किसी भी मौसम में लोगों को बाजार में सब्जी की ढेरों वैरायटी मिलती हैं. ऐसी ही एक हरी और पत्तेदार सब्जी है साग. इसे चौलाई, बथुआ, सरसों, पालक, चना और मेथी आदि के साग अधिकतर लोग खरीदना और खाना पसंद करते हैं. ये तो हुई साग खाने की बात, मगर साग उगाने की बात भी काफी अहम है. किसान साग की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, वर्तमान समय में साग की कुछ ऐसी किस्में हैं जिनकी खेती करने पर किसानों को बेहतर उपज के साथ-साथ कीमत भी अच्छी मिलेगी. ऐसे में अगर आप भी साग की कुछ ऐसी ही किस्म की तलाश कर रहे हैं, तो आप अर्का सगुना की खेती कर सकते हैं. आइए बताते हैं कहां सस्ते में मिलेगा इसका बीज और क्या है इसकी खासियत.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन चौलाई के साग की उन्नत किस्म अर्का सगुना किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. आप इसे घर बैठे ऑनलाइन ऑर्डर करके डिलीवरी करवा सकते हैं.
NSC-IIHR, किसान भाइयों के लिए "चौलाई/AMARANTHUS" की "अर्का सगुना" किस्म के उत्तम बीज ऑनलाइन उपलब्ध करवा रहा है|
— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) September 10, 2024
ONDC प्लेटफॉर्म पर NSC के ऑनलाइन स्टोर से ऑर्डर करने के लिए https://t.co/sE5OYfKa0C पर क्लिक करें#FarmSona @AgriGoI @ChouhanShivraj @mpbhagirathbjp @mkaurdwivedi pic.twitter.com/PCPWtTevUz
अर्का सगुना किस्म उगाना काफी फायदेमंद है. इसे खाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है. साथ ही इसे उगाना काफी आसान होता है. इसलिए इसको खेत के अलावा, किचन गार्डन और टेरेस गार्डन में भी उगाया जा सकता है. इस साग के बीज को लगाने के 25-30 दिन बाद पहली कटाई और 90 दिन में 5-6 कटाई होती है. इस किस्म की पत्तियां हल्के हरे रंग की होती हैं. इस साग की खेती बरसात के मौसम में की जाती है. ये किस्म सफेद रतुआ के प्रति प्रतिरोधी है. वहीं, इस किस्म की खेती करने पर 25-30 टन प्रति हेक्टेयर उपज लिया जा सकता है.
अगर आप भी चौलाई के साग की अर्का सगुना किस्म की खेती करना चाहते हैं तो अर्का सगुना किस्म के बीज का 40 ग्राम का पैकेट फिलहाल 60 रुपये में मिल रहा है. ये बीज आपको राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से साग की खेती कर सकते हैं.
चौलाई की खेती के लिए बीजों को सीधे खेत में छिड़कने या फिर रोपण विधि से बुवाई की जा सकती है. रोपण विधि से आम तौर पर ज़्यादा पैदावार मिलती है. चौलाई की खेती मैदानी क्षेत्रों में ठंड की शुरुआत में ही करनी चाहिए. वहीं, चौलाई की खेती के लिए जुताई के समय खेत में सड़ी गोबर की खाद डालनी चाहिए. चौलाई की खेती में पौधों के बीच में पर्याप्त दूरी रखना जरूरी होता है. साथ ही इसकी खेती में बुवाई के बाद मिट्टी को लगातार नम रखना होता है. वहीं, चौलाई की खेती में जड़ों में जलभराव नहीं होना चाहिए.
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