश के लोगों में हो रही प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए जागरुक करना है. पीएफआई के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा का कहना है कि आज हमारे देश के 73 फीसद शहरी लोगों में प्रोटीन की कमी है. जबकि प्रतिभा दीक्षित का कहना है कि हमारे देश में लोग हर रोज औसत 47 ग्राम प्रोटीन ही खा रहे हैं. जो कि जरूरत के हिसाब से बहुत कम है.
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रनपाल डाहंडा ने प्रोटीन के बारे में जागरुक करते हुए कहा है कि एक अंडा छह से सात रुपये का आता है. और एक अंडे में 13 ग्राम प्रोटीन होता है. इतने रुपये में और कोई खाने की चीज ऐसी नहीं है जो पूरा का पूरा 13 ग्राम शरीर को प्रोटीन देती हो. और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये कि इसमे किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है. अंडा हो या चिकन कोई उसमे किसी भी तरह की मिलावट नहीं कर सकता है. चिकन 240 रुपये किलो मान लें तो 24 रुपये के 100 ग्राम चिकन में 27 ग्राम प्रोटीन मिलता है.
वर्ल्ड वेटरनरी पोल्ट्री एसोसिएशन के प्रसिडेंट डॉ. जितेन्द्र वर्मा का कहना है कि सोशल मीडिया पर चिकन और एंटीबायोटिक्स् को लेकर तमाम तरह की बातें की जाती हैं. जैसे एंटीबायोटिक्स दवाई खिलाकर मुर्गे को कम वक्त में ज्यादा वजन का तैयार कर लिया जाता है. इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि मुर्गों को कुछ ऐसे हॉर्मोन दिए जाते हैं जिससे वो जल्दी बड़े हो जाते हैं और हेल्दी दिखने लगते हैं. जबकि ये पूरी तरह से गलत है. हॉर्मोन और एंटीबायोटिक्स इतने महंगे आते हैं कि पोल्ट्री के बाजार रेट को देखते हुए उनका इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं है. सिर्फ दवाई के तौर पर कुछ दो-तीन ऐसी एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं जिनका इंसानी शरीर से कोई मतलब नहीं है.
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वर्ल्ड वेटरनरी पोल्ट्री एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अजीत रानाडे ने कहा कि वैसे तो हर इंसान कुछ भी खाने के लिए फ्री है. लेकिन जो खा सकते हैं तो उन्हें अपनी प्रोटीन की जरूरत उस सोर्स से करनी चाहिए जो कम मात्रा में होने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन देता है. वहीं पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने पोल्ट्री प्रोडक्शन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ये बहुत तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन गया है. हमारे देश में अंडे और चिकन की कोई कमी नहीं है. साथ ही उन्होंने इस अभियान के महत्व पर भी रोशनी डाली.
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