मैत्रेयी पुष्पा (बाएं), अंकिता जैन (दाएं)भारतीय ग्रामीण जीवन और कृषि संस्कृति पर लिखने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने वर्ष 2025 के साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी है. इस बार प्रतिष्ठित इफको साहित्य सम्मान 2025 कथाकार मैत्रेयी पुष्पा को प्रदान किया जाएगा, जबकि इफको युवा साहित्य सम्मान 2025 के लिए अंकिता जैन को ‘ओह रे! किसान’ पुस्तक के लिए दिया जाएगा. दोनों रचनाकारों का चयन वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकांता की अध्यक्षता वाली समिति ने किया, जिसमें नासिरा शर्मा, अनंत विजय, यतीन्द्र मिश्र, उत्कर्ष शुक्ल और डॉ. नलिन विकास शामिल थे.
इफको की यह पहल ग्रामीण समाज और कृषि आधारित कहानियों, उपन्यासों और साहित्यिक अभिव्यक्तियों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011 में शुरू की गई थी. संस्थान का कहना है कि गांव की मिट्टी, किसानों के संघर्ष, महिला जीवन और सामाजिक बदलावों को रचनात्मक रूप से स्वर देने वाले लेखक इस सम्मान के माध्यम से देशभर में साहित्यिक जगत के केंद्र में आते हैं.
वर्ष 2025 का मुख्य साहित्य सम्मान पाने वाली मैत्रेयी पुष्पा हिन्दी साहित्य की उन धारदार और महत्वपूर्ण आवाज़ों में से हैं जिन्होंने ग्रामीण स्त्री जीवन की विडंबनाओं और संघर्षों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया. उनका जन्म 30 नवंबर 1944 को अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गांव में हुआ और जीवन का बड़ा हिस्सा बुंदेलखंड में बीता. झांसी से एमए (हिंदी साहित्य) करने के बाद उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई.
उनकी प्रमुख कृतियों में कहानी-संग्रह ‘चिन्हार’, ‘गोमा हंसती है’, ‘ललमनियां’, ‘समग्र कहानियां’ और उपन्यास ‘इदन्नमम’, ‘अगनपाखी’, ‘अल्मा कबूतरी’, ‘बेतवा बहती रही’, ‘चाक’, ‘फरिश्ते निकले’ जैसे चर्चित नाम शामिल हैं. ‘फैसला’ कहानी पर बनी टेलीफिल्म ‘वसुमती की चिट्ठी’ और ‘इदन्नमम’ पर आधारित धारावाहिक ने भी उनका साहित्य लोगों तक पहुंचाया. वे सार्क लिटरेरी अवॉर्ड, सरोजिनी नायडू पुरस्कार, प्रेमचंद सम्मान और शाश्वती सम्मान सहित कई महत्वपूर्ण सम्मानों से अलंकृत हो चुकी हैं.
इफको युवा साहित्य सम्मान 2025 के लिए चुनी गई लेखिका अंकिता जैन एक शोधकर्ता और असिस्टेंट प्रोफेसर से लेखन के क्षेत्र में आईं और तेजी से पाठकों के बीच अपनी जगह बनाई. उनकी पहली किताब ‘ऐसी वैसी औरत’ जागरण-नीलसन बेस्टसेलर रही. इसके बाद ‘मैं से मां तक’, ‘बहेलिए’, ‘ओह रे! किसान’, ‘मुहल्ला सलीमबाग’ और बच्चों के लिए ‘आतंकी मोर’ जैसी कृतियों ने उन्हें नई पीढ़ी की महत्वपूर्ण लेखिकाओं में शामिल कर दिया.
अंकिता जैन भारत के कई प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे प्रभात खबर, द लल्लनटॉप, इंडिया टुडे और एनबीटीगोल्ड के लिए लिख चुकी हैं. उनकी कहानियां बिग एफएम के लोकप्रिय शो ‘यादों का इडियट बॉक्स’ और ‘यूपी की कहानी’ में भी प्रसारित हुईं. वे महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के साथ वनोपज पर काम करने वाली ‘जय जंगल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी’ की डायरेक्टर और ‘वैदिक वाटिका’ की सह-संस्थापक भी हैं. खेती, लेखन और कला को साथ लेकर चल रहीं अंकिता रशियन स्कल्पचर पेंटिंग की पेशेवर कलाकार भी हैं और ‘आर्ट एंड अंकिता’ के नाम से अपना आर्ट बिजनेस संचालित करती हैं.
इफको के अनुसार दोनों रचनाकारों को 30 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित इफको सदन में आयोजित विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा. मुख्य साहित्य सम्मान के तहत 11 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा जबकि युवा साहित्य सम्मान के अंतर्गत 2.5 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा. इफको का कहना है कि साहित्य समाज की आत्मा है और किसानों के जीवन-संघर्षों को शब्दों में दर्ज करने वाले रचनाकार ग्रामीण भारत की सच्ची आवाज हैं. यह सम्मान उनकी उसी प्रतिबद्धता का सम्मान है.
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