पिछले साल मॉनसून सीजन में अच्छी बरसात होने के बाद इस साल उम्मीद की जा रही थी कि अच्छा उत्पादन होगा और आगामी चीनी मार्केटिंग सीजन 2025-26 में चीनी उत्पादन बढ़ेगा. लेकिन अब, गन्ने के उत्पादन में मामूली गिरावट की आशंका बनी हुई है, क्योंकि बुवाई के शुरुआती अधिकारिक रकबे में थोड़ी कम कमी देखी गई है. मालूम हो कि चीनी मार्केटिंग वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. अक्टूबर से चीनी मिलों में गन्ने की पेराई की जाती है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम और बारिश के पैटर्न के चलते कई कृषि चुनौतियां के चीनी उत्पादन पर असर डाल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, मई के पहले हफ्ते तक गन्ने का रकबा 53.1 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो एक साल पहले 53.4 लाख हेक्टेयर था. यानी इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई है. आगामी चीनी मार्केटिंग सीजन 2025-26 में इस गन्ने की पेराई होनी है, लेकिन रकबा गिरने का मतलब है- गन्ने का कम उत्पादन होना, जो सीधे तौर पर चीनी उत्पादन को प्रभावित करता है.
उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा गन्ना और चीनी उत्पादन के लिए जाता है. यहां 8 मई तक गन्ने का रकबा 27.9 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया था, जो पिछले साल समान अवधि में 28.8 लाख हेक्टेयर से कम है. हालांकि, राज्य के लिए साप्ताहिक अपडेट मंडी आवक और मिल उपयोग सहित विभिन्न फैक्टर्स के कारण अंतिम अनुमानों से अलग हो सकते हैं. वहीं, कृषि मंत्रालय के 2024-25 के अंतिम रकबे के आंकड़ाें ने 2023-24 में 26.5 लाख हेक्टेयर से 25.9 लाख हेक्टेयर तक की गिरावट दिखाई है.
हालांकि, 2024-25 में कर्नाटक में अधिक रकबे के साथ, चालू सीजन में राज्य का चीनी उत्पादन 31 मई तक 40.4 लाख टन पर सिमट गया, जो एक साल पहले 51.4 लाख टन से काफी कम है. इससे साफ होता है कि सिर्फ रकबा बढ़ने से से उत्पादन में बढ़ोतरी की गारंटी नहीं मिलती. हालांकि, प्रगतिशील रकबे के आंकड़ों में अक्टूबर में मॉनसून के आखिर तक संशोधन हो सकता है.
वहीं, व्यापार निकाय AISTA ने मंगलवार को कहा कि भारत ने चालू मार्केटिंग वर्ष 2024-25 के 6 जून तक 5.16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जिसमें सोमालिया को अधिकतम 1,18,553 टन चीनी का निर्यात किया गया है. भारत में 2024-25 मार्केटिंग वर्ष के लिए चीनी निर्यात की अनुमति 20 जनवरी, 2025 को दी गई थी, जिसमें कुल मात्रा 10 लाख टन तक निर्यता की अनुमति दी गई है.
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