विदेशी खरीदारों से कीमतों को लेकर आम राय नहीं बनने के चलते पश्चिम बंगाल के मालदा आम का निर्यात प्रभावित हुआ है. हालांकि, इस बार उत्पादन में 60 फीसदी तक की गिरावट होने से घरेलू बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है, जिससे उत्पादक खुश हैं. मालदा के बागवानी उप निदेशक के अनुसार कि इस साल ब्रिटेन और दुबई के खरीदारों ने पहले खरीदारी के लिए इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में निर्यात सौदे रद्द कर दिए.
रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से आमों के निर्यात पर असर पड़ा है, क्योंकि विदेशी खरीदारों से निर्यातकों उचित दाम पाने में असफल रहे हैं. हालांकि, विक्रेताओं को घरेलू बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है. उन्होंने बताया कि ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात के खरीदारों ने शुरुआत में मालदा आम खरीद के लिए रुचि दिखाई थी, लेकिन कीमतों पर मतभेद के चलते शिपमेंट नहीं भेजा जा सका.
कहा गया कि विक्रेताओं को घरेलू बाजार से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. क्योंकि दिल्ली में एक एक्सपो में लगभग 17 टन मालदा आम 100 रुपये से 150 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिका है. आम के कम उत्पादन के बावजूद हाई क्वालिटी के चलते थोक कीमतों में 50-80 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. जबकि, इस बार मालदा आम बाजार में 100 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिका है, जो अच्छी कीमत है.
मालदा के बागवानी उप निदेशक सामंत लायेक ने पीटीआई से कहा कि इस साल ब्रिटेन और दुबई के खरीदारों ने पहले खरीदारी के लिए इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में निर्यात सौदे रद्द कर दिए. पहले हिमसागर किस्म के 1,300 किलोग्राम के शिपमेंट के लिए रुचि दिखाई गई थी लेकिन यह फाइनल नहीं हो सका. मालदा में आम विक्रेता पिछले दो साल से आम निर्यात नहीं कर पा रहे थे और इस बार उम्मीद थी कि निर्यात हो सकेगा पर इसमें सफलता नहीं मिली.
बागवानी उप निदेशक सामंत लायेक के अनुसार इस साल गर्मी और बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन में भारी गिरावट आम की कीमतें में बढ़ोत्तरी की वजह है. उन्होंने कहा कि इस साल विपरीत जलवायु परिस्थितियों की वजह से आम उत्पादन में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 2023 में 3.79 लाख टन की तुलना में इस बार उत्पादन केवल 2.2 लाख टन रहा है.
मालदा में होने वाली आम की मशहूर किस्मों में फजली, हिमसागर, लक्ष्मणभोग, लंगड़ा और आम्रपल्ली हैं. मीठे स्वाद और खुशबू के लिए मशहूर हिमसागर किस्म के आम में फाइबर नहीं होता और इसे भारत में उपलब्ध सबसे अच्छे आमों में से एक माना जाता है. वहीं, आम उत्पादकों ने कीटनाशकों के इस्तेमाल को कंट्रोल करने के लिए सरकार से अधिक मदद और निर्यात के लिए क्वालिटी बनाए रखने के लिए बेहतर प्रॉसेसिंग और स्टोरेज सुविधाओं की मांग की है.
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