सीएम मोहन यादव ने ‘बिजली काटने वाले’ आदेश को रद्द कियामध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देते हुए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उस विवादित आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है, जिसमें कृषि फीडरों पर 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर संबंधित अधिकारियों की वेतन कटौती का प्रावधान किया गया था. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) अजय कुमार जैन को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है.
दरअसल, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड ने 3 नवंबर को एक परिपत्र (क्रमांक 676) जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति दर्ज होती है, तो संबंधित अधिकारी — सहायक अभियंता (AE/AEEM), उपमहाप्रबंधक (DGM) और महाप्रबंधक (GM) — के वेतन से एक दिन का वेतन काटा जाएगा.
इस आदेश ने किसानों में भारी नाराजगी पैदा कर दी थी. आदेश में यह भी कहा गया था कि कृषि फीडरों पर लगे मीटरों से समय निर्धारण के अनुसार अधिकतम 15 मिनट की तकनीकी त्रुटि की छूट दी जाएगी. यानी, अगर किसी फीडर पर 10 घंटे और 1 मिनट से अधिक बिजली दी गई, तो यह उल्लंघन माना जाएगा और कार्रवाई की जाएगी.
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस आदेश को लेकर बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह सरकार किसानों के साथ दोहरा रवैया अपना रही है — एक ओर किसान हितैषी घोषणाएं की जाती हैं और दूसरी ओर किसानों की बिजली काटने के आदेश जारी होते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि यह सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है. “सरकार खुद को किसान हितैषी बताती है लेकिन वास्तविकता में किसानों को परेशान करने वाले आदेश जारी किए जा रहे हैं,” उन्होंने कहा.
बढ़ते विरोध के बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मामले पर तत्काल संज्ञान लिया और विवादित आदेश को रद्द करने के निर्देश दिए. सीएम ने कंपनी के सीजीएम अजय जैन को उनके पद से हटाते हुए ऊर्जा विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों को बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए.
सीएम ने यह भी कहा कि सरकार किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. “हमारा लक्ष्य किसानों को सुविधा देना है, सजा देना नहीं,” उन्होंने कहा.
बिजली कंपनी का यह आदेश उस वक्त आया था जब मुख्यमंत्री ने खुद ऊर्जा विभाग की ‘समाधान योजना’ की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपभोक्ताओं को तीन महीने या उससे अधिक के बकाया बिल पर सरचार्ज माफी दी जानी थी.
किसानों का कहना था कि जिस दिन मुख्यमंत्री ने राहत योजना की घोषणा की, अगले ही दिन कंपनी का आदेश किसानों के लिए सजा जैसा था.
इस आदेश की कॉपी राज्य के उन जिलों को भेजी गई थी, जहां खेती का बड़ा दायरा है —भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, रायसेन, हरदा, विदिशा, अशोकनगर, गुना, भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी और दतिया. इन इलाकों के किसान आदेश को लेकर गुस्से में थे और विरोध की तैयारी कर रहे थे.
सरकार के आदेश रद्द होने और सीजीएम के हटाए जाने के बाद किसानों में राहत की भावना देखी जा रही है. किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि सरकार ने “विवेकपूर्ण निर्णय” लेकर किसानों के साथ अन्याय को रोका है.(रवीश पाल सिंह के इनपुट के साथ)
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