भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2025 की छमाही में इस गिरावट का बड़ा असर दिखा है. कृषि उत्पादों के साथ-साथ प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट के निर्यात में भी गिरावट है. इन दोनों के निर्यात को जोड़ दें तो यह गिरावट 1 फीसदी के आसपास है. अमाउंट में देखें तो यह गिरावट 12 अरब डॉलर से अधिक की है. इसके पीछे बड़ी बड़ी वजह गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को माना जा रहा है. चावल की इस कैटेगरी के निर्यात में 17 फीसदी कमी आई है जिसका असर पूरे कृषि निर्यात पर देखा गया.
हालांकि खाने की कुछ चीजों के निर्यात में तेजी भी आई है. इसमें बासमती चावल, भैंस का मीट और ताजे फल शामिल हैं. इसमें अप्रैल-सितंबर के दौरान तेजी देखी गई जबकि पिछले साल इसी अवधि में इसमें कमी थी. वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-सितंबर में सुगंधित और लंबे दाने वाले बासमती चावल का निर्यात सालाना आधार पर 11 परसेंट से बढ़कर 2.87 बिलियन डॉलर हो गया. अक्टूबर, 2023 में लगाया गया 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) पिछले महीने हटा दिया गया था, जिससे अधिक रेट वाले चावल के निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
अधिकारियों ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से कहा कि चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटने से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में कृषि निर्यात में उछाल आने की उम्मीद है. पिछले महीने, सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) और निर्यात शुल्क हटाकर बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पिछले साल लगाए गए लगभग सभी प्रतिबंध हटा दिए.
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अप्रैल-सितंबर छमाही की बात करें तो इस दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 17 परसेंट घट गया था और 2.25 अरब डॉलर रह गया था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निर्यात पर प्रतिबंध थे. अब निर्यात शुल्क और एमईपी हटा दिया गया है तो कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है. व्यापार सूत्रों ने कहा कि विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में चावल का निर्यात बढ़ेगा जिससे पूरी दुनिया में भारत का बर्चस्व फिर से कायम होने की संभावना है.
KRBL के बिजनेस हेड (बल्क एक्सपोर्ट्स) अक्षय गुप्ता ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को बताया, "भारतीय चावल निर्यातक अब उस बाजार हिस्सेदारी को वापस पाने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं, जो पिछले साल बैन वाली व्यापार नीतियों के कारण खो गई थी." आपको बता दें कि केआरबीएल कंपनी 'इंडिया गेट' ब्रांड के तहत 90 से अधिक देशों को बासमती चावल का निर्यात करती है. गुप्ता ने कहा कि चालू वर्ष की फसल की पैदावार पिछले साल की तुलना में 10-15 परसेंट अधिक होने का अनुमान है. इसलिए बहुत सही समय पर निर्यात प्रतिबंध हटा गया है जिससे कारोबार में अच्छा फायदा होगा.
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर के दौरान भैंस के मांस का निर्यात सालाना आधार पर 4 परसेंट बढ़कर 1.8 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में इसी अवधि के दौरान निर्यात का मूल्य 1.73 अरब डॉलर था. अधिकारियों ने कहा कि पिछले एक दशक में मीट की क्वालिटी अच्छी और पोषक तत्वों के कारण दुनिया भर में इस मांस की मांग बढ़ी है क्योंकि भैंस के मांस को किसी भी किसी भी खतरे से बचने के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रोसेस और निर्यात किया जाता है.
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अप्रैल-सितंबर में ताजे फल के निर्यात में मामूली वृद्धि देखी गई है जबकि ताजी सब्जियों के निर्यात में गिरावट रही. अधिकारियों ने बताया कि दुनिया में भारत के कई कृषि उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है जिनमें केला, आम, प्रोसेस्ड फल और जूस, फलों और सब्जियों के बीज, प्रोसेस्ड सब्जियां शामिल हैं. पिछले साल की बात करें तो कृषि उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट के निर्यात में लगभग 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी जो 25 अरब डॉलर की रही.
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