गांव में बेरोजगारी इस हद तक बढ़ गई थी कि यह गांव वालों के लिए चिंता का विषय बन गई थी. गांव में बड़े से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस समस्या से परेशान थे. जो लोग नौकरीपेशा थे उनके पास इतना समय नहीं था कि वे इन मामलों में अपनी राय दे सकें और जो बेरोजगार थे उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं था. बेरोजगारी इस हद तक बढ़ती चली गई कि यह गलत दिशा में बढ़ने लगी. बेरोजगारों ने गांव में रहने वाले लोगों को लूटना और मारना-पीटना शुरू कर दिया. फिर एक दिन गांव के बुजुर्गों ने मिलकर यह फैसला किया कि रविवार को नौकरीपेशा लोग भी फ्री होते हैं, इसलिए उस दिन सभी को एक साथ बुलाया जाए और इस बारे में चर्चा की जाए. ताकि बेरोजगारी के साथ-साथ यह मारपीट और लूटपाट भी बंद हो सके. गांव में खबर फैला दी गई कि बेरोजगारी को लेकर रविवार को गांव में एक बैठक होगी. सभी लोगों से अनुरोध है कि वे कुछ सुझाव लेकर आएं और लोगों को बताएं. फिर रविवार को सभी एक जगह इकट्ठा हुए और चर्चा शुरू हुई.
चर्चा जैसे-जैसे बढ़ती गई तो पता चला की नौकरी वाले लोग भी अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं और वो भी कुछ अलग करना चाहते हैं. तभी गांव में रह रहे एक सज्जन ने अपने विचारों को रखते हुए कहा कि गांव में बहुत सारी ऐसी सुविधा नहीं है जिसके वजह से हमें बगल के गांव जाना पड़ता है और वहां से उन चीजों को लाना पड़ता है. ऐसे में अगर वो सुविधा अगर हमारे गांव में ही हो तो हमें कहीं जाने कि जरूरत नहीं होगी. फिर गांव के बुजुर्गों ने उस सज्जन को उन सुविधाओं के बारे में और अधिक बताने को कहा. सज्जन ने कहा कि हमें सब्जी लाने, किराना समान लाने, बच्चों के कपड़े लाने, दूध लाने, एलेक्ट्रोनिक समान ठीक करना हो या और भी चीजों के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है. जिसमें ना सिर्फ समय लगता है बल्कि दूसरे गांव का समझकर वो अधिक पैसों की भी मांग करते हैं. ऐसे में अगर गांव के बेरोजगार लोग इन कामों में गांव में रहकर इन कामों को करते हैं तो इससे गांव में रोजगार भी बढ़गा और बेरोजगारी की समस्या भी खतम होगी. इस बात को सुनकर गांव के सभी लोग बहुत खुश हुए और उन्हें ये प्रस्ताव काफी पसंद आया.
हमारे देश में आज भी ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जो खुद का कारोबार शुरू करने से कतराते हैं या डरते हैं. लेकिन आपको बता दें कि ऐसे कई काम हैं जिन्हें कम लागत में आसानी से शुरू किया जा सकता है. इसके लिए आपको ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती और मुनाफा भी अच्छा होता है. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ रोजगार के बारे में.
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बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम पूंजी और कम जगह में आसानी से किया जा सकता है. बकरी एक छोटा पशु है जिसे बहुत आसानी से पाला जा सकता है. इसे सीमांत और भूमिहीन किसान दूध और मांस के लिए पालते हैं. इसके अलावा बकरी की खाल, बाल और रेशों का भी व्यावसायिक महत्व है.
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डेयरी फार्मिंग एक प्रकार का कृषि व्यवसाय है जिसमें पालतू पशुओं से दूध का उत्पादन शामिल है. दूध के प्रसंस्करण (Processing) और अन्य दूध उत्पादों के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले पौधों को डेयरी प्लांट कहा जाता है. डेयरी फार्मों में दूध उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जानवरों को डेयरी मवेशी कहा जाता है.
आज के समय में हर जगह ऑर्गेनिक सब्जियों और फलों की मांग है. सेहत को ध्यान में रखते हुए हर कोई ताजा और ऑर्गेनिक सब्जियां खाना पसंद करता है. ऐसे में ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती करना और उन्हें बेचना एक बेहतर और सफल रोजगार साबित हो सकता है. इसे आप बहुत कम पूंजी के साथ शुरू कर सकते हैं. इसमें नुकसान का जोखिम भी बहुत कम है.
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