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Organic Farming: क्या जैव‍िक खेती से कम हो जाती है फसलों की उत्पादकता? 

Organic Farming: क्या जैव‍िक खेती से कम हो जाती है फसलों की उत्पादकता? 

अपनी एक र‍िपोर्ट में भारतीय कृष‍ि अनुसंधान संस्थान (पूसा) ने दावा क‍िया है क‍ि जैविक खेती से रासायनिक के मुकाबले फसल उत्पादकता 20 से 25 फीसदी तक बढ़ जाती है. सवाल यह है क‍ि इसके बावजूद क्यों प‍िछले दो दशक में खेती योग्य जमीन के तीन फीसदी क्षेत्र पर भी नहीं हो रही है ऐसी खेती?   

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जैविक खेती मिथक, तथ्य और पूसा का दावा. (Photo-Kisan Tak) जैविक खेती मिथक, तथ्य और पूसा का दावा. (Photo-Kisan Tak)

देश में प‍िछले दो दशक के दौरान जैव‍िक खेती का दायरा महज 40 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच पाया है. जो हमारी कुल कृषि योग्य भूम‍ि (140 मिलियन हेक्टेयर) का स‍िर्फ 2.71 फीसदी है. जबक‍ि, कुछ वर्षों से इसे बढ़ावा देने के ल‍िए 50,000 रुपये प्रत‍ि हेक्टेयर की सरकारी मदद भी दी जा रही है. ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वालों का कहना है क‍ि क‍िसान ऐसी खेती से इसल‍िए डरते हैं क‍ि उत्पादन घट जाएगा. लेक‍िन यह एक धारणा और आधा सच है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन काम करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने इसे लेकर एक बड़ी र‍िपोर्ट दी है. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि जैविक खेती से रासायनिक के मुकाबले फसल उत्पादकता 20 से 25 फीसदी ज्यादा है.

अपनी बात की तस्दीक करने के लिए पूसा ने बाकायदा प्रमुख फसलों की उत्पादकता के आंकड़े भी दिए हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सोयाबीन की जैविक खेती में प्रोडक्ट‍िव‍िटी रासायनिक के मुकाबले 45 परसेंट तक अधिक है. जैव‍िक खेती से गेहूं और मूंगफली की उत्पादकता 28.57 फीसदी अध‍िक होने का दावा क‍िया गया है. फल और सब्ज‍ियों की उत्पादकता में भी वृद्ध‍ि बताई गई है, लेक‍िन यह महज 7.14 फीसदी है. 

जैव‍िक उत्पादों का बाजार 

ऑर्गेन‍िक प्रोडक्ट सामान्य कृष‍ि उत्पादों से महंगे होते हैं. इसका इंटरनेशनल मार्केट भी काफी बढ़ रहा है. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने 2022 में प्रकाश‍ित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेन‍िक एग्रीकल्चर मूवमेंट जर्मनी और र‍िसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्गेन‍िक र‍िसर्च स्विट्जरलैंड की एक र‍िपोर्ट के हवाले से बताया है क‍ि वैश्च‍िक जैव‍िक बाजार प‍िछले छह वर्ष (2014 से 2020) के दौरान 8.7 फीसदी की सालाना वृद्ध‍ि दर से आगे बढ़ा है. ऐसे में क‍िसानों के ल‍िए इसमें काफी संभावना है. 

एप‍िडा की एक र‍िपोर्ट के मुताब‍िक साल 2020-21 में भारत ने 7078 करोड़ रुपये के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट क‍िया गया. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2016-17 में 305599 मिट्रिक टन ऑर्गेन‍िक कृष‍ि उत्पादों का एक्सपोर्ट हुआ था जो 2020-21 में लगभग तीन गुना बढ़कर 8,88,179.69 मिट्रिक टन हो गया है.

ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर दी गई पूसा की र‍िपोर्ट.
ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर दी गई पूसा की र‍िपोर्ट.

क‍िसानों के मन में शंका क्या है?  

द‍िसंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक कार्यक्रम के जर‍िए क‍िसानों से केम‍िकल फ्री खेती की ओर चलने का आह्वान क‍िया था. इसके बाद जनवरी 2022 में मध्य प्रदेश के बागवानी मंत्री भारत सिंह कुशवाह अपने क्षेत्र क‍िसानों को यही बात समझाने न‍िकले. लेक‍िन, किसानों ने उन्हें बताया कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को छोड़कर केमिकल फ्री खेती करने पर शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम हो जाता है.

दरअसल, यह शंका देश के ज्यादातर किसानों के मन में है. प्रयागराज में जैविक खेती कर रहे राजेंद्र भाई कहते हैं कि यह भ्रम के अलावा कुछ भी नहीं है कि जैव‍िक खेती से उत्पादन कम हो जाता है. लॉन्ग टर्म में ऐसी खेती बहुत फायदेमंद है.  

ऑर्गेनिक खेती और भारत 

साल 2004-05 में यहां जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना शुरू की गई. उससे एक साल पहले तक सिर्फ 76 हजार हेक्टेयर में ऑर्गेनिक फार्मिंग में हो रही थी. जो अब बढ़कर करीब 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. विश्व में कुल प्रमाणित जैविक खेती क्षेत्र के मामले में भारत का स्थान 5वां है. यहां करीब 44 लाख किसान ऐसी खेती कर रहे हैं. सिक्किम अपनी 76000 हेक्टेयर की पूरी खेती योग्य जमीन को जैविक के रूप में प्रमाणित करके जनवरी 2016 में ही जैविक खेती वाला राज्य बन गया है. देश में 44.33 लाख किसान आधिकारिक तौर पर जैविक खेती कर रहे हैं.

क‍िसानों को क्या है फायदा?

जैव‍िक खेती में रासायन‍िक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता. इससे लागत में कमी आती है और धरती की उर्वरता भी बनी रहती है. उसके ऑर्गेन‍िक कार्बन का ह्रास नहीं होता. जैविक उत्पादों की कीमत रासायनिक से अध‍िक होती है, जिससे किसानों की औसत आय में वृद्धि होती है. सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है. क्योंक‍ि भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है.

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