भारतीय मूल के सिमरपाल सिंह कैसे बन गए अर्जेंटीना के Peanut King, जानें सबकुछ 

भारतीय मूल के सिमरपाल सिंह कैसे बन गए अर्जेंटीना के Peanut King, जानें सबकुछ 

अर्जेंटीना वैसे तो सोयाबीन, मक्का और गेहूं के लिए जाना जाता है, लेकिन सिमरपाल सिंह ने वहां मूंगफली में अपार संभावनाएं देखीं. उन्होंने महसूस किया कि सही तकनीक, आधुनिक प्रोसेसिंग और ग्‍लोबल मार्केट से जुड़ाव के जरिए मूंगफली को एक बड़े बिजनेस में बदला जा सकता है. यही सोच उनकी सफलता की नींव बनी.

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भारतीय मूल के सिमरपाल सिंह कैसे बन गए अर्जेंटीना के Peanut King, जानें सबकुछ peanut king Simmarpal singh

फुटबॉल के शौकीनों के बीच मशहूर अर्जेंटीना आज एक भारतीय की वजह से भी जाना जाने लगा है. कभी भारत से हजारों किलोमीटर दूर बसे अर्जेंटीना की धरती पर मूंगफली की खेती को नई पहचान दिलाने वाले सिमरपाल सिंह आज ‘पीनट किंग’ के नाम से जाने जाते हैं. उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और दूरदर्शिता की मिसाल है, जो यह साबित करती है कि अगर सोच बड़ी हो और हौसला मजबूत, तो सीमाएं मायने नहीं रखतीं.  सिमरपाल सिंह का परिवार मूल रूप से भारत से जुड़ा रहा है, लेकिन बेहतर भविष्य की तलाश में वे अर्जेंटीना पहुंचे. 

कैसे हुई शुरुआत 

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जन्‍में और एक सिख परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले सिमरपाल की स्कूली पढ़ाई दुर्गापुर के सेंट जेव‍ियर्स स्‍कूल से हुई. उन्‍होंने इसके बाद एग्रीकल्‍चर में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद वह इंस्‍टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट पहुंचे जो आणंद गुजरात में है. यहां से उन्‍होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई की और कृषि के साथ ही मैनेजमेंट की अपनी समझ को और मजबूत किया. काम की शुरुआत उन्होंने भारत में ही की. वह पहले नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) और अमूल के साथ जुड़े और फिर ओलाम इंटरनेशनल के साथ जुड़कर अफ्रीका में मोजांबिक, आइवरी कोस्‍ट और घाना में उन्‍होंने काम किया और फिर उनका सफर उन्‍हें साल 2005 में अर्जेंटीना लेकर गया. 

किस मकसद से गए अर्जेंटीना 

जिस समय वह अर्जेंटीना गए, उनका मकसद बतौर ओलाम इंटरनेशनल के एंप्‍लॉयी वहां के किसानों से मूंगफली खरीदना था. लेकिन स्थानीय किसान पहले से बड़े और स्थापित फर्मों से जुड़े हुए थे, इसलिए नए डीलर्स के लिए अच्छी मूंगफली हासिल करना मुश्किल था. सिमरपाल ने इसी चुनौती को मौके में बदला. उन्होंने 700 हेक्टेयर जमीन को लीज पर लेकर खेती शुरू की. यह पायलट सफल रहा और फिर सिर्फ कुछ सालों में खेती का दायरा 39,000 हेक्टेयर तक बढ़ गया. 

भारतीय राजदूत ने दिया टाइटल 

धीरे-धीरे उन्होंने सोयाबीन, मक्का, बीन्‍स और चावल जैसी फसलों में डाइवर्सिफिकेशन की, साथ ही प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाए.  इन प्रयासों की वजह से ओलाम अर्जेंटीना न सिर्फ मूंगफली में बल्कि बड़े स्‍तर पर कृषि उत्पादन और प्रोसेसिंग में भी एक बड़ा खिलाड़ी बन गया. इसी असाधारण सफलता की वजह से उन्हें अर्जेंटीना में 'पीनट किंग' के तौर पर जाना जाता है. साल 2009 में उन्‍हें तत्‍कालीन भारतीय राजदूत रंगराज विश्‍वनाथन ने यह टाइटल दिया था. 

आज किसानों के साथ करते हैं काम 

अर्जेंटीना वैसे तो सोयाबीन, मक्का और गेहूं के लिए जाना जाता है, लेकिन सिमरपाल सिंह ने वहां मूंगफली में अपार संभावनाएं देखीं. उन्होंने महसूस किया कि सही तकनीक, आधुनिक प्रोसेसिंग और ग्‍लोबल मार्केट से जुड़ाव के जरिए मूंगफली को एक बड़े बिजनेस में बदला जा सकता है. यही सोच उनकी सफलता की नींव बनी. उन्होंने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम किया, उन्हें बेहतर तकनीक और बाजार से जोड़ा, जिससे न सिर्फ उनका बिजनेस बढ़ा बल्कि सैकड़ों किसानों की आमदनी भी बेहतर हुई. यह साझेदारी मॉडल उनकी सफलता का अहम हिस्सा रहा. 

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