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किसान आंदोलन से माल परिवहन सेवा प्रभावित, ट्रक ऑपरेटर्स को 13 दिन में 100 करोड़ का नुकसान, 65 करोड़ का डीजल फुंका  

किसान आंदोलन से माल परिवहन सेवा प्रभावित, ट्रक ऑपरेटर्स को 13 दिन में 100 करोड़ का नुकसान, 65 करोड़ का डीजल फुंका  

किसान आंदोलन के चलते पंजाब-हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं को 13 फरवरी से सील किया गया है. इससे माल परिवहन सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है. 13 दिन में ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. गंतव्य तक पहुंचने के लिए पहले की तुलना में अतिरिक्त ट्रैवल करने से 65 करोड़ रुपये का डीजल खर्च हो चुका है. 

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किसान आंदोलन से माल परिवहन सेवा प्रभावित. (सांकेतिक तस्वीर) किसान आंदोलन से माल परिवहन सेवा प्रभावित. (सांकेतिक तस्वीर)

एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए पंजाब से चले किसान शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन को देखते हुए पंजाब-हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं को 13 फरवरी से सील किया गया है. इसके चलते माल परिवहन सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है. मोटर गुड्स एसोसिएशन (AIMGTA) के अनुसार आंदोलन के चलते मार्ग बाधित होने का असर ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को झेलना पड़ रहा है और 13 दिन में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं, गंतव्य तक पहुंचने के लिए पहले की तुलना में अतिरिक्त ट्रैवल करने से 65 करोड़ रुपये का डीजल खर्च हो चुका है. 

मार्ग बाधित होने से रोजाना मोटा नुकसान 

अपनी मांगों को लेकर किसान आंदोलित हैं और उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए सरकार ने 3 राज्यों की सीमाओं को सील कर रखा है. जबकि, इंटरनेट सेवाओं को भी बंद किया गया. आंदोलन का बुरा असर सड़क मार्ग से माल परिवहन सेवाओं पर पड़ा है. आल इंडिया मोटर एवं गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (AIMGTA)  के अध्यक्ष राजेन्द्र कपूर ने कहा कि किसान आंदोलन के चलते मार्ग बाधित होने से ट्रक ऑपरेटर्स और ट्रांसपोर्टर्स को हर रोज मोटा नुकसान झेलना पड़ रहा है. अगर जल्द रास्ते नहीं खोले जाते हैं तो यह नुकसान बढ़ता जाएगा. 

डीजल पर 5000 रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ा 

AIMGTA अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली-हरियाणा-पंजाब-हिमाचल प्रदेश-जम्मू कश्मीर-लेह लददाख के बीच रोजाना लगभग 10,000 ट्रकों की आवाजाही होती है. किसान आंदोलन के चलते सरकार के सुझाए गए वैकल्पिक मार्ग से हर एक ट्रक को दिल्ली आने और दिल्ली से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए औसतन 200 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है. सरकार दुारा सुझाये गये वैकल्पिक मार्गों से होकर पहुंचने में प्रति चक्कर प्रति ट्रक औसतन 5,000 रुपये का अतिरिक्त डीजल खर्च ही पड़ जाता है.  इस तरह से 10 हजार ट्रकों का हर दिन 5,000 अतिरिक्त खर्च जुड़कर 5 करोड़ रुपये हो जाता है. 

13 दिनों में 100 करोड़ रुपये का नुकसान

राजेन्द्र कपूर ने कहा कि 13 फरवरी 2024 से आंदोलन शुरू हुआ है और 25 फरवरी 2024 तक 13 दिन में सिर्फ डीजल के खर्च का ही भार परिवहन मालिकों को लगभग 65 करोड़ का पड़ चुका है. इसके अलावा अतिरिक्त देरी से अधिक दूरी तय करने और चालकों के रोजाना खर्च के चलते इन 13 दिनों में लगभग 100 करोड़ का नुकसान हो चुका है. उन्होंने कहा कि अभी 29 फरवरी को किसानों के दिल्ली कूच की घोषणा से आंदोलन के लंबा खिंचने की आशंकाओं के साथ ही ट्रक आपरेटर्स व ट्रांसपोर्टर्स में चिंता और बढ़ गई है. 

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