दिल्ली-एनसीआर के पॉल्यूशन पर उठे गंभीर सवालइस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 20% की कमी की खबर के बावजूद, दिल्ली-NCR का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अभी भी गंभीर कैटेगरी में है, जो 450 को पार कर गया है. ऐसा पंजाब और हरियाणा समेत पड़ोसी राज्यों से आने वाले पॉल्यूटेंट (प्रदूषण फैलाने वाले कण) की वजह से हुआ है. क्या प्रदूषण का मुद्दा पराली से जुड़ा है? ये सवाल सोमवार को संसद में उठाया गया. इस मुद्दे को पंजाब से कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने उठाया जिस पर जवाब पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिया. सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने संसद को बताया कि 2022 की तुलना में 2025 में पंजाब और हरियाणा में पराली में आग लगाने की घटनाओं में 90% की कमी आई है. सरकार ने माना कि पराली अकेले मुद्दा नहीं बल्कि और भी कई गतिविधियां जिम्मेदार हैं.
सदन में बताया गया कि दिल्ली में पहले की तुलना में देखें तो एयर क्वालिटी में लंबे समय से सुधार हो रहा है, लेकिन सर्दियों की चुनौतियां बनी हुई हैं. सरकार ने माना है कि पराली जलाना दिल्ली-NCR में सर्दियों के प्रदूषण में एक अहम वजह है, लेकिन इसके साथ और भी कई कारण हैं. जैसे गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, इंडस्ट्रियल प्रदूषण, कचरा जलाना, कंस्ट्रक्शन की धूल, लैंडफिल में आग और मौसम की वजह से होने वाले हालात भी इसकी वजह हैं.
सरकार ने जवाब में कहा, दिल्ली - राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण कई कारकों का सामूहिक नतीजा है, जिसमें एनसीआर में गाड़ियों से प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, कंस्ट्रक्शन का काम और डेमोलिशन से धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, बायोमास जलाना, नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाना, लैंडफिल में आग, बिखरे हुए कचरे से वायु प्रदूषण आदि के साथ-साथ कई मौसम संबंधी फैक्टर शामिल हैं. सर्दियों के मौसम में एनसीआर क्षेत्र और पंजाब में पराली जलाना भी एक घटना के रूप में पहचाना गया है जो दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स को बढ़ा देता है. हालांकि, मंत्री ने कई सुधारों पर प्रकाश डाला, जिनमें शामिल हैं-
सरकार ने अक्टूबर और 29 नवंबर, 2025 के बीच पंजाब में खेतों में आग लगने की घटनाओं का जिलेवार बोयौरा पेश किया. जिसमें बताया गया कि कुल आग की घटनाएं अक्तूबर में 1,547 और नवंबर में 3,470 रहीं. कुल 5,017 मामले दर्ज किए गए.
पराली जलाने से रोकने और फसल अवशेष मैनेजमेंट (CRM) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
CRM मशीनरी के लिए 2018-19 से 2025-26 तक पंजाब और हरियाणा को ₹3,120.16 करोड़ जारी किए गए.
पंजाब: ₹1,963.45 करोड़
हरियाणा: ₹1,156.71 करोड़
किसानों को 2.6 लाख CRM मशीनें और 33,800 से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) बांटे गए.
छोटे/सीमांत किसानों के लिए 90 जरूरी बिना किराए की CRM मशीन की सुविधा दी गई. जिसमें पंजाब को 1,59,194 मशीनें और हरियाणा को पराली मैनेजमेंट के लिए 1,08,729 मशीनें दी गईं.
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