भारत में अब ई-सिम (e-sim) के इस्तेमाल को लेकर बहस तेज हो गई है. दिग्गज फोन निर्माता कंपनी एप्पल पहले ही ई-सिम की जोरदार वकालत कर चुकी है, जबकि एयरटेल ने भी ई-सिम को लेकर सकारात्मक नजरिया जाहिर किया है. इसी तरह अन्य टेलीकॉम भी अपने ग्राहकों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में जुट गई हैं. इस सिम का सबसे बड़ा फायदा है कि फोन खोने या चोरी होने पर इसे फोन से निकाला नहीं जा सकता है. ऐसे में फोन को ट्रेस करना आसान हो जाता है और धोखाधड़ी या क्रिमिनल एक्टिविटी या चोरी के मामले में मददगार साबित होगा.
एयरटेल के CEO गोपाल विट्ठल ने बीते हफ्ते एक यूजर्स को लिखी गई चिट्ठी के बाद ई-सिम को लेकर बहस और तेज हो गई है. दरअसल, बीते कुछ समय से बेहतर होती टेक्नोलॉजी का नतीजा है ई-सिम. टेक्नोलॉजी के अपग्रेड होने के असर से लोगों को लगातार नए और रोचक फीचर्स की जानकारी मिलती रहती है. ऐसा ही कुछ कमाल e-Sim के आने से भी हो गया है. इसे अपनाने की रफ्तार अभी तक तो काफी सुस्त रही थी. लेकिन कुछ समय से इसकी चर्चा और पूछताछ तेज हो गई है.
टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियां भी अब मोबाइल यूजर्स को फिजिकल या रेगुलर सिम की जगह ई-सिम e-sim इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही हैं. e-sim की खूबियां कुछ ऐसी हैं कि लोगों के लिए इसे अपनाना जरुरत बनता जा रहा है. इसके फायदों पर नजर डालने से पहले जान लेते हैं कि आखिर ये e-Sim होते क्या हैं.
ई-सिम वर्चुअली सिम की तरह काम करते हैं, जिसकी वजह से मोबाइल फोन यूजर हर छोटे बड़े बदलाव को बिना किसी दिक्कत के मैनेज कर सकता है. जबकि फिजिकल सिम में समस्या आने पर कई बार फोन से सिम निकालना भी पड़ जाता है. लेकिन, इस समस्या के झंझट से ई-सिम में यूजर्स को छुटकारा मिल जाता है. इसके अलावा एक चीज ये भी है कि अगर ज्यादातर लोग e-Sim की तरफ स्विच करेंगे तो फोन कंपनियां भी अपने डिवाइस में सिम स्लॉट को रिमूव करने पर विचार करेंगी. eSIM तकनीक फिजिकल सिम कार्ड के मुकाबले बेहतर सिक्योरिटी देती है, क्योंकि eSIM पर डेटा एन्क्रिप्टेड होता है और इसे फिजिकली डेमेज नहीं किया जा सकता है.
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