Farmer Protest: कई गुटाें में बंटे किसान... जानें किस संगठन का आंदोलन कब...किसकी क्‍या हैं मांगें

Farmer Protest: कई गुटाें में बंटे किसान... जानें किस संगठन का आंदोलन कब...किसकी क्‍या हैं मांगें

लोकसभा चुनाव से पहले किसान कई गुटों में बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले किसान संगठनों की इन कवायदों से आम जन के साथ ही आम किसानों के बीच कन्‍फ्यूजन की स्‍थिति बनी हुई दिख रही है, जिसमें सबका सवाल ये ही है कि कौन से संगठन के नेतृत्‍व में कौन सा आंदोलन चलाया जा रहा है

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Farmer Protest: कई गुटाें में बंटे किसान... जानें किस संगठन का आंदोलन कब...किसकी क्‍या हैं मांगेंकई गुटाें में बंटे किसान... जानें किस संगठन का आंदोलन कब

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश में एक बार फिर से किसान आंदोलन को लेकर माहौल गर्माता हुआ दिख रहा है, जिसको लेकर इन दिनों कई किसान संंगठन मोर्चा बंंदी करते हुए दिखाई दे रहे हैं तो वहीं कुछ किसान संगठन सड़कों पर किसान शक्‍ति का प्रदर्शन भी कर चुके हैं. मसलन, राकेश टिकैत 16 फरवरी से किसान आंदोलन का ऐलान करते हुए दिखाई दे रहे हैं. तो वहीं 13 फरवरी से किसान आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, जिस पर विराम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार 8 फरवरी को अपने मंत्रियों को चंडीगढ़ किसान नेताओं से बातचीत के लिए भेजा था. तो वहीं 8 फरवरी को ही किसान आंदोलन के चलते एनसीआर जाम रहा है.

कुल जमा लोकसभा चुनाव से पहले किसान कई गुटों में बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले किसान संगठनों की इन कवायदों से आम जन के साथ ही आम किसानों के बीच कन्‍फ्यूजन की स्‍थिति बनी हुई दिख रही है, जिसमें सबका सवाल ये ही है कि कौन से संगठन के नेतृत्‍व में कौन सा आंदोलन चलाया जा रहा है और कौन सा किसान संगठन किन मांगों को लेकर आंदोलन को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहा है. आइए समझते हैं कि कौन-कौन से किसान संंगठनों से आंदोलन का ऐलान किया हुआ है और उनकी मांगें क्‍या हैं. साथ ही जानेंगे की किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे कौन से हैं.

सबसे पहले क्‍यों अहम माना जा रहे किसान आंदोलन

बेशक किसान संगठनों की तरफ से आंदोलनों की अलग-अलग अपील की वजह से आम जनाें और आम किसानाें के बीच कन्‍फ्यूजन बना हुआ है, लेकिन लाेकसभा चुनाव से पहले प्रस्‍तावित किसान आंदोलन को बेहद ही अहम माना जा रहा है. असल में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ SKM ने दिल्‍ली की सीमाओं पर 13 महीने तक किसान आंदोलन का नेतृत्‍व किया था, SKM कई किसान संंगठनों का संयुक्‍त संगठन था. SKM की तरफ से 13 महीने तक चलाए गए किसान आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ा था,जिसे किसानों की जीत के तौर पर देखा गया.ऐसे में इस किसान आंदोलन पर आम आदमी और आम किसानों की नजरें बनी हुई हैं. क्‍योंकि इसे 13 महीने तक चले सफल किसान आंदोलन का एक्‍सटेंशन माना जा रहा है.

13 फरवरी से किस संगठन का आंदोलन, क्‍या हैं मांगें

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 13 फरवरी को दिल्‍ली कूच का ऐलान किया हुआ है. दोनों ही संगठन पूर्व में SKM का हिस्‍सा रहे हैं और मौजूदा वक्‍त में इसमें अधिकांश संगठन पंजाब, हरियाणा, मध्‍य प्रदेश, यूपी के हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने आंदोलन का कमांड सेंटर चंडीगढ़ को बनाया हुआ है और आंदोलन की अगुवाई में चंडीगढ़ से ही दिल्‍ली के जंतर-मंतर चलो की कॉल दी हुई है. आंदोलन की शुरुआत चंडीगढ़ से 13 फरवरी को प्रस्‍तावित है.

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की मांगाें की बात करें तो कुल 12 मांगों के साथ किसान आंदोलन की मोर्चा बंदी की हुई है. आइए जानते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ये 12 मांगें क्‍या हैं.

 

  • सभी फसलें MSP पर खरीदी जाएं, MSP गारंटी कानून बनाई जाएं और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के भाव तय किए जाएं. 
  • किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्जमुक्‍ति की जाए.
  • भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में फिर से लागू किया जाए. भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति और कलेक्टर रेट से 4 गुना मुआवजा देने की व्‍यवस्‍था हो.
  • लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सजा और पीड़ित किसानों को न्याय मिले.
  •  विश्व व्यापार संगठन से भारत बाहर आए. सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
  • किसानों और खेत मजदूरों को पेंशन दी जाए.
  • दिल्ली किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को एक लाख का मुआवजा और नौकरी दी जाए.
  •  विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए.
  •  मनरेगा से प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये का मजदूरी भत्ता दिया जाए.  मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए.
  •  नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां, खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माने का प्रावधान हो और बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाएं.
  •  मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
  •  संविधान की 5 सूची को लागू किया जाए और जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित करते हुए आदिवासियों की जमीन की लूट बन्द की जाए.

कौन हैं इन किसान संगठनों के प्रमुख चेहरें

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रमुख चेहराें की बात की जाएं तो इसमें जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, अमरजीत सिंह मोहड़ी, दिलबाग सिंह हरिगढ़,शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी,राजिंदर सिंह चाहल, सुरजीत सिंह फूल, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, गुरध्यान सिंह भटेड़ी, सुखजिंदर सिंह खोसा, गुरमनीत सिंह मांगट, रंजीत राजू, राहुल राज जैसे किसान नेता शामिल हैं.

16 फरवरी को SKM का ग्रामीण भारत बंद, ये हैं मांगे

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 13 फरवरी से किसान आंदोलन का ऐलान किया हुआ है. तो वहीं संयुक्‍त किसान मोर्चा SKM ने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक बंद का ऐलान किया हुआ है. SKM को 13 महीने तक चले किसान आंदोलन का मूल संंगठन माना जा सकता है. असल में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सफल आंदोलन के बाद SKM में टूट हुई थी और कई किसान संगठनों ने SKM से दूरी बनाई थी, मौजूदा वक्‍त में जो किसान संगठन इसमें बचे हुए हैं, उन्‍होंने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का ऐलान किया हुआ है. इसमें SKM के साथ केंद्रीय ट्रेड यूनियन भी शामिल हैं.

SKM और केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने अपनी जिन मांगाें को लेकर ग्रामीण भारत बुलाया है. वह निम्‍न हैं.

  • वर्तमान में रिक्त पदों पर भर्ती शुरू की जाए और बढ़ती महंगाई को नियंत्रित किया जाए.
  • फसलाें की गांरटीकृत खरीद और एमएसपी सी2+50 फीसदी फार्मूले से तय करने की मांग.
  • कृषि इनपुट की लागत कम की जाए, किसानों और मजदूर परिवारों के लिए व्यापक ऋण माफी की घोषणा की जाए.
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण और बिक्री बंद की जाए.
  • मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिता रद्द किए जाए, ठेका कार्यों को खत्म किया जाए और न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26000 रूपये प्रति माह किया जाए.
  • शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण बंद किया जाए, नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाए.
  •  पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए और, खुदरा व्यापार में कॉर्पोरेट प्रवेश को रोका जाए.
  • लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मुकदमा चलाने की भी मांग की है.
  • भारतीय लोगों को इजराइल में रोजगार के लिए भर्ती करना बंद करने की भी मांग केंद्र सरकार से की है.

SKM में कौन बड़े चेहरे

SKM के बड़े चेहरों की बात करें तो डॉ दर्शनपाल सिंंह मौजूदा वक्‍त में इसके संयोजक हैं. तो वहीं बीकेयू के राकेश टिकैत, जयकिसान के अविक शाह, बलवीर सिंह राजेवाला, जोगेंद्र सिंह उगराहां शामिल हैं.

सड़कों पर क्‍यों थे नाेएडा-ग्रेटर नोएडा के किसान 

8 फरवरी गुरुवार को नाेएडा-ग्रेटर नोएडा के किसान सड़कों पर उतर आए. ऐसा नहीं है कि नाेएडा-ग्रेटर नोएडा के किसान पहली बार सड़कों पर थे, लेकिन गुरुवार को नाेएडा-ग्रेटर नोएडा के किसानों ने दिल्‍ली तक मार्च का ऐलान किया था. असल में नाेएडा-ग्रेटर नोएडा के तकरीबन 149 गांवों के किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर कई जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन मांगों पर सुनवाई ना होने के चलते गुरुवार को किसानों ने दिल्‍ली के जंतर-मंतर तक मार्च का ऐलान किया था, लेकिन आधे रास्‍ते पर पुलिस ने उन्‍हें रोक दिया और आश्‍वासन के बाद किसानों ने अपना आंदोलन स्‍थगित कर लिया. इन किसानों की मांगों की बात करें तो अधिग्रहित जमीन में से 10% प्लॉट, बढ़ा हुआ मुआवजा और स्थानीय लोगों को रोजगार जैसी मांगों को लेकर आंदोलित थे.

सीफा भी 29 फरवरी को करेगा आंदोलन

SKM और SKM अराजनैतिक की तरफ से बुलाए गए किसान आंदोलन के इतर भारतीय किसान संघ परिसंघ (सीफा) ने भी किसान आंदोलन का ऐलान किया है. सीफा में दक्षिण भारतीय किसान संगठनों की सक्रियता दिखाई दे रही है. असल में सीफा के अध्‍यक्ष महाराष्‍ट्र के किसान नेता रघुनाथ पाटिल हैं, जो बीते दिनों केसीआर की बीआरएस में शामिल हो गए थे. इसके साथ ही सीफा में तेलंगाना, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्‍थान, पंंजाब से किसान संगठन जुड़े हुए हैं. सीफा ने बीते दिनों दिल्‍ली में तीन दिवसीय बैठक कर 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया है, जिसको लेकर सीफा से जुड़े किसान संगठन 29 फरवरी को जिले स्‍तर पर मार्च करेंगे. आइए जानते हैं कि सीफा की मांग क्‍या है.

 

  • बीज, कीटनाशकों, ट्रैक्‍टर समेत सभी कृषि उपकरणाें से जीएसटी को हटाया जाए. कपास की ब्रिक्री पर जो जीएसटी लगता है, उसका बोझ किसानाें पर नहीं डाला जाए, सिर्फ व्‍यापारी की वह जीएसटी चुकाए.
  • मनरेगा के 80 फीसदी फंड को कृषि कामों से जोड़ा जाए 
  • सभी फसलों का MSP तय किया जाए और CACP को खत्‍म किया जाए, इसकी जगह पर एक वैधानिक निकाय बनाया जाए. 
  • कृषि उत्‍पादों के निर्यात पर लगे बैन को हटाया जाए 
  • फसल बीमा के लिए किसानों को जिला स्‍तर पर बीमा कंंपनी चुनने का अधिकार दिए जाए और नुकसान पर 30 दिन में मुआवजा देने की व्‍यवस्‍था हो.
  • गन्‍ना बकाया का भुगतान किया जाए. बंद पड़ी गन्‍ना मिलों को चालू किया जाए. चीनी को आवश्‍यक वस्‍तु से हटाया जाए.
  • देश के सभी किसानों को नियमानुसान अफीम लाइसेंस देने की व्‍यवस्‍था लागू हो.
  • देश में किसान कर्ज माफी लागू की जाए.
  • जीएम बीजों पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए.
  • जंगली जानवरों से होने वाले फसल नुकसान के आंकलन और सुरक्षा उपाय के लिए कमेटी का गठन किया जाए.

कौन हैं इस आंदोलन के प्रमुख चेहरें

सीफा के अध्‍यक्ष रघुनाथ दादा पाटिल हैं. तो वहीं इसमें तेलांगना से के सोमा शेखर राव, आंध्र प्रदेश से कोटी रेड्डी, पंजाब से सतनाम बेहरु, राजस्‍थान से कन्‍हैया लाल सिहाग, कर्नाटक से शांता कुमार शामिल हैं.

 

 

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