महाराष्ट्र में दूध के दामों को लेकर घमासान मचा हुआ है. महाराष्ट्र में किसानों से 27 रुपये लीटर दूध की खरीदारी हो रही है. इसको लेकर बीते दिनों महाराष्ट्र के दूध किसानों ने सड़काें पर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने बजट में दूध किसानों के लिए सब्सिडी जारी रखने का ऐलान किया है, जिसके तहत महाराष्ट्र में दूध किसानों को 5 रुपये प्रतिलीटर बोनस राज्य सरकार की तरफ से दिया जाएगा, जो दूध के खरीद मूल्य से अतिरिक्त होगा, लेकिन दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर बोनस के बाद भी महाराष्ट्र के दूध किसानों का संंग्राम जारी है, जिसके तहत दूध किसान इन दिनों फिर सड़कों पर उतरे हुए हैं.आइए समझते हैं कि बोनस की घोषणा के बाद भी आखिर क्यों महाराष्ट्र के दूध किसान परेशान हैं. क्या है महाराष्ट्र में चल रहे दूध संग्राम की असली कहानी...
महाराष्ट्र में मौजूदा वक्त में दूध के लगभग दाम 25 से 27 रुपये लीटर चल रहे हैं. राज्य की डेयरी कंपनियां किसानों से इस दाम पर दूध की खरीदारी कर रही है, जबकि इसके ऊपर 5 रुपये बोनस के तौर पर किसानों को दिए जाने हैं, लेकिन किसान बाेनस के तौर पर प्रति लीटर मिल रहे बोनस को नाकाफी बता रहे हैं. इसको लेकर अहमदनगर के दूध किसान नंदू रोकड़े बताते हैं कि 5 रुपये प्रति लीटर बोनस पहले से लागू है, लेकिन राज्य के कई किसानों को अभी तक बाेनस का फायदा नहीं मिला है.
ऐसे में बोनस की घोषणा का फायदा कितने किसानों को होगा, ये पता नहीं है. वहीं नंदू आगे बताते हैं कि किसानों की मांग है कि राज्य के सभी किसानों को 10 रुपये लीटर के हिसाब से बाेनस दिया जाए. इससे किसानों का नुकसान कम होगा
महाराष्ट्र के दूध किसान 5 रुपये प्रति लीटर बाेनस दिए जाने की घोषणा से इस वजह से खुश नहीं हैं, क्योंकि महाराष्ट्र में बीते साल ही किसानों ने 38 रुपये लीटर के हिसाब से डेयरी कंंपनियों को दूध बेचा था. किसानों की मांग है कि पशुपालन में खर्च बढ़े हैं, ऐसे में 10 रुपये लीटर बोनस मिलने से दूध के दाम पुराने रेट पर पहुंचेंगे.
महाराष्ट्र में बीते साल दूध के दाम 38 रुपये लीटर थे, तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि दूध के दामों में प्रतिलीटर 12 रुपये तक की गिरावट आ गई और आज किसान 26 रुपये लीटर दूध बेचने को मजबूर हैं. इस सवाल के जवाब में ऊर्जा मिल्क कॉपरेटिव के चैयरमैन प्रकाश कुतवल कहते हैं कि मिल्क पाउडर और मक्खन ने दूध के दाम गिराए हैं
वह बताते हैं बीते साल स्किम्ड मिल्क पाउडर के दाम 330 रुपये किलो तक पहुंच गए थे, तो वहीं मक्खन के दाम 450 रुपये किलो पहुंच गए हैं. उस दौरान डेयरी कंपनियाें ने किसानों से 38 रुपये लीटर पर दूध की खरीदी की. अभी स्किम्ड मिल्क पाउडर के दाम 210 रुपये किलो तक पहुंए गए हैं, जबकि मक्खन के दाम भी काफी नीचे हैं.
नतीजतन दूध के दामों में भी गिरावट है. इस वजह से किसानाें से 26 रुपये लीटर में दूध की खरीद हो रही है.असल में इसकी वजह ये ही है कि मौजूदा समय में मिल्क पाउडर का स्टॉक भारत में जरूरत से अधिक हाे गया है.
मुंबई समेत अन्य महानगरों में जब दूध के दामों में बढ़ोतरी हो रही है, तब मिल्क पाउडर और मक्खन के दामों में गिरावट से कैसे दूध के दामों में गिरावट हो सकती है. ये सवाल महाराष्ट्र में जारी दूध संग्राम पर फिट बैठता है, जिसका जवाब महाराष्ट्र में गड़बड़ाया हुआ मिल्क कोऑपरेटिव सिस्टम है. असल में महाराष्ट्र में मिल्क कोऑपरेटिव का सबसे बड़ा ब्रांड महानंद हैं, जिसे महाराष्ट्र का अमूल कहा जा सकता है. इसके साथ ही 70 से अधिक छोटे दूध कोऑपरेटिव हैं, जो किसानों से दूध कलेक्ट करते हैं, जबकि इसके उलट महाराष्ट्र के दूध बाजारों में अमूल की हिस्सेदारी अकेले 50 फीसदी है, इसी तरह नंदिनी और मदर डेयरी का दूध भी महाराष्ट्र के बाजार में प्रभावी है.
तो वहीं महानंद की बाजार में पकड़ कमजोर है, इन हालातों में आपूर्ति से सरप्लस दूध का मिल्क पाउडर बनाया जाता है. अब, जब मिल्क पाउडर के दामाें में गिरावट शुरू हुई तो महानंद का सिस्टम भी गड़बड़ाने लगा.
महानंद का सिस्टम गड़बड़ाया हुआ है. इस वजह से डेयरी किसानों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. राज्य सरकार ने 5 रुपये लीटर बोनस का ऐलान किया हुआ तो वहीं दूरगामी नीति पर काम करते हुए महानंद को फिर से खड़ा करने की कोशिशें भी होने लगी है. जिसके तहत महानंद अब 5 साल के लिए NDDB के अधीन काम करेगा. अब देखना ये है कि महानंद भी अमूल जैसा ब्रांड बन पाएगा या नहीं...
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