शिवराज सिंह चौहान का बड़ा संदेश, विकसित भारत के लिए विकसित कृषि जरूरी

शिवराज सिंह चौहान का बड़ा संदेश, विकसित भारत के लिए विकसित कृषि जरूरी

कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और आईसीएआर संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने में अनुसंधान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

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शिवराज सिंह चौहान का बड़ा संदेश, विकसित भारत के लिए विकसित कृषि जरूरीकृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली के पूसा स्थित सुब्रमण्यम सभागार में देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और ICAR संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, अन्य उप महानिदेशक और अधिकारी भी उपस्थित थे.

ICAR को बताया कृषि क्षेत्र का मंदिर

अपने भाषण की शुरुआत करते हुए चौहान ने कहा कि वे ICAR को एक मंदिर मानते हैं, जिसमें किसान भगवान हैं और वैज्ञानिक उनके पुजारी. उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां गर्व करने योग्य हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं. किसानों की आय बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है.

कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका पर विशेष जोर

चौहान ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका केवल पढ़ाई और डिग्री तक सीमित नहीं होनी चाहिए. उनका काम किसानों तक तकनीकी जानकारी और व्यावहारिक समाधान पहुंचाना भी है. उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान केवल किताबों में सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि खेतों तक भी पहुंचना चाहिए. तभी इसका सही लाभ किसानों को मिलेगा.

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छह अहम कार्यों पर करना होगा फोकस

सम्मेलन के दौरान कृषि मंत्री ने एक स्पष्ट योजना पेश की, जिसमें छह महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान देने की बात कही गई:

  1. कृषि उत्पादन बढ़ाना
  2. प्रति हेक्टेयर उपज में सुधार
  3. कृषि लागत को कम करना
  4. उत्पादन का उचित मूल्य दिलाना
  5. फूड प्रोसेसिंग और कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देना
  6. प्राकृतिक खेती और नुकसान की भरपाई का सिस्टम मजबूत करना

इन कार्यों को मिलकर करने की आवश्यकता है, तभी देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और किसान की आय भी बढ़ेगी.

वैज्ञानिकों और छात्रों को खेतों में उतरने की अपील

चौहान ने कहा कि अब समय आ गया है कि वैज्ञानिक, कुलपति और छात्र फील्ड में जाएं. वे किसानों से मिलें, मिट्टी, जलवायु और फसल के बारे में जानकारी लें और फिर उन्हें उपयुक्त सलाह दें. उन्होंने कहा कि हम केवल कागजों पर योजना न बनाएं, बल्कि इस खरीफ सीजन में जमीन पर परिणाम दिखाएं.

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शोध और टेक्नोलॉजी का लाभ सीधे किसानों को मिले

कृषि मंत्री ने सुझाव दिया कि सभी विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करें कि उनके शोधपत्र और रिसर्च किसानों के काम आएं. इसके लिए वे मोबाइल एप्स, हेल्पलाइन या स्थानीय भाषा में गाइडलाइन जारी कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यह भी देखा जाना चाहिए कि कृषि की पढ़ाई करने वाले छात्र एग्रो-बिजनेस या खेती से जुड़े हैं या नहीं.

भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों को टॉप में लाने की अपील

चौहान ने कहा कि हर विश्वविद्यालय यह सोचकर काम करे कि वह भारत के शीर्ष 3 कृषि विश्वविद्यालयों में शामिल हो. इसके लिए बेहतर पढ़ाई, प्रैक्टिकल शिक्षा, स्टार्टअप सपोर्ट और किसानों से मजबूत संबंध आवश्यक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हर वाइस चांसलर को दो-तीन बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करनी चाहिए ताकि सब एक-दूसरे से सीख सकें.

परंपरागत और आधुनिक ज्ञान का संगम हो

अंत में मंत्री जी ने कहा कि हमें आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान और परंपरागत किसान अनुभव को जोड़ना होगा. उन्होंने कहा, “कई बार किसान व्यवहारिक रूप से ज्यादा जानकार होता है. हमें उसकी बात को भी उतना ही महत्व देना होगा.”

अब रिपोर्ट कार्ड की जरूरत

शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब केवल बैठकों से काम नहीं चलेगा. अगली बार जब सभी अधिकारी और वैज्ञानिक मिलें, तो अपने कार्यों का रिपोर्ट कार्ड लेकर आएं. तभी यह स्पष्ट हो पाएगा कि जो संकल्प लिए गए थे, वे जमीन पर कितने सफल रहे.

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