उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला अब सिर्फ पारंपरिक फसलों के लिए ही नहीं, बल्कि मसालों की खेती के लिए भी जाना जाने लगा है. सरकार की योजनाओं और कृषि विभाग के प्रयासों से यहां किसानों को मसाला उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. खास बात यह है कि मसालों की खेती करने वाले किसानों को 20 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है. इस कदम से किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
पिछले कुछ वर्षों से अमेठी में पारंपरिक धान और गेहूं की जगह किसान मसालों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. हल्दी, अदरक, धनिया, सौंफ और मिर्च जैसी मसालों की पैदावार यहां तेजी से बढ़ रही है. मसालों की खेती न केवल कम समय में अच्छा उत्पादन देती है बल्कि बाजार में इनकी लगातार मांग भी बनी रहती है. यही कारण है कि किसान अब मसाला उत्पादन को एक नए अवसर के रूप में देख रहे हैं.
कृषि विभाग की ओर से मसालों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं. किसानों को बीज, खाद, सिंचाई उपकरण और तकनीकी प्रशिक्षण पर आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसके तहत किसानों को 20 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिल रही है. बताया जा रहा है कि योजना को NHRDF (नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन) के सहयोग से चलाया जा रहा है, जो किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराएगा. इस मदद से किसान आधुनिक तकनीक अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन कर पा रहे हैं.
मसालों की खेती ने अमेठी के किसानों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाना शुरू कर दिया है. जहां पहले किसान धान या गेहूं से सीमित लाभ कमा पाते थे, वहीं अब मसालों से उन्हें दोगुना तक फायदा हो रहा है. हल्दी और अदरक जैसी फसलें प्रोसेसिंग और औषधीय उपयोग में भी काम आती हैं, जिससे बाजार में उनकी कीमत बेहतर मिल रही है. साथ ही, मसाले लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं, जिससे किसानों को तुरंत फसल बेचने का दबाव भी नहीं रहता.
अमेठी में मसालों की खेती में महिला किसानों की भागीदारी भी बढ़ी है. स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं मसालों की खेती के साथ-साथ उनकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम भी कर रही हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता दोनों मिल रही हैं. मसालों की खेती ने अमेठी के किसानों को नई दिशा दी है. सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सब्सिडी, NHRDF द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे प्रमाणित बीज और बाजार में मसालों की बढ़ती मांग ने किसानों के लिए आय के नए रास्ते खोल दिए हैं.
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