केंद्र सरकार चीनी की बढ़ती कीमकों को नियंत्रित करने के लिए चीनी मिलों का मई माह के लिए बिक्री कोटा 2 लाख टन बढ़ा दिया है. तेजी से बढ़ती गर्मी के चलते चीनी की खपत और निजी कंपनियों की ओर से अचानक बढ़े ऑर्डर के चलते चीनी की कीमतों में आग लग गई है. बीते 2 सप्ताह में ही चीनी के दाम 5 फीसदी से अधिक चढ़ गए हैं. चुनावी मौसम के दरमियान चीनी का महंगाई होने सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ था, कीमत को नीच बनाए रखने के लिए सरकार ने मिलों का मासिक चीनी बिक्री कोटा बढ़ा दिया है.
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने पिछले सप्ताह अनुमान जताया था कि चीनी मिलों को मासिक बिक्री के लिए चीनी आवंटन कोटा बढ़ाई जाएगी. तर्क दिया गया था कि चीनी की बढ़ती कीमतें केंद्र को चुनाव के चलते चुभेंगी, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए खाद्य मंत्रालय कोटा बढ़ाने का फैसला लेगा. अब केंद्र सरकार ने मई में घरेलू बिक्री के लिए मिलों को 27 लाख टन चीनी कोटा आवंटित किया है.
केंद्र सरकार बाजार में चीनी की बिक्री के लिए चीनी मिलों को मासिक कोटा निर्धारित करती है, जिससे ज्यादा मिलें चीनी नहीं बेच सकती हैं. यह प्रक्रिया कीमतों को नियंत्रित करने और जमाखोरी रोकने के लिए की जाती है. केंद्र के अधीन खाद्य मंत्रालय हर महीने घरेलू बाजार में कितनी चीनी बेची जानी है उसके अनुसार ही प्रत्येक मिल के लिए चीनी का कोटा आवंटित करता है. चुनाव प्रचार के दौरान अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए केंद्र ने मई के लिए मासिक चीनी कोटा अप्रैल में जारी 25 लाख टन से बढ़ाकर 27 लाख टन कर दिया है. मई के लिए मौजूदा आवंटन पिछले साल की समान अवधि के लिए आवंटित कोटा से 3 लाख टन अधिक है.
बाजार में चीनी आपूर्ति के लिए केंद्र मई का मासिक चीनी आवंटन कोटा बढ़ाकर 27 लाख टन किया है. इससे पहले अप्रैल के लिए केंद्र ने पिछली बार से बढ़ाकर कोटा आवंटित किया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र ने फरवरी 2024 के लिए चीनी कोटा 22 लाख टन आवंटित किया था और उसके बाद मार्च के लिए कोटा बढ़ाकर 23 लाख टन किया था, अप्रैल के लिए भी कोटा बढ़ाकर 25 लाख टन किया था. अब मई के लिए यह बढ़कर 27 लाख टन हो गया है.
भारतीय चीनी और बॉयो एनर्जी निर्माता संघ (ISMA) के अनुसार चीनी सीजन 2023-24 के तहत 15 अप्रैल तक शुद्ध चीनी उत्पादन 310.93 लाख टन दर्ज किया गया है, जो पिछले साल इसी तारीख को 312.38 लाख टन था. इस हिसाब से चीनी उत्पादन 2 लाख टन कम रहा है. चीनी के कम उत्पादन और बढ़ती खपत से कीमतों में बढ़ोत्तरी हो रही थी, जिसे रोकने के लिए केंद्र ने कोटा बढ़ा दिया है.
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