इस साल सावन महीने में शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाएगी. मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित होती है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव को खुश करने और मनचाहा फल पाने के लिए आप भगवान शिव को ये फूल और पत्तियां चढ़ा सकते हैं. ऐसे में अगर आप भी भगवान शिव को खुश करना चाहते हैं तो शिवलिंग पर इन फूल और पत्तियों को चढ़कर उन्हें खुश कर सकते हैं.
सावन के महीने में शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, धूपबत्ती और भोग अर्पित करने के बाद शिव मंत्र का जाप किया जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है. इसके अलावा सावन में शिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्तों पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनके सभी काम सफल बनाते हैं. वैवाहिक जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं. इसके साथ ही अविवाहित जातक के विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और योग्य वर या वधू की प्राप्ति होती है.
भगवान शिव को कनेर का फूल बहुत प्रिय है. शास्त्रों में भी भगवान शिव की पूजा कनेर फूल से करने को कहा गया है. सावन के महीने में सोमवार को शिवलिंग पर कनेर का फूल चढ़ाने से भगवान शिव बहुत खुश होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. कनेर फूल तीन रंगों में पाया जाता है, पीला, सफेद और लाल. आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी रंग का फूल भगवान शिव को चढ़ा सकते हैं.
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हिंदू धर्म में शमी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है. इसे भगवान शिव का प्रिय पौधा कहा जाता है. शमी के पेड़ पर लगने वाले फूल भी भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं. सावन के महीने में आपको अपने घर में शमी का पौधा जरूर लगाना चाहिए. अगर आप हर सोमवार को इसके फूलों से भगवान शिव की पूजा करते हैं तो भगवान शिव आप पर बहुत जल्दी कृपा करते हैं. इसका फूल देखने में भी बहुत सुंदर होता है और पीले और गुलाबी रंग का होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वही फूल है जिससे भगवान शिव ने जल छिड़ककर गणेश जी को जीवित किया था. इसीलिए इसे जीवन देने वाला फूल कहा जाता है. भगवान शिव को भी यह फूल बहुत प्रिय है. सफेद रंग का यह फूल देखने में भी बहुत सुंदर होता है. इसे घर में लगाने से भोलेनाथ की कृपा हमेशा आपके घर पर बनी रहती है. यह फूल घर में सकारात्मकता का माहौल बनाए रखता है.
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भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाने की सलाह दी जाती है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध कर दिया था. जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने खुद ही भगवान शिव को पूजा से वंचित कर दिया था.
भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग न करें. एक बार सभी देवता दैत्य शंखचूड से परेशान थे. तब भगवान शिव ने त्रिशूल से शंखचूड का वध कर दिया था. इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
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