
सिंधुरी आम, आम की एक ऐसी किस्म है जो अपने मीठे और रसीले स्वाद के लिए जानी जाती है. भारत में इसकी खेती आंध्र प्रदेश के दक्षिणी राज्य में की जाती है. आम की यह किस्म अंडाकार आकार की होती है और इसका छिलका हरे-पीले रंग का होता है. छिलके के ऊपर लाल रंग जा धब्बा भी होता है. जिस वजह से इसे सिंधुरी आम कहा जाता है. सिंधुरी आम आमतौर पर अप्रैल से जून तक बाजारों में उपलब्ध होता है. इस आम के स्वाद और मिठास की वजह से आम की मांग काफी ज्यादा है. इस आम का इस्तेमाल स्मूदी और अन्य आम-आधारित डेसर्ट बनाने में किया जाता है.
सिंदूरी आम स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. यह विटामिन सी, विटामिन ए और फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं. अगर इस आम के समय आप इसे खाते हैं तो यह आपकी इम्यूनिटी को भी बढ़ाने में आपकी मदद करता है. इतना ही नहीं पाचन में सुधार करने, स्वस्थ त्वचा और बालों को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है.
सिंधुरी आम को रसालू, पेद्दा रसालू और चपता रसालू जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. यह देर से पकने वाली आम की किस्म है, जिसे आमतौर पर मई के अंत से लेकर जुलाई की शुरुआत तक काटा जाता है. सिंधुरी आम का छिलका चिकना होता है दिखने में चमकदार होती है. सिंधुरी आम का गूदा रसदार, कोमल और हल्का खट्टापन के साथ मीठे स्वाद वाला होता है. सिंधुरी आम का इस्तेमाल अक्सर आम की चटनी, अचार और करी बनाने में किया जाता है.
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भारत में, सिंधुरी आम का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में उनके चिकित्सीय गुणों के लिए भी किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस आम में शीतलन गुण होते हैं और गर्मी से संबंधित बीमारियों जैसे हीट स्ट्रोक और डिहायड्रेटेड के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. सिंधुरी आम को अक्सर यूएसए, यूके और यूएई जैसे देशों में निर्यात किया जाता है.
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सिंधुरी आम मध्यम और अंडाकार आकार का होता है. यह नुकीली नोक वाली आम है. कच्चा होने पर छिलका हरा-पीला और पकने पर सुनहरा-पीला हो जाता है. इस आम का गूदा रसदार, मीठा और रेशे रहित होता है. सिंधुरी आम आमतौर पर आम की अन्य किस्मों की तुलना में छोटे होते हैं, जिनका वजन 100-130 ग्राम के बीच होता है. सिंधुरी आम में एक मीठी, फल की सुगंध होती है जो पकने के साथ तेज हो जाती है.
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