मॉनसून सीजन में इस बार झमाझम बारिश हुई है. मसलन, इस साल मॉनसून में बारिश ने बीते साल अल नीनो के सूखे को खत्म किया है. मॉनसून में झमाझम हुई बारिश से इस बार खरीफ फसलों को भी फायदा हुआ है. मसलन, इस साल धान के रकबे ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है और देश में धान बुवाई रकबा पहली बार 408 लाख हेक्टेयर पार कर गया है. किसानों की मेहनत से इस बार देश में धान का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संंभावनाएं हैं. इसे देखते हुए भारत सरकार ने किसानों की मेहनत काे सम्मान देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत केंद्र सरकार ने चावल एक्सपोर्ट से बैन हटा दिया है. आज की बात इसी पर जानेंगे कि केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों को कितना फायदा होगा.
केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बीते शनिवार यानी 28 सितंबर को गैर बासमती चावल यानी सफेद चावल एक्सपोर्ट से बैन हटाने की अधिसूचना जारी की है. हालांकि चावल एक्सपोर्ट पर शर्त लगाई गई है, जिसके तहत चावल एक्सपोर्ट पर 490 डालर प्रति टन एमईपी (न्यूनतम निर्यात मूल्य ) लगाई गई है. इससे पहले 13 सितंबर को केंद्र सरकार ने बासमती चावल एक्सपोर्ट बैन से एमईपी हटाने की घोषणा की थी. पूर्व तक बासमती पर 950 डालर प्रति टन एमईपी लगाई गई थी.
देश में सफेद चावल एक्सपोर्ट पर 20 जुलाई 2023 को बैन लगाया था. तब से चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगा हुआ था, जो तकरीबन 14 महीने बाद हटाया गया है. इससे पहले सितंबर 2022 से टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया गया था. वहीं ऊसर चावल एक्पोर्ट पर 20 फीसदी ड्यूटी लगाई गई थी, जो अभी तक जारी है.
चावल एक्सपोर्ट से बैन हटाने का फैसला तब लिया गया है, जब देश में चावल का स्टॉक भरपूर है. तो वहीं कृषि मंंत्रालय भी देश में भरपूर चावल उत्पादन का अनुमान जारी कर चुका है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक FCI और राज्य एजेंसियों के पास एक जुलाई 2024 को 326.14 लाख टन चावल का स्टॉक था. इसके उलट बफर स्टॉक के लिए 1 जुलाई को 135.40 लाख टन चावल की जरूरत होती है. वहीं इस साल कृषि मंत्रालय देश में 13.78 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान जारी कर चुका है. कुल मिलाकर इस बार देश में चावल का भंडार भरा रहेगा.
केंद्र सरकार ने चावल एक्सपोर्ट से बैन हटा दिया है. अब ऐसे में सवाल है कि इससे किसानों को कितना फायदा होगा. इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश करें तो जाहिर तौर पर कहा जा सकता है कि इससे किसानों को फायदा होगा. उनकी फसल को विदेशी बाजार मिलेगा. इसके पीछे की वजह ये है कि दुनिया में होने वाले चावल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है, जो सबसे अधिक है, लेकिन मौजूदा वक्त में चावल एक्सपोर्ट पर जो फैसला हुआ है, उससे किसानों को सीमित फायदा होने की उम्मीद है. असल में चावल एक्सपोर्ट से बैन हटाने के साथ ही केंद्र सरकार ने 490 डॉलर एमईपी की शर्त भी लगाई है. इससे चावल के दाम निर्धारित होंगे. मसलन, विदेशों में चावल की मांग सीमित होगी. वहीं इस बार चावल का स्टॉक भरपूर है, जिसे देखते हुए बीते दिनों सरकार अनाज की कमी से जूझ रहे राज्यों से 2800 रुपये क्विंटल पर धान खरीदने का ऑफर दिया है. जो ये इशारा करता है कि चावल के दाम घरेलू बाजार में भी स्थिर रहेंगे.
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