सरकार ने पीली दाल के ड्यूटी फ्री आयात (बिना टैक्स का आयात) को मंजूरी दे दी है. इसे अगले तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. यानी मई महीने तक भारत में बिना किसी टैक्स के पीली दाल का आयात हो सकेगा. दूसरी ओर, मसूर दाल के आयात पर 10 परसेंट की ड्यूटी लगाई गई है. इन दोनों कदमों से एक तरफ जहां किसानों को नुकसान होगा तो दूसरी ओर ग्राहकों को फायदा होगा. हालांकि देश में दालों चाल थोड़ी दुरुस्त जरूर होगी क्योंकि बाजार में इसकी सप्लाई बढ़ेगी.
दरअसल, किसी भी चीज का आयात बढ़ने पर घरेलू बाजार में विदेशी प्रोडक्ट की आवक अधिक बढ़ जाती है. आवक बढ़ने से उस प्रोडक्ट का दाम गिरता है. दालों के मामले में देखें तो अगर पीली दाल का आयात बढ़ेगा तो यहां के स्थानीय किसानों की उपज को अधिक रेट नहीं मिलेगा क्योंकि बाजारों में विदेशी दालों की सप्लाई बढ़ जाएगी. इस तरह किसान को नुकसान की आशंका रहेगी. तो दूसरी ओर, आम ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा. सप्लाई बढ़ने से ग्राहकों को पीली दाल सस्ते में मिलेगी.
पिछले कई महीने से घरेलू बाजार में दालों के रेट अधिक चल रहे हैं. इसकी बड़ी वजह दालों का कम उत्पादन है. पिछले दो साल में देश में दालों का उत्पादन बहुत कम हुआ है. इससे दालों की किल्लत रही है और रेट अधिक देखे गए हैं. इस रेट के चलते ही सरकारी एजेंसियों ने किसानों से दालें नहीं खरीदी हैं. अगर सरकारी एजेंसियां अधिक दाम में खरीद करेंगी तो मार्केट में भी अधिक दाम पर दालें बिकेंगी. इससे देखते हुए बीते दो साल में किसानों से दालों की खरीद बहुत कम हुई है.
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दूसरी ओर, दालों की मांग लगातार बढ़ रही है जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को विदेशों से आयात करना पड़ा है. इसी में पीली दाल और मसूर दाल प्रमुख हैं. पीली दाल की मांग बहुत अधिक होती है क्योंकि प्रोसेसिंग में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल होता है. जहां चना दाल की कमी होती है, वहां पीली दाल से काम चलाया जाता है. यहां तक कि कम आय वाले या गरीब परिवारों के लिए यह दाल सबसे प्रमुख है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार इसके आयात को फ्री ड्यूटी में रखती है ताकि इसकी सप्लाई बराबर बनी रहे.
अब सरकार के फैसले की बात करें तो पीली मटर का सबसे अधिक आयात कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया से किया जाता है. सरकार आगे भी इन्हीं 3 देशों से पीली मटर को सबसे अधिक मंगवाएगी. सूत्रों से पता चला है कि घरेलू बाजार में दाल की सप्लाई को दुरुस्त रखने के लिए सरकार ने पीली दाल को ड्यूटी फ्री रखा है. इसकी सप्लाई को लगातार बनाए रखने के लिए दिसंबर 2023 में सरकार ने ड्यूटी फ्री आयात का ऐलान किया था. यह दाल चने की जगह इस्तेमाल होती है और दाम भी बहुत कम रहता है.
पीली दाल के फ्री इंपोर्ट को सरकार ने कई बार लागू किया है. सरकार को जब लगता है कि देश में चने का उत्पादन कम होगा, तो पीली मटर के आयात को बढ़ा दिया जाता है. इसके विपरीत जब सरकार को लगता है कि देश में दालों की खेती को अधिक से अधिक बढ़ावा देना है तो वह आयात शुल्क को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है. इसी कड़ी में 2017 में सरकार ने पीली मटर के आयात पर 50 परसेंट का शुल्क लगाया था ताकि देश में चने की खेती को बढ़ावा मिले. इसका फायदा उस साल से लेकर अभी तक दिख रहा है.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 67 लाख टन दालों के कुल आयात में से पीली मटर का आयात लगभग 30 लाख टन था. दालों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद, भारत इस अंतर को पाटने के लिए लगभग 290 लाख टन की वार्षिक दालों की मांग को पूरा करने के लिए लगभग 15-18 परसेंट के आयात पर निर्भर करता है.
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