scorecardresearch
Explained: 'नौ अनाज' खेती क्या है जिसके लिए नेकराम शर्मा को मिला पद्म सम्मान

Explained: 'नौ अनाज' खेती क्या है जिसके लिए नेकराम शर्मा को मिला पद्म सम्मान

नेकराम शर्मा ने नौ अनाज की खेती के लिए ऐसे फसलों का चुनाव किया जिन्हें कम से कम खाद और पानी में उगाया जा सके. इसमें सबसे पहले मिलेट का नाम आया जिन्हें कम पानी या बारिश के पानी पर भी उगाया जा सकता है. मिलेट का एक फायदा ये भी है कि ये अतिरिक्त पानी को सोखकर बाढ़ का खतरा कम करते हैं.

advertisement
नौ अनाज खेती में मिलेट्स का बड़ा रोल है नौ अनाज खेती में मिलेट्स का बड़ा रोल है

हिमाचल प्रदेश के किसान नेकराम शर्मा को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. नेकराम शर्मा हिमाचल प्रदेश में इस साल पद्म पुरस्कार से अकेले सम्मानित व्यक्ति हैं. 'उन्हें हिमाचल प्रदेश में नौ-अनाज' की खेती को दोबारा जीवित करने के लिए इस सम्मान से नवाजा गया है. यहां नौ-अनाज का मतलब नौ अनाजों की खेती है. नेकराम शर्मा की नौ अनाज खेती पूरी तरह से प्राकृतिक और बिना किसी रासायनिक खाद के होती है. इससे खेतों की उर्वरकता बढ़ी है और पानी की खपत 50 परसेंट तक कम हुई है. इस बड़े सुधार के लिए सरकार ने नेकराम शर्मा को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है.

नेकराम शर्मा की नौ अनाज खेती में जिन नौ फसलों को लिया जाता है उनमें दाल, अनाज, सब्जियां, फलियां और साग शामिल हैं. नौ अनाज खेती के पीछे नेकराम शर्मा का कॉन्सेप्ट ये है कि किसी इंसान की जरूरत के लिए खाने की सभी चीजें एकसाथ उगाई जा सकें. इसमें और अच्छी बात ये है कि फसल उगाने के साथ जमीन को भी कोई नुकसान न हो बल्कि उसे प्राकृतिक और जैविक खाद देकर उसकी उर्वरकता बढ़ाई जाए. नेकराम शर्मा ने इसी कॉन्सेप्ट पर काम करते हुए हिमाचल प्रदेश में नौ अनाज खेती को जीवंत किया है.

क्या है नौ अनाज खेती

नेकराम शर्मा कहते हैं कि प्राकृतिक खेती और अंतर-फसल (इंटरक्रॉपिंग) पैटर्न से खेती में विविधता आती है. इससे मिट्टी उर्वर बनती है और धीरे-धीरे उपज की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों में वृद्धि आती है. साथ ही पानी की खपत कम होती है और खेती की लागत घटती है. इसी कॉन्सेप्ट को बढ़ाने के लिए नेकराम शर्मा को भारत सरकार से पद्म पुरस्कार मिला है. उन्हें यह सम्मान कृषि क्षेत्र में दिया गया है. पद्म पुरस्कार देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है.

ये भी पढ़ें: Pomegranate: देश के 4 राज्यों में ही अनार का 95 फीसदी उत्पादन, महाराष्ट्र है अव्वल

खेती में दो तरह के पैटर्न प्रचलित हैं. पहला, सिंगल क्रॉप पैटर्न और दूसरा, इंटर-क्रॉप पैटर्न. सिंगल क्रॉप पैटर्न में एक फसल कटने के बाद दूसरी फसल की खेती होती है, जबकि इंटर-क्रॉप पैटर्न में एक साथ कई फसलों की खेती होती है. नेकराम शर्मा ने सिंगल क्रॉप के बदले इंटर-क्रॉप पैटर्न को आगे बढ़ाया है. हालांकि पहले भी यह खेती हिमाचल प्रदेश में होती थी, लेकिन बाद में यह विलुप्त सी हो गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोग मोटे अनाजों को छोड़कर नकदी फसलों की तरफ बढ़ गए. यह दौर 90 के दशक है. तब से लेकर अभी तक सिंगल क्रॉप पैटर्न ही चल रहा है. 

पारंपरिक खेती का नुकसान

अब इस खेती का घाटा सामने आ रहा है जिसमें मिट्टी की उर्वरकता खत्म होने और पानी की खपत बढ़ने जैसे कारण प्रमुख हैं. नेकराम शर्मा मानते हैं कि नकदी फसल अधिक से अधिक उपजाने के लिए किसानों ने रासायनिक खादों का भरपूर इस्तेमाल किया. इससे मिट्टी लगभग मर सी गई. इस मिट्टी को फिर से जिंदा करने के लिए नेकराम शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में एक साथ नौ फसलों की खेती शुरू की. इन फसलों में दाल, मोटे अनाज, सामान्य अनाज, सब्जियां, फली, साग आदि शामिल हैं.

आज जब खेती की लागत तेजी से बढ़ रही है और उस हिसाब से मुनाफा नहीं हो रहा तो किसान फिर उसी पुराने दौर में लौटना चाह रहे हैं. किसान अब मोटे अनाजों की खेती पर जोर दे रहे हैं, वह भी प्राकृतिक खेती की पद्धति के साथ. नेकराम शर्मा ने नौ अनाज की खेती 1995 में शुरू की और उन्हीं बीजों का इस्तेमाल किया जो पहले से सुरक्षित रखे गए थे. इसके लिए नेकराम शर्मा ने बड़ा बीज बैंक भी तैयार किया है. 

नेकराम शर्मा ने नौ अनाज की खेती के लिए ऐसे फसलों का चुनाव किया जिन्हें कम से कम खाद और पानी में उगाया जा सके. इसमें सबसे पहले मिलेट का नाम आया जिन्हें कम पानी या बारिश के पानी पर भी उगाया जा सकता है. मिलेट का एक फायदा ये भी है कि ये अतिरिक्त पानी को सोखकर बाढ़ का खतरा कम करते हैं. मिलेट की खासियत ये भी है कि यह बाढ़ और सूखे में भी पूरी पैदावार देता है. लोगों की भूख मिटाने में भी मिलेट का बड़ा योगदान है. एक किलो चावल में जहां चार लोगों को खिलाया जा सकता है, वहीं एक किलो मोटे अनाज में आठ लोग खा सकते हैं. यही वजह है कि नेकराम शर्मा ने नौ अनाज खेती में मिलेट को सबसे पहले रखा.

ये भी पढ़ें: तीन क‍िलो वजनी हरी फूल गोभी बढ़ाएगी क‍िसानों का मुनाफा, नई क‍िस्म व‍िकस‍ित!

मिलेट्स की खेती पर फोकस

शर्मा ने मिलेट के साथ अनाज में गेहूं उगाने पर ध्यान दिया. गेहूं के बाद उसी खेत में सरसों की फसल लगाई गई जो नाइट्रोजन फिक्स करने वाली फसल है. सरसों के नाइट्रोजन का फायदा उसके आसपास की फसलों को मिलता है. इसी तरह दाल और अलसी को एकसाथ उगाया गया. इसमें दालें भी नाइट्रोजन सोखने वाली फसल होती है जिसका फायदा जमीन को मिलता है. 

अभी नेकराम शर्मा मक्का, मूंग, बीन्स, राजमा, उड़द की दाल, रामदाना, फॉक्सटेल मिलेट, फिंगर मिलेट और कुट्टू की खेती करते हैं. इन सभी फसलों के किनारे आम, अनार और लीची जैसे फल देने वाले पेड़ लगे हुए हैं. इन फसलों पर कीटनाशक और रासायनिक खाद के बदले गाय के गोबर और मूत्र से बने खाद का उपयोग करते हैं. इससे खेती की लागत लागत 90-95 प्रतिशत कम हो गई है और पानी की जरूरत लगभग 50 प्रतिशत तक घट गई है.