आम अपनी सुगंध और गुणों के कारण लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय है. विश्व के कई देशों में आम की व्यावसायिक बागवानी की जाती है. लेकिन यह फल भारत में भी उतना ही लोकप्रिय है जितना किसी अन्य देश में. हमारे देश में पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर लगभग हर भाग में आम की बागवानी की जाती है. हालांकि, व्यावसायिक खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और गुजरात राज्यों में की जाती है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में आम का कुल क्षेत्रफल 2,460 हजार हेक्टेयर है, जिससे 17,290 हजार मीट्रिक टन आम पैदा होता है. लेकिन आम की बागवानी कर रहे किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि आम के पेड़ में हर साल फल नहीं लगते हैं. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह आइए जानते हैं.
उपज में द्विवार्षिक फलन की समस्या पाई जाती है. यानी एक साल छोड़कर दूसरे साल फल का लगना. एक वर्ष पेड़ अधिक फल देता है और अगले वर्ष बहुत कम फल देता है. यह समस्या जेनेटिक है. इसलिए इसका कोई बहुत कारगर उपाय नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में आम की कई संकर किस्में विकसित की गई हैं. जो इस समस्या से मुक्त है इसलिए हर साल फल प्राप्त करने के लिए संकर किस्मों को प्राथमिकता देनी चाहिए. आम के पेड़ चार-पांच साल की उम्र में फल देना शुरू कर देते हैं और 12-15 साल की उम्र में पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं, अगर फल काफी हद तक स्थायी हो जाएं. एक परिपक्व पेड़ 1000 से 3000 तक फल देता है. अच्छी देखभाल से ग्राफ्टेड पौधे 60-70 वर्षों तक अच्छे फल देते हैं.
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खेत से खरपतवार निकालकर 10 साल या 10 साल से अधिक पुराने आम के पेड़ (वयस्क पेड़) के लिए 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस और 500 ग्राम पोटैशियम प्रति पेड़ देना चाहिए. इसके लिए यदि हम प्रति पेड़ लगभग 550 ग्राम डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश देते हैं तो उपरोक्त पोषक तत्वों की मात्रा पूरी हो जाती है. इसके साथ ही 20-25 किलोग्राम अच्छी तरह सड़ी हुई गाय का गोबर या कम्पोस्ट भी देना चाहिए. यह खुराक 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पेड़ों (परिपक्व पेड़ों) के लिए है. यदि हम उर्वरक की उपरोक्त मात्रा को 10 से विभाजित करते हैं और जो आता है वह 1 वर्ष पुराने पेड़ के लिए है. एक साल पुराने पेड़ के लिए खुराक को पेड़ की उम्र से गुणा करें और उस खुराक को पेड़ पर लगाएं.
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