फॉरेस्ट ऑफिसर और क्लास 1 गजटेड ऑफिसर बनाता है ये कोर्स, YSPU के डीन बोले आने वाला समय एग्री स्कॉलर्स का

फॉरेस्ट ऑफिसर और क्लास 1 गजटेड ऑफिसर बनाता है ये कोर्स, YSPU के डीन बोले आने वाला समय एग्री स्कॉलर्स का

डीन डॉक्टर चमन लाल ठाकुर ने बताया कि एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े हॉर्टीकल्चर और फॉरेस्ट्री डिग्री कोर्सेस के बाद स्टूडेंट को हॉर्टीकल्चर विभाग में बागवानी विकास अधिकारी के पद पर तैनाती होती है. इसके अलावा सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं, कंपनियों में भी अच्छे पद और वेतन पर नौकरी मिलती है. फॉरेस्ट्री में ग्रेजुएशन के बाद हिमाचल सरकार के फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट 70 फीसदी पोस्ट फॉरेस्ट ग्रेजुएट्स के लिए रिजर्व हैं. इस कोर्स से IFS बनने का मौका रहता है.

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Kisan Career: फॉरेस्ट ऑफिसर बनाता है ये कोर्स, YSPU के डीन बोले - आने वाला समय एग्री स्कॉलर्स काडीन ने बताया कि हॉर्टीकल्चर और फॉरेस्ट्री डिग्री के बाद स्टूडेंट सरकारी अफसर बन सकते हैं.

एग्रीकल्चर क्षेत्र की पढ़ाई करने वाले युवाओं का भविष्य बेहतर है, क्योंकि आने वाले समय में फॉरेस्ट्री, हॉर्टीकल्चर, रिसर्च और डेवलपमेंट समेत अन्य क्षेत्रों में एग्रीकल्चर स्कॉलर्स, ग्रेजुएट्स, रिसर्चर्स की मांग बढ़ने वाली है. YSPU के फॉरेस्ट्री कॉलेज के डीन डॉक्टर चमन लाल ठाकुर ने कहा कि जिस तरह से प्राकृतिक खेती, जलवायु अनुकूल फसलों, बीज रिसर्च और एडमिन सेक्टर को बढ़ावा दिया जा रहा है, उससे फॉरेस्ट ऑफिसर, क्लास 1 गजटेड ऑफिसर, हॉर्टिकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर बनने के रास्ते और मौके तेजी से बन रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए युवाओं को एग्रीकल्चर क्षेत्र में डिग्री और स्पेशलाइजेशन हासिल करना होगा. 

वाईएस परमार यूनिवर्सिटी के फॉरेस्ट्री कॉलेज के डीन डॉक्टर चमन लाल ठाकुर 'किसान तक' को बताया कि यूनिवर्सिटी में बीएससी (ऑनर्स) बागवानी, वानिकी और प्राकृतिक खेती और बीटेक खाद्य प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी स्नातक डिग्री प्रोग्राम के लिए रिक्त सेल्फ फाइनेंस सीटों को भरा जा रहा है. काउंसलिंग 12 सितंबर 2024 को होगी. यह सीटें यूनिवर्सिटी कैंपस नौणी हिमाचल के 2 कॉलेज और मंडी, हमीरपुर के 1-1 कॉलेजों में उपलब्ध हैं. 

डिग्री कोर्सेस की डिटेल्स 

  1. संस्थान - वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, नौनी हिमाचल प्रदेश
  2. बीएससी डिग्री कोर्स - हॉर्टिकल्चर, फॉरेस्ट्री, नेचुरल फार्मिंग 
  3. बीटेक डिग्री कोर्स - खाद्य प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी 
  4. कोर्स अवधि - 4 साल (ऑनर्स) 
  5. फीस - नॉर्मल सीट्स के लिए सालाना 50-60 हजार रुपये. सेल्फ फाइनेंस सीट्स के लिए सालाना 1.40 हजार के लगभग. 
  6. एडमिशन योग्यता - विज्ञान स्ट्रीम में कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ 10+2 पास कैंडीडेट.
  7. काउंसिलिंग डेट - 12 सितंबर 2024 
  8. अधिक जानकारी के लिए स्टूडेंट विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.yspuniversity.ac.in पर विजिट करें. 

IFS और HDO बनने का रास्ता है हॉर्टीकल्चर और फॉरेस्ट्री 

डीन डॉक्टर चमन लाल ठाकुर ने बताया कि एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े हॉर्टीकल्चर और फॉरेस्ट्री डिग्री कोर्सेस करने के बाद स्टूडेंट को हिमाचल सरकार के हॉर्टीकल्चर विभाग में नौकरी मिलने के मौके रहते हैं. यहां पर horticulture extension officer या HDO जो horticulture development officers के पद पर तैनाती होती है. ये क्लास 1 गजटेड पोस्ट है. इसके अलावा सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं जैसे insecticide, pesticide से related जो कंपनियां हैं उनमें भी अच्छे पद और वेतन पर नौकरी मिलती है. उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार के फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट 70 फीसदी पोस्ट फॉरेस्ट ग्रेजुएट्स के लिए रिजर्व हैं. उन्होंने कहा कि कई स्टूडेंट्स इसमें पहले से नौकरी हासिल कर चुके हैं. जबकि, 30 से अधिक स्टूडेंट भारतीय वन सेवा (IFS) बनकर सेवाएं दे रहे हैं. 

  1. वैश्विक, केंद्रीय और राज्य सरकार फंडेड प्रोजेक्ट हैं उनमें हॉर्टीकल्चर और एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने वाले युवाओं को मौका मिलता है. 
  2. इसके अलावा स्वरोजगार भी शुरू किया जा सकता है. नर्सरी शुरू की जा सकती है. 
  3. स्कूल, कॉलेज में शिक्षक और ट्रेनर्स बना जा सकता है. 
YSPU के फॉरेस्ट्री कॉलेज के डीन डॉक्टर चमन लाल ठाकुर.

एग्रीकल्चर और इससे जुड़े क्षेत्रों में युवा स्कॉलर्स का बेहतर भविष्य 

डीन डॉक्टर चमनलाल ठाकुर ने बताया कि अब तक 2002 से लेकर अब तक हमारे यहां से 32 IFS निकले हैं, जो भारतीय वन सेवा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 3-4 राज्यों में तैनात प्रिंसिपल कर्जवेटर, प्रिंसिपल चीफ कर्जवेटर हमारे यहां से निकले हैं. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी से निकले 1400 ग्रेजुएट्स शिक्षा, रिसर्च-डेवलपमेंट, एडमिन समेत अन्य क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.  चमनलाल ठाकुर ने कहा कि एग्रीकल्चर और इससे जुड़े क्षेत्रों के विकास के लिए सरकारें तेजी से काम कर रही हैं. बदलते परिवेश, जलवायु, घटती मिट्टी की पोषकता और बढ़ती खपत को देखते हुए एग्रीकल्चर के हार्टीकल्चर, फॉरेस्ट्री समेत अन्य क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए बेहतर भविष्य है. इस क्षेत्र में युवाओं को आगे आना चाहिए. 

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